खोजे गए परिणाम
"خصم" शब्द से संबंधित परिणाम
ख़सम न पूछे बात मेरा धन्ना सुहागन नाम
कोई मुँह लगाना नहीं पर आप ही इतराता है
ख़स्माना
देख-रेख, देख-भाल, दुश्मनाना, मुख़ालिफ़ाना, किफ़ायत शिआरी से
ख़सम-वाली
विवाहिता, पति वाली, सुहागन
ख़सम-पेटी
ख़सम को रोने वाली, बेवा, रांड, एक किस्म की गाली
ख़सम करना
शौहर करना, औरत का शादी करना
ख़सम मार कर सती हुई
औरतों के मकर वफ़रीब के मुताल्लिक़ केते हैं, दुआ करने के पछताई
ख़सम-खानी
कोसना, बुरी दुआ, पति को खा जाने वाली, अर्थात् विधवा, रांड
ख़सम का खाए भय्या का गीत गाए
शौहर देख भाल करे और नाम हो भाई का
ख़सम से छूटे तो यारों के जाए
व्यभिचारिणी स्त्री के संबंध में कहते हैं जो अन्य पुरुषों से सम्बन्ध रखती है
ख़सम छूटे पर रस्म न छूटे
जहाँ रीति-रिवाजों का सख़्ती से पालन किया जाता हो वहाँ बोलते हैं
ख़सम क्या सुख सहने को या पेट से लग कर रोने को
हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है
ख़सम क्या सुख सहने को या पटी से लग कर रोने को
हरकाम फ़ायदा की उम््ीद पर किया जाता है अगर फ़ायदा ना हो अबस है
ख़समी
दुश्मनी, अदावत, मालिकियत, मालिकपन, पीर
ख़सम जोरू की लड़ाई किसी को न भाई
पति-पत्नी को मिलजुल कर रहना चाहिए, पति-पत्नी की लड़ाई सबको नापसंद है
ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हो या वो हो
पति मर जाए तो देवर से शादी कोई बुरी बात नहीं समझी जाती
ख़सम दिल का ज़ख़्म
जो शौहर ख़्वाहमख़्वाह बीवी को तकीफ़ दे
ख़सम राज , आप राज
शौहर की ज़िंदगी में बीवी का राज होता है
ख़स्माती
شوہر والی بیوی ، جس کا شوہر زِندہ ہو .
ख़स्मों-जली
one who has been ill-treated by her husband
ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हुआ या वो हुआ
पति मर जाए तो देवर से शादी कोई बुरी बात नहीं समझी जाती
ख़स्मान
मुक़द्दमे के पक्षकार, दुश्मन
ख़सम का आसरा कर , आसंगा मत कर
आसरार बमानी उम््ीद, आसनगा बमानी घमंड मतलब ये है कि ग़रूर करना बुरा है
ख़सम का सुख सोने को बाबा टी लग कर रोने को
रुक : ख़सम क्या सुख सपने को अलख
ख़स्मा-मूती
(عور) (بد دعا کوسنا یعنی شوہر کو مارڈالنے والی) بیوہ ، بطور گالی استعمال ہوتا ہے کلمۂ بیزاری ، جو ایک عورت دوسری عورت کے لیے استعمال کرتی ہے.
कमाउ ख़सम किस ने न चाहा
जिस के अस्तित्व से लाभ हो वही प्रिय होता है
'औरत का ख़सम मर्द, मर्द का ख़सम रोज़गार
जिस प्रकार महिला को पति की आवश्यकता होती है उसी प्रकार आदमी को कमाने की आवश्यकता है
सात हाथ का ख़सम
(व्यंग्यात्मक) ताक़तवर; ज़बरदस्त पक्षधर
ओछी पूँजी ख़सम को खाए
पूँजी की कमी मालिक को हानि पहुँचाती है
त्रिया चरित्र न जाने कोय, ख़सम मार के सती होय
स्त्री के धोखे और मक्कारी को कोई नहीं समझ सकता, पति की हत्या करके ख़ुद भी सती हो जाती है
खेती ख़सम सेती
खेती में ख़ुद मालिक को काम करना चाहिए, दूसरों पर छोड़ देने से कोई फ़ायदा नहीं होता, काम मालिक की तवज्जोह और उस की दिलचस्पी ही से अच्छी तरह होता है
कमाऊ ख़सम किस ने न चाहा
۔مثل جس کی ذات سے فائدہ ہو وہی عزیز ہوتا ہے۔
साझा जोरू ख़सम का ही भला
ख़ावंद बीवी की शराकत ही बेहतर है, किसी और कर शिरकत अच्छी नहीं होती
नानी ने ख़सम किया नवासा चिट्टी भरे
करे कोई भरे कोई की जगह प्रयुक्त, क़ुसूर किसी का ज़िम्मा किसी के
साथ जोरू ख़सम का
असली संगत पति-पत्नी का ही होता है
तेली ख़सम किया और रूखा ही खाया
मतलब के लिए बुरा काम किया फिर भी वो हासिल ना हुआ , ख़िलाफ़-ए-वज़ा या आदात कोई काम किया इस प्रभी मक़सद पूरा ना हुआ, मालदार की नौकरी और फ़ाक़ों मरे
नानी ख़सम करे, नवासा चटी भरे
کرے کوئی خمیازہ کوئی بھرے
जोरू-ख़सम की लड़ाई क्या
पति-पत्नि की लड़ाई साधारण सी बात है
उगलती तलवार बीस्वा लुगाई ख़सम को मार रखती है
जिस तरह में से तलवार अचानक निकल पड़ने पर इंसान को ज़ख़मी कर देती है इस तरह बदचलन औरत से भी ख़ावंद को ज़रूर पहुंचता है
नानी ख़सम करे, नवासा डंड भरे
कोई करे कोई भरे, दोष किसी का भार किसी के ऊपर
मन में गाँती टसटस रोवे, चूहा ख़सम कर सुख से सोवे
दिखाने को रोती है दिल में प्रसन्न है क्यूँकि पति बच्चा है इस लिए कोई रोक टोक करने वाला नहीं है
दो जोरू का ख़स्म चौसर का पाँसा
दो पत्नियों का पति चौसर के पाँसे की तरह हमेशा तकलीफ़ में होता है (जैसे कि चौसर का पाँसा बार-बार पटका जाता है)
बूढ़े ख़सम की जोरू गले का ढोलना
बुढ़ापे में शादी करने का नतीजा ज़न मुरीदी होता है
दो ख़स्म की जोरू चौसर की गोट
जिस महिला का संबंध दो पुरुषों से हो वह चौसर की गोटी की तरह मरी जाती है
जोरू-ख़सम की लड़ाई दूध की सी मलाई
पति-पत्नि की अन-बन भी मज़ा देती है
चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का
दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता
घस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का
दोस्ती का मज़ा कुछ दिनों का होता है, पराया आदमी अपना नहीं बनता
रोटी को टोटी , पानी को बला , ख़सम को दादा
बहुत भोली या बेवक़ूफ़, तंज़न कहते हैं
यार को करूँ प्यार, ख़सम को करूँ भस्म, लड़के को करूँ चटनी
दुषचरित्र स्त्री को पति एवं संतान की कोई परवाह नहीं होती
नानी ने ख़सम किया बुरा किया, करके छोड़ दिया और भी बुरा किया
a silly step followed by naive amends
एक जोरू की जोरू एक जोरू का ख़सम, एक जोरू का सीस फूल एक जोरू की पश्म
कुछ पति पत्नियों पर हावी होते हैं और कुछ पत्नियाँ पतियों पर, पत्नीव्रता अर्थात स्त्रीजित व्यक्ति का सम्मान नहीं होता
फ़ुलाने की माँ ने ख़सम किया बहुत बुरा किया, करके छोड़ दिया और भी बुरा किया
एक ग़लती सुधारने के लिए उस से बड़ी ग़लती करने के अवसर पर बोलते हैं