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गोश्त खाए गोश्त बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय

मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता

मास खाए मास बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय

मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता

गोश्त खाए गोश्त बढ़े , घी खाए बल होए , साग खाए ओझ बढ़े तो बल कहाँ से होए

गोश्त खाने से आदमी मोटा होता है, घी खाने से ताक़त आती है, सबज़ीयां खाने से पेट बढ़ता है मगर ताक़त नहीं अति

ओझ भरे न रोग झड़े

न अधिक खाओ न बीमार हो

ओझ फिरे न रोग बढ़े

आदमी ख़ूब तन के अगर ना खाए तो उमूमन बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारीयों से महफ़ूज़ रखता है

ओझ फिरे न रोग झड़े

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

ओझ भरे, न रोग झरे

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

जहाँ

संसार, दुनिया, लोक, खंड, पृथ्वी, स्थान, जहान का लघुरूप, विश्व

जहीं

जिस स्थान पर ही

ओझ

पेट की थैली, पेट

ओझ-झोज

معدے سمیت پیٹ کی تمام آلائش۔

ओझ भरे न रोग झरे

न अधिक खाओ न बीमार हो

जी-हाँ

जी, एक सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए उपयोग किया जाता है

जू-हीं

जूँ ही का लघु रूप, जिस वक़्त, जिस लम्हा, वहीं, फ़ौरन, तुरंत

जहाँ का

رک : جہاں بھر کا.

जहाँ गंगा वहाँ झाव , जहाँ बामन वहाँ नाव

बड़ों से छोटों को फ़ैज़ पहुंचता है

सद्र जहाँ कि बद्र जहाँ , छोड़ पहानी जाएँ कहाँ

वतन ही में रहना और मुसीबत झेलना

जहाँ गाय वहाँ गाय का बछ्ड़ा

जहां मालिक वहीं इस के साथी, जहां फ़ायदे की चीज़ हो वहां सब जमा होते हैं

जहाँ सत्तयानास , वहाँ साढे़ सत्तयानास

۔مثل۔ جب بربادی ہوئی کم وبیش کی کیا پروا۔

ज़हे-'इज़्ज़-ओ-शर्फ़

इज़्ज़त-ओ-बुजु़र्गी के क्या कहने, इज़्ज़त -ओ-शराफ़त के क्या कहने

दोनों जहाँ का बादशाह

مراد : رسول پاک صلی اللہ علیہ وسلم

जहाँ पड़े मूसल वहाँ खेम कूशल

जहाँ भंग घटे वहाँ स्वास्थ्य है

जहाँ बड़ी सेवा तहाँ ओछा फल

बड़ी ख़िदमत का कम सिला, बावजूद बड़ी मेहनत के फ़ायदा क़लील हो तो कहते हैं

सूई जहाँ न जावे वहाँ सुवा घुसेड़ना

ज़्यादती या ज़बरदस्ती करना, बे-जा दबाओ डालना, हैसियत से ज़्यादा ज़ेर करना

ज़र ज़र कशद दर जहाँ गंज गंज

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) दुनिया में रूपया रूपए को खींचता है और ख़ज़ाना खज़ाने को

जहाँ सूई न जाए वहाँ मोसल घुसेड़ना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

दोनों जहाँ में बेड़ा पार है

दुनिया और आख़िरत दोनों अच्छा है, दुनिया और आख़िरत दोनों सँवर गए

जहाँ बजे ढोल वहाँ खड़े बहलोल

उस व्यक्ति के बारे में कहा जाता है जो बिना बुलाए या आमंत्रित किए हर जगह जाता है

जहाँ से उठना , जहाँ से जाना , जहाँ से गुज़रना

۔مرجانا۔ ؎ ؎

जहाँ सेर वहाँ सवाई

अपव्ययी अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम या अधिक की परवाह नहीं करता, जहाँ बहुत सी हानि हुई थाड़ी और सही

जहाँ चाह वहाँ राह

जिसके लिए दिल में जगह हो उसके साथ गुज़ारा भी हो जाता है

जहाँ दाई हाथ धोए वहाँ क़ुर्बान करूँ

ज़लील करने के मौक़ा पर औरतें कहती हैं

जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा

दुखिया को सब जगह दुख ही दुख लगा रहता है, अभागे का भाग्य हर जगह साथ रहता है

जहाँ सौ वहाँ सवाए

बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही

जहाँ सौ वहाँ सवाए

बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही

गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रूख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ उपजी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई

जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं

गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रुख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ पकी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई

जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं

जहाँ दाई हाथ धोए वहाँ क़ुर्बां करूँ

۔(عو) ذلیل کرنے کو کہتے ہیں۔ تجھ گرانے والی کو جہاں جہاں اس کی دائی نے ہاتھ دھوئے قرباں کروں۔

जहाँ के मुर्दे तहाँ गड़ते हैं

जहाँ का मुआमला है निपटारा भी वहाँ ही होगा

जहाँ का मुर्दा वहीं गड़ता है

जहाँ का झगड़ा होता है वहीं ख़त्म होता है, जहाँ झगड़ा हो वहाँ की रस्म और रिवाज की मुताबिक़ फ़ैसला होता है

सूई जहाँ न जाए वहाँ सुवा घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ गुड़ होगा वहाँ मक्खियाँ आएँगी

रुपया वाले के मित्र अधिक हो जाते हैं, धनवानों के पास मंगते, ज्ञानियों के पास क्षात्र आदि आया करते हैं अर्थात जब किसी की कोई प्रिय वस्तु किसी के पास होगी तो वहाँ उस प्रकार के लोग भी उपस्थित होंगे

सूई जहाँ न जाए वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ न जाए सूई वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ सूई न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ देना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

फ़क़ीर को जहाँ रात वो गई वहीं सराए

फ़क़ीर को किसी बात की पर्वा नहीं जहां रात हो जाये वहीं बसर कर लेता है

जहाँ देखा तवा परात, वहाँ गावे सारी रात

जहाँ लाभ देखा, वहीं रह पड़े, आवश्यकता रखने वाला एवं अभावग्रस्त अपने फ़ायदे को देखता है

वो महफ़िल हैरान जहाँ पान न-बाशद

(डोमुनियाँ पैसे माँगते समय बोलती थीं) वह महफ़िल महफ़िल ही नहीं है जहाँ पान से सत्कार न हो

जहाँ सूई न जाए वहाँ लट्ठा करना

ऐसा काम करना जो मुम्किन ना हो , सरासर लगू बात करना

जहाँ दीदा सियार गोयद दरोग़

सय्याह और मुसाफ़िर झूट ज़्यादा बोलते हैं ख़ासकर हालात सफ़र के मुताल्लिक़ कीवनका कोई तसद्दुक़ कनुंदा नहीं होता, तजुर्बेकार आदमी के झूट बोलने पर कहते हैं

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ जहाँ जाए वहीं मुँडे

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

इक्के चढ़ के जहाँ जाय, पैसे दे के धक्के खाय

इक्के की सवारी की निंदा कि पैसे ख़र्च कर के परेशानी उठानी पड़ती है

जहाँ तेल देखा वहीं जनने को बैठ गई

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

जहाँ सत्तयानास , वहाँ सवा सत्तयानास

जब बर्बादी हुई तो कम-ओ-बेश का क्या ख़्याल

दोनों जहाँ देना

सब कुछ दे देना, बहुत कुछ देना

खाँड की रोटी जहाँ तोड़ो वहाँ मीठी

अच्छी वस्तु हर जगह से अच्छी होती है, अच्छी वस्तु का हर भाग अच्छा होता है

जहाँ तीली न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ना

अज़ हद झूट बोलना

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरेगा

जिस में कुछ फ़ी या कोई ऐब होगा वही दिएगा

मुरक़्क़ा' जहाँ

संसार का चित्र या दृश्य, दुनिया की तस्वीर या मंज़र, दुनिया की शक्लें

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ तो जहाँ जाएगी मूँडी जाएगी

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

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गोश्त खाए गोश्त बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय

मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता

मास खाए मास बढ़े, घी खाए बल होय, साग खाए ओझ बढ़े बूता कहाँ से होय

मांस खाने से मांस बढ़ता है, घी खाने से बल बढ़ता है और साग खाने से पेट बढ़ता है परंतु बल नहीं होता

गोश्त खाए गोश्त बढ़े , घी खाए बल होए , साग खाए ओझ बढ़े तो बल कहाँ से होए

गोश्त खाने से आदमी मोटा होता है, घी खाने से ताक़त आती है, सबज़ीयां खाने से पेट बढ़ता है मगर ताक़त नहीं अति

ओझ भरे न रोग झड़े

न अधिक खाओ न बीमार हो

ओझ फिरे न रोग बढ़े

आदमी ख़ूब तन के अगर ना खाए तो उमूमन बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारीयों से महफ़ूज़ रखता है

ओझ फिरे न रोग झड़े

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

ओझ भरे, न रोग झरे

आदमी ख़ूब तन के अगर न खाए तो प्रायः बीमार नहीं पड़ता, भूक से कम खाना बीमारियों से बचाए रखता है, न अधिक खाओ न बीमार हो

जहाँ

संसार, दुनिया, लोक, खंड, पृथ्वी, स्थान, जहान का लघुरूप, विश्व

जहीं

जिस स्थान पर ही

ओझ

पेट की थैली, पेट

ओझ-झोज

معدے سمیت پیٹ کی تمام آلائش۔

ओझ भरे न रोग झरे

न अधिक खाओ न बीमार हो

जी-हाँ

जी, एक सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए उपयोग किया जाता है

जू-हीं

जूँ ही का लघु रूप, जिस वक़्त, जिस लम्हा, वहीं, फ़ौरन, तुरंत

जहाँ का

رک : جہاں بھر کا.

जहाँ गंगा वहाँ झाव , जहाँ बामन वहाँ नाव

बड़ों से छोटों को फ़ैज़ पहुंचता है

सद्र जहाँ कि बद्र जहाँ , छोड़ पहानी जाएँ कहाँ

वतन ही में रहना और मुसीबत झेलना

जहाँ गाय वहाँ गाय का बछ्ड़ा

जहां मालिक वहीं इस के साथी, जहां फ़ायदे की चीज़ हो वहां सब जमा होते हैं

जहाँ सत्तयानास , वहाँ साढे़ सत्तयानास

۔مثل۔ جب بربادی ہوئی کم وبیش کی کیا پروا۔

ज़हे-'इज़्ज़-ओ-शर्फ़

इज़्ज़त-ओ-बुजु़र्गी के क्या कहने, इज़्ज़त -ओ-शराफ़त के क्या कहने

दोनों जहाँ का बादशाह

مراد : رسول پاک صلی اللہ علیہ وسلم

जहाँ पड़े मूसल वहाँ खेम कूशल

जहाँ भंग घटे वहाँ स्वास्थ्य है

जहाँ बड़ी सेवा तहाँ ओछा फल

बड़ी ख़िदमत का कम सिला, बावजूद बड़ी मेहनत के फ़ायदा क़लील हो तो कहते हैं

सूई जहाँ न जावे वहाँ सुवा घुसेड़ना

ज़्यादती या ज़बरदस्ती करना, बे-जा दबाओ डालना, हैसियत से ज़्यादा ज़ेर करना

ज़र ज़र कशद दर जहाँ गंज गंज

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) दुनिया में रूपया रूपए को खींचता है और ख़ज़ाना खज़ाने को

जहाँ सूई न जाए वहाँ मोसल घुसेड़ना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

दोनों जहाँ में बेड़ा पार है

दुनिया और आख़िरत दोनों अच्छा है, दुनिया और आख़िरत दोनों सँवर गए

जहाँ बजे ढोल वहाँ खड़े बहलोल

उस व्यक्ति के बारे में कहा जाता है जो बिना बुलाए या आमंत्रित किए हर जगह जाता है

जहाँ से उठना , जहाँ से जाना , जहाँ से गुज़रना

۔مرجانا۔ ؎ ؎

जहाँ सेर वहाँ सवाई

अपव्ययी अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम या अधिक की परवाह नहीं करता, जहाँ बहुत सी हानि हुई थाड़ी और सही

जहाँ चाह वहाँ राह

जिसके लिए दिल में जगह हो उसके साथ गुज़ारा भी हो जाता है

जहाँ दाई हाथ धोए वहाँ क़ुर्बान करूँ

ज़लील करने के मौक़ा पर औरतें कहती हैं

जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा

दुखिया को सब जगह दुख ही दुख लगा रहता है, अभागे का भाग्य हर जगह साथ रहता है

जहाँ सौ वहाँ सवाए

बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही

जहाँ सौ वहाँ सवाए

बेकार में रुपया ख़र्च करने वाला व्यक्ति कम और अधिक नहीं देखता, जहाँ बहुत हानि हुआ, थोड़ा और सही

गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रूख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ उपजी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई

जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं

गया गाँव जहाँ ठाकुर हँसा, गया रुख जहाँ बगुला बसा, गया ताल जहाँ पकी काई, गई कूप जहाँ भई अथाई

जिस गाँव के मालिक ने भोग में जीवन व्यतीत किया वो उजड़ गया, जिस पेड़ पर बगुले का बसेरा हो वो सूख जाता है, जिस ताल या हौज़ में काई लग जाए एवं जिस कुएँ की तह बैठ जाए वो व्यर्थ एवं बेकार हो जाते हैं

जहाँ दाई हाथ धोए वहाँ क़ुर्बां करूँ

۔(عو) ذلیل کرنے کو کہتے ہیں۔ تجھ گرانے والی کو جہاں جہاں اس کی دائی نے ہاتھ دھوئے قرباں کروں۔

जहाँ के मुर्दे तहाँ गड़ते हैं

जहाँ का मुआमला है निपटारा भी वहाँ ही होगा

जहाँ का मुर्दा वहीं गड़ता है

जहाँ का झगड़ा होता है वहीं ख़त्म होता है, जहाँ झगड़ा हो वहाँ की रस्म और रिवाज की मुताबिक़ फ़ैसला होता है

सूई जहाँ न जाए वहाँ सुवा घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ गुड़ होगा वहाँ मक्खियाँ आएँगी

रुपया वाले के मित्र अधिक हो जाते हैं, धनवानों के पास मंगते, ज्ञानियों के पास क्षात्र आदि आया करते हैं अर्थात जब किसी की कोई प्रिय वस्तु किसी के पास होगी तो वहाँ उस प्रकार के लोग भी उपस्थित होंगे

सूई जहाँ न जाए वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ न जाए सूई वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ सूई न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ देना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

फ़क़ीर को जहाँ रात वो गई वहीं सराए

फ़क़ीर को किसी बात की पर्वा नहीं जहां रात हो जाये वहीं बसर कर लेता है

जहाँ देखा तवा परात, वहाँ गावे सारी रात

जहाँ लाभ देखा, वहीं रह पड़े, आवश्यकता रखने वाला एवं अभावग्रस्त अपने फ़ायदे को देखता है

वो महफ़िल हैरान जहाँ पान न-बाशद

(डोमुनियाँ पैसे माँगते समय बोलती थीं) वह महफ़िल महफ़िल ही नहीं है जहाँ पान से सत्कार न हो

जहाँ सूई न जाए वहाँ लट्ठा करना

ऐसा काम करना जो मुम्किन ना हो , सरासर लगू बात करना

जहाँ दीदा सियार गोयद दरोग़

सय्याह और मुसाफ़िर झूट ज़्यादा बोलते हैं ख़ासकर हालात सफ़र के मुताल्लिक़ कीवनका कोई तसद्दुक़ कनुंदा नहीं होता, तजुर्बेकार आदमी के झूट बोलने पर कहते हैं

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ जहाँ जाए वहीं मुँडे

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

इक्के चढ़ के जहाँ जाय, पैसे दे के धक्के खाय

इक्के की सवारी की निंदा कि पैसे ख़र्च कर के परेशानी उठानी पड़ती है

जहाँ तेल देखा वहीं जनने को बैठ गई

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

जहाँ सत्तयानास , वहाँ सवा सत्तयानास

जब बर्बादी हुई तो कम-ओ-बेश का क्या ख़्याल

दोनों जहाँ देना

सब कुछ दे देना, बहुत कुछ देना

खाँड की रोटी जहाँ तोड़ो वहाँ मीठी

अच्छी वस्तु हर जगह से अच्छी होती है, अच्छी वस्तु का हर भाग अच्छा होता है

जहाँ तीली न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ना

अज़ हद झूट बोलना

जहाँ गढ़ा होता है वहीं पानी मरेगा

जिस में कुछ फ़ी या कोई ऐब होगा वही दिएगा

मुरक़्क़ा' जहाँ

संसार का चित्र या दृश्य, दुनिया की तस्वीर या मंज़र, दुनिया की शक्लें

भेड़ पे ऊन किस ने छोड़ी, भेड़ तो जहाँ जाएगी मूँडी जाएगी

जो व्यक्ति हर जगह लूटा जाए उसके प्रति कहते हैं

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