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राह में कुँवाँ खोदना
काम में दुश्वारियां पैदा करना, किसी मक़सद के हुसूल में हाइल होना, नुक़्सान पहुंचाने का इंतिज़ाम करना
राह में कुँएँ खोदना
काम में दुश्वारियां पैदा करना, किसी मक़सद के हुसूल में हाइल होना, नुक़्सान पहुंचाने का इंतिज़ाम करना
राह में क़दम मारना
चलना, रवाना होना, यात्रा प्रारंभ करना, सफ़र का आग़ाज़ करना, किसी कार्य को प्रारंभ करना
राह में बिछ जाना
कमाल-ए-आजिज़ी-ओ-ख़ाकसारी दिखाना, निहायत ख़ुलूस-ओ-मुहब्बत से पेश आना, बहुत इज़्ज़त अफ़्ज़ाई करना, बहुत पज़ीराई करना
झोंपड़ी में रहे, महलों का ख़्वाब देखे
असमर्थता में सामर्थ वालों की सी रेस करना, निर्धनता में अमीरी की चेष्टा
दिल्ली में रह कर भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
बारह बरस दिल्ली में रहे, भाड़ ही झोंका
उस अवसर पर प्रयुक्त है जब कोई निरंतर अवसर मिलने पर भी विकास न करे या न सीखे
दिल्ली में बारह बरस रह कर भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
हाथ में क़लम पकड़ कर रह जाना
हैरत में डूब जाना, हैरत-ज़दा रह जाना,लिखते या तस्वीर बनाते वक़्त हैरत से सोच में पड़ जाना, लिखने या तस्वीर खींचने पर क़ादिर ना रहना, लिखने से या तस्वीरकशी से आजिज़ हो जाना
रहें झोंपड़े में ख़्वाब देखें महलों का
ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे
रहें झोंपड़ों में ख़्वाब देखें महलों का
ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे
रहें झोपड़ों में ख़्वाब देखें महलों का
ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे
दिल्ली में रह कर क्या भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
सास मर गई अपनी रूह तोंबे में छोड़ गई
उस मौक़ा पर कहते हैं जब सास का रोब बहू पर उस के मरने के बाद भी क़ायम रहे
दिल्ली में रह कर भी भाड़ झोंका
जब कोई अच्छे स्थान या वातावरण में काफ़ी दिनों तक रह कर भी कुछ न सीख सके तो उसके प्रती व्यंग में ऐसा कहते हैं. अनाड़ी ही रहा, अच्छी जगह रह कर भी कुशलता नहीं प्राप्त कर सका, अनभिज्ञ व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर सकता
डेढ़ पाव चून, नौ बेगारी राह में डर भी है
थोड़ी सी बात के लिए इतनी बड़ी व्यवस्था या छोटी सी बात पर इतना दिखावा, झूठा आडंबर
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