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क्या
अभिप्रेत अथवा उदृिष्ट परंतु अव्यक्त तत्त्व, बात या वस्तु की ओर संकेत करने के लिए। जैसे-मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि तुम्हारे मन में क्या है ?
किया
करना का भूतकालिक रूप, समास में प्रयुक्त
कियाँ
‘कय' का बहु., सम्राट्, ईरान में चार सम्राट् हुए हैं-कै काऊस, कैखुस्रौ, कैकुबाद, कैलोहास्प।।
काई
एक जल्दी बीमारी जिस में जल्द पर खुजली बहुत होती है जो ख़ास किस्म के क्रम से पैदा होती है
क्या किया
۔۱۔ بڑا غضب کیا۔ بڑا ستم کیا۔ بڑی حیرت ہے۔ نہایت شرم کی بات ہے۔ ؎
۲۔ کوئی بے جا بات نہیں کی۔ اُنھوں نے خط واپس کردیا تو کیا کیا۔ ۳۔ کس صرف میں لایا۔ ؎
क्या क्या
(استفہام کے لیے) کیا کچھ ، کون کون ، کون سا کون سا (چیز ، کام وغیرہ).
क्या हो
क्या सत्य है, क्या चीज़ हो, क्या सामर्थ्य है
क्या ही
(बहुतायत एवं प्रचुरया के लिए प्रयुक्त) बहुत ही, अत्यधिक, बहुत ज़्यादा, बेहिसाब, क्या ही काम बना है
क्या है
क्या वस्तु है, वासतविक्ता क्या है
क्या था
क्या ज़रूरी था, ग़ैर ज़रूरी था
क्या रहा
कुछ हालत बाक़ी नहीं रही, आस टूट गई, कुछ कसर बाक़ी नहीं रही
क्या रहेगी
क्या इज़्ज़त रहेगी, बेइज़्ज़ती हो जाएगी, बदनामी होगी
किए का पास
۔اپنے فعل کا لحاظ۔ ؎
دیکھو اپنے۔
क्या हुआ
यूं हुआ की जगह (उमूमन किसी वाक़िया को धराते वक़्त मुस्तामल)
क्या कहा
(जब कोई अनुचित रूप से कुछ कहता है, तो उसे व्यंग्य में कहते है) फिर से कहना, सही नहीं कहा
किए को पहुँचना
बुरे काम की सज़ा पाना, अपने अंजाम को पहुँचना
क्या कहूँ
मजबूर हूँ, विवश हूँ, कुछ नहीं कह सकता
क्या कहीं
۔ (مجبوری اور بے بسی ظاہر کرنے کے لئے) کیا بیان کریں۔ کیا شکایت کریں۔ قابل بیان نہیں۔ (درد) ہوا جو کچھ کہ ہونا تھا۔) کہیں کیا جی کو رو بیٹھے۔
क्या लोगे
क्या फ़ाइदा हासिल करोगे, कुछ हाथ नहीं आएगा
किए की सज़ा पाना
۔ بُری فعل کی سزا پانا۔ ؎
क्या कहना
सुब्हान अल्लाह, प्रशंसा के लिए, प्रशंसा नहीं होसकती, व्यंग के लिए (कटाक्ष एवं प्रशंसा दोनों के लिए प्रयुक्त)
क्या कहने
रुक : क्या कहना, क्या बात है (बेशतर तंज़न मुस्तामल)
क्या लिया
क्या नुक़्सान क्या, क्या बिगाड़ा था
क्या कहिए
(मजबूरी और बेबसी के लिए) कुछ नहीं कह सकते, जाने दीजीए
क्या कहेंगे
क्या सोचेंगे, क्या शक करेंगे, बुरा कहेंगे, क्या ख़्याल करेंगे, क्या शुबह करेंगे
क्या कहेगा
लॉन तान करेगा, हंसी उड़ाएगा, शर्मिंदा करेगा
क्या करें
कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है
क्या करूँ
अचंभित हूँ, कुछ समझ में नहीं आता, मजबूर हूँ, विवश हूँ
काए
کسی بات یا کسی چیز میں، کاہے میں
क्या करेगा
रुक : क्या कर लेगा, कुछ नहीं कर सकता
क्या जाने
मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जानने (लाइलमी ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)
क्या जाता
क्या बिगड़ता, क्या हानि होती
क्या कुछ
बहुत कुछ, क्या क्या, कितना
क्या जाए
क्या नुक़सान हो, कोई नुक़सान नहीं
क्या होता
क्या प्रभाव होता, क्या लाभ होता, कुछ भी न होता, थोड़ा प्रभावित न करता
क्या गया
क्या नुक़्सान हुआ, क्या हानि हुई, कुछ हानि नहीं हुई, क्या बिगड़ गया
क्या जाएगा
۔ کیا نقصان ہوگا۔ بیشتر اُن کا ۔ تمھارا۔ کسی کا کے ساتھ مستعمل ہے۔ ؎
क्या मिला
क्या फ़ायदा हुआ, क्या हासिल हुआ
क्या जानों
मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जाने (अज्ञानता प्रकट करने के लिए प्रयुक्त)
क्या जाने
मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ईश्वर जाने (अज्ञानता दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है)
क्या मिलेगा
क्या फ़ायदा होगा, क्या हासिल होगा
क्या से क्या
इंकिलाब के लिए बोलते हैं, कुछ से कुछ, काया पलट
क्या बात
क्या कहना, क्या ख़ूब (तहसीन-ओ-तंज़ दोनों के लिए मुस्तामल)
क्या चलाई
क्या कहना है, क्या बात है, क्या सुंदर कहा है
क्या चलेगा
रणनीति प्रभावी नहीं हो सकती, सामना नहीं कर सकता
कया करना
कोई अपराध नहीं, कोई ग़लती नहीं, कुछ नहीं किया
किया करना
लगातार या हमेशा कोई काम करना
कई
अनिश्चित किंतु अल्प मात्रा या छोटी संख्या का सूचक, अनेक, कुछ, चंद, दो-चार, कितने ही, बहुत से, एक से अधिक
क्या होगा
क्या सामने आएगा, क्या स्थिति होगी, क्या बीतेगी
क्या ग़म
۔کیا فکر۔ کیا فکر ہے۔کیا پروا ہے۔ ؎
دیکھو غم۔
क्या बने
क्या गुज़रे, क्या हाल हो, न जाने क्या माजरा पेश आए