खोजे गए परिणाम
सहेजे गए शब्द
",uuJH" शब्द से संबंधित परिणाम
खोजे गए परिणाम
",uuJH" शब्द से संबंधित परिणाम
गोश्त खाए गोश्त बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय
मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता
मास खाए मास बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय
मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता
गोश्त खाए गोश्त बढ़े , घी खाए बल होए , साग खाए ओझ बढ़े तो बल कहाँ से होए
गोश्त खाने से आदमी मोटा होता है, घी खाने से ताक़त आती है, सबज़ीयां खाने से पेट बढ़ता है मगर ताक़त नहीं अति
ओझ फिरे न रोग बढ़े
आदमी ख़ूब तन के अगर ना खाए तो उमूमन बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारीयों से महफ़ूज़ रखता है
ओझ फिरे न रोग झड़े
आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो
ओझ भरे, न रोग झरे
आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो
सूई जहाँ न जावे वहाँ सुवा घुसेड़ना
ज़्यादती या ज़बरदस्ती करना, बे-जा दबाओ डालना, हैसियत से ज़्यादा ज़ेर करना
ज़र ज़र कशद दर जहाँ गंज गंज
(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) दुनिया में रूपया रूपए को खींचता है और ख़ज़ाना खज़ाने को
जहाँ बजे ढोल वहाँ खड़े बहलोल
उस व्यक्ति के बारे में कहा जाता है जो बिना बुलाए या आमंत्रित किए हर जगह जाता है
जहाँ सेर वहाँ सवाई
अपव्ययी अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम या अधिक की परवाह नहीं करता, जहाँ बहुत सी हानि हुई थाड़ी और सही
जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा
दुखिया को सब जगह दुख ही दुख लगा रहता है, अभागे का भाग्य हर जगह साथ रहता है
जहाँ सौ वहाँ सवाए
बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही
जहाँ सौ वहाँ सवाए
बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही
गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रूख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ उपजी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई
जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं
गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रुख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ पकी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई
जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं
जहाँ दाई हाथ धोए वहाँ क़ुर्बां करूँ
۔(عو) ذلیل کرنے کو کہتے ہیں۔ تجھ گرانے والی کو جہاں جہاں اس کی دائی نے ہاتھ دھوئے قرباں کروں۔
जहाँ का मुर्दा वहीं गड़ता है
जहाँ का झगड़ा होता है वहीं ख़त्म होता है, जहाँ झगड़ा हो वहाँ की रस्म और रिवाज की मुताबिक़ फ़ैसला होता है
जहाँ गुड़ होगा वहाँ मक्खियाँ आएँगी
रुपया वाले के मित्र अधिक हो जाते हैं, धनवानों के पास मंगते, ज्ञानियों के पास क्षात्र आदि आया करते हैं अर्थात जब किसी की कोई प्रिय वस्तु किसी के पास होगी तो वहाँ उस प्रकार के लोग भी उपस्थित होंगे
फ़क़ीर को जहाँ रात वो गई वहीं सराए
फ़क़ीर को किसी बात की पर्वा नहीं जहां रात हो जाये वहीं बसर कर लेता है
जहाँ देखा तवा परात, वहाँ गावे सारी रात
जहाँ लाभ देखा, वहीं रह पड़े, आवश्यकता रखने वाला एवं अभावग्रस्त अपने फ़ायदे को देखता है
वो महफ़िल हैरान जहाँ पान न-बाशद
(डोमुनियाँ पैसे माँगते समय बोलती थीं) वह महफ़िल महफ़िल ही नहीं है जहाँ पान से सत्कार न हो
जहाँ दीदा सियार गोयद दरोग़
सय्याह और मुसाफ़िर झूट ज़्यादा बोलते हैं ख़ासकर हालात सफ़र के मुताल्लिक़ कीवनका कोई तसद्दुक़ कनुंदा नहीं होता, तजुर्बेकार आदमी के झूट बोलने पर कहते हैं
इक्के चढ़ के जहाँ जाय, पैसे दे के धक्के खाय
इक्के की सवारी की निंदा कि पैसे ख़र्च कर के परेशानी उठानी पड़ती है
Delete 44 saved words?
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा