पीपल पूजन मैं चली गलम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज
अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया
पाप
वह आचरण जो अशुभ अदृष्ट उत्पन्न करे, कर्ता का अघःपात करने वाला कर्म, ऐसा काम जिसका परिणाम कर्ता के लिये दुख हो, व्यक्ति और समाज के लिये अहितकर आचरण, धर्म या पुण्य का उलटा, बुरा काम, निंदित काम, अकल्याणकर कर्म, अनाचार, गुनाह
पीपल
बरगद की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष जो भारत में प्रायः सभी स्थानों में अधिकता से पाया जाता है (यह वृक्ष ऊँचाई में बरगद के समान ही होता है, पर इसमें उसकी तरह जटाएँ नहीं फूटतीं, पत्ते इसके गोल होते हैं और आगे की और लंबी गावदुम नोक होती है, इसकी छाल सफेद और चिकनी होती है, लकड़ी पोली और कमजोर होती है और जलाने के सिवा और किसी काम की नहीं होती, इसका गोदा (फल) बरगद के गोदे की अपेक्षा छोटा और चिपटा तथा पकने पर यथेष्ट मीठा होता है गोदे लगने का समय बैसाख जेठ है, इसकी डालियों पर लाख के कीड़े पैदा होते हैं और पाले जाते हैं, बस यही इसका विशेष उपयोग है, गोदे बच्चे खाते हैं और पत्ते बकरियों और ऊँटों, हाथियों को खिलाए जाते हैं, छाल के रेशों से ब्रह्मा (म्यांंमा ) वाले एक प्रकार का हरा कागज बनाते हैं