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हाथों के मोर उड़ गए

ख़ौफ़ से बदहवास हो गए

धी मुई, जँवाई चोर, उड़ गई तीतरियाँ उड़ गये मोर

बेटी की मृत्यु हो जाए तो दामाद के साथ कोई संबंध नहीं रहता

धी मरी जँवाई चोर , उड़ गईं तीतरियाँ उड़ गए मोर

दामाद की क़दर और आओ भगत बेटी की ज़िंदगी तक रहती है

'अक़्ल के तोते उड़ गए

होश जाते रेहे, बौखला जाना, सुध-बुध समाप्त हो जाना, समझ जाती रही

'अक़्ल के तोते उड़ गए

होश जाते रेहे, बौखला जाना, सुध-बुध समाप्त हो जाना, समझ जाती रही

दाता दाता मर गए और रह गए मक्खी-चूस, लेन-देन को कुछ नहीं लड़ने को मौजूद

किसी याचक का कहना, जिसे कुछ मिला नहीं, दानशील मर गए और कंजूस रह गए, देते दिलाते कुछ नहीं लड़ने को तैयार रहते हैं

उसी रूख पर है चढ़ा उसी की जड़ कटवाय, वो मूरख तो एक दिन गिर दब कर मर जाय

जिस वस्तु पर मनुष्य का गुज़ारा हो यदि उसी को बर्बाद करे तो हानि उठाएगा

अंधे की दाद न फ़रियाद, अंधा मार बैठेगा

अक्षम की ग़लती पकड़ने के योग्य नहीं होती, विवश का कार्य पकड़ के योग्य नहीं

मय्या बावा मर गए, इसी घर का कर गए

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कोई मरे, कोई मल्हार गाए

एक को दुख हो और दूसरा ख़ुशी मनाए

हाथों के मोर उाड़ जाना

रुक : हाथों के तोते/ तोते उड़ जाना/उड़ना

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

नानी तो कवारी ही मर गई नवासी के सौ सौ बान

بان شادی سے پہلے نہانے کو کہتے ہیں، نو دولت کے متعلق کہتے ہیں

माँ मर गई प्यासी बेटे का नाम जमना

ग़रीब वालदैन की औलाद अमीर होजाए तो कहते हैं

माँ मर गई प्यासी पूत का नाम जमना

ग़रीब वालदैन की औलाद अमीर होजाए तो कहते हैं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

सच्चे मर गए , झूटों को तप भी नहीं आई

जब कोई झूट बोलता है इस वक़्त कहते हैं कि उलटा ज़माना है झूओटे को कोई नुकंसान नहीं पहुंचता

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हाथों के मोर उड़ गए

ख़ौफ़ से बदहवास हो गए

धी मुई, जँवाई चोर, उड़ गई तीतरियाँ उड़ गये मोर

बेटी की मृत्यु हो जाए तो दामाद के साथ कोई संबंध नहीं रहता

धी मरी जँवाई चोर , उड़ गईं तीतरियाँ उड़ गए मोर

दामाद की क़दर और आओ भगत बेटी की ज़िंदगी तक रहती है

'अक़्ल के तोते उड़ गए

होश जाते रेहे, बौखला जाना, सुध-बुध समाप्त हो जाना, समझ जाती रही

'अक़्ल के तोते उड़ गए

होश जाते रेहे, बौखला जाना, सुध-बुध समाप्त हो जाना, समझ जाती रही

दाता दाता मर गए और रह गए मक्खी-चूस, लेन-देन को कुछ नहीं लड़ने को मौजूद

किसी याचक का कहना, जिसे कुछ मिला नहीं, दानशील मर गए और कंजूस रह गए, देते दिलाते कुछ नहीं लड़ने को तैयार रहते हैं

उसी रूख पर है चढ़ा उसी की जड़ कटवाय, वो मूरख तो एक दिन गिर दब कर मर जाय

जिस वस्तु पर मनुष्य का गुज़ारा हो यदि उसी को बर्बाद करे तो हानि उठाएगा

अंधे की दाद न फ़रियाद, अंधा मार बैठेगा

अक्षम की ग़लती पकड़ने के योग्य नहीं होती, विवश का कार्य पकड़ के योग्य नहीं

मय्या बावा मर गए, इसी घर का कर गए

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कोई मरे, कोई मल्हार गाए

एक को दुख हो और दूसरा ख़ुशी मनाए

हाथों के मोर उाड़ जाना

रुक : हाथों के तोते/ तोते उड़ जाना/उड़ना

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

नानी तो कवारी ही मर गई नवासी के सौ सौ बान

بان شادی سے پہلے نہانے کو کہتے ہیں، نو دولت کے متعلق کہتے ہیں

माँ मर गई प्यासी बेटे का नाम जमना

ग़रीब वालदैन की औलाद अमीर होजाए तो कहते हैं

माँ मर गई प्यासी पूत का नाम जमना

ग़रीब वालदैन की औलाद अमीर होजाए तो कहते हैं

हर एक के कान में शैतान ने फूँक मार दी है कि तेरे बराबर कोई नहीं

हर एक अपने आप को लासानी समझता है

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

सच्चे मर गए , झूटों को तप भी नहीं आई

जब कोई झूट बोलता है इस वक़्त कहते हैं कि उलटा ज़माना है झूओटे को कोई नुकंसान नहीं पहुंचता

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