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'अरक़
वो आद्रता जो किसी वनस्पति या पशुओं के शरीर के अंदर पाई जाती है
'इर्क़
(वनस्पति विज्ञान) महीन रेशा, पेड़ या पत्तों का रेशा
'अरक़-'अरक़
पसीने-पसीने, पसीने में डूबा हुआ, अरक़-आलूद, बहुत शर्मिंदा
'अर्क़-रेज़
दास, सेवक, नौकर, लज्जा देने वाला, लज्जित करने वाला
'अर्क़-ए-गुल
गुलाब का कशीद किया हुआ अर्थात् निकाला हुआ पानी
'अर्क़-नाक
पसीने में डूबा हुआ, पसीने में तर, परिश्रमी
'इर्क़ुन्निसा
वह दर्द जो चूतड़ से एड़ी तक उठता है, कुलंग, गृध्रसी स्नायु-शूल, साइटिका
'अरक़-गीर
पसीना पोछने का रूमाल, तौलिया
'अरक़ आना
(गर्मी, मेहनत, श्रम, लज्जा या भय के कारण) पसीना आना
'अरक़-दान
वो बरतन या उपकरण जिसमें आसव संग्रह या सुरक्षित किया जाए
'अरक़ होना
पसीने-पसीने होना, लज्जित होना
'अरक़ करना
पसीना निकालना, पसीना लाना
'अरक़-ए-नंग
शर्मिंदगी का पसीना, लज्जा के कारण आने वाला पसीना
'अरक़-पाश
वो सामान जिसमें गुलाब-जल आदि वग़ैरा भर कर छिड़कते हैं, 'अरक़ छिड़कने का छिद्रित सुराही जैसा सामान
'अरक़-कशी
किसी चीज़ की रूह या अर्क़ निचोड़ना, शराब कशीद करना
'अरक़-ए-फ़ित्ना
बेरी के फूल के रस से खींची हुई मदिरा
'अरक़ टपकना
शरीर से पसीने की बूँदें गिरना
'अरक़ कराना
पसीना निकलवाना, पसीने में गीला कराना, नहलाना
'अरक़-चीं
पसीना पोंछने का रूमाल या कपड़ा
'इर्क़-उज़-ज़हब
एक छोटे से पेड़ की जड़ है जिसको सुखा लेते हैं, इसकी अंदरूनी लकड़ी पतली और सफ़ैद और ऊपर मोटी छाल होती है, रंगत भूरी, भूरी-मटमैली या भूरी-लाल होती है, स्वाद कड़वा और ख़राशदार, सुगंध हल्की, पेचिश, पेट चलने आदि रोग में औषधि के तौर पर प्रययोग हैं, अपीका कीवाना
'अरक़ खींचना
भभके के द्वारा किसी चीज़ का पानी खींचना, आसव खींचना
'अरक़-'अरक़-होना
पसीने पसीने होना, पानी-पानी होना, बहुत लज्जित होना
'अर्क़-ए-बहार
एक क़िस्म का अर्क़ जो नारंगी और तुरंज (बिजौरा या चकोतरा नींबू) के फूलों से निकाला जाता है
'अरक़-ए-शीर
फटे हुए दूध का रस या पानी
'अरक़-ए-आख़िर
मृत्यु के समय आने वाला पसीना
'अरक़-ए-गुलाब
गुलाब के फूल को भबका दे कर खींचा हुआ पानी, गुलाब-जल
'अरक़-ए-ना'ना'
सिरके के साथ भबके में उतारा हुआ पुदीने का अरक़
'अर्क़-ए-ना'ना'
सिरके के साथ भबके में उतारा हुआ पुदीने का अर्क
'अरक़-ए-'अरूस
वो सुगंधित तरल जो शादी में दुल्हन के प्रयोग के लिए होता था
'इर्क़-ए-मदनी
नारू का दर्द, नहरुआ, नहरवा, एक प्रकार का रोग जो प्रायः कमर के निचले भाग में होता है, पानी के साथ एक विशेष प्रकार के कीड़े शरीर में प्रविष्ट हो जाने के कारण यह रोग होता है । इसमें पहले किसी स्थान पर सूजन होती है । फिर छोटा सा घाव होता है और तव उस घाव में से डोरी की तरह का कीड़ा धीरे धीरे निकलने लगता है जो प्रायः गजों लंबा होता है । इस रोग से कभी पैर आदि अंग बेकाम हो जाते हैं
'अर्क़-ए-ख़जालत
लज्जित होने की अवस्था में आने वाला पसीना
'अरक़-ए-नदामत
लज्जा और शर्मिंदगी के कारण आने वाला पसीना
'अरक़-ए-बुहरानी
(चिकित्सा) रोग की चरम स्थिति में अत्यधिक पसीना आना
'अर्क़ में डूबना
पसीने से तर-ब-तर होना, पसीने में शराबोर होना
'अरक़-ए-शर्म-ए-गुनह
पाप के कारण लज्जा से आने वाला पसीना
'अरक़ के बीच डूबना
पसीने से तरबतर होना, लज्जा से पानी-पानी होना
'अरक़-फ़िशाँ
पसीना टपकाने वाला, पसीने से भीगा हुआ, कठिन श्रम या परिश्रम
'अरक़-अफ़्शाँ
पसीना टपकाने वाला, पसीने में डूबा हुआ, पसीने में तर-बतर
'अर्क़ में डूब जाना
पसीने से तर-ब-तर होना, पसीने में शराबोर होना
'अरक़िया
पसीना पोंछने का छोटा रूमाल