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tee-hee

दबी दबी हंसी ।

तू ही

तू हो और दुनिया हो

(आशीर्वाद के रूप में) तू हमेशा ज़िंदा रहे, दुनिया का मज़ा तेरे साथ रहे, तू दुनिया में फूले फले

तू हे और मैं हूँ

अब और कोई नहीं, अब ऐसा बदला लूंगा कि तो भी याद करे

तू ही तू है

जो कुछ है तू ही है, तेरे सिवा और कोई नहीं, ٍहर जगह तू ही है (ईश्वर के संबंध में बोला जाता है)

है तो

अगर है, अगर कुछ है तो सिर्फ़, केवल, बस

तू क्या है

तेरी कोई हैसियत नहीं

हो तो हो

(कलिमा तख़सीस) किसी काम का आख़रा चारा-ए-कार बताने के लिए मसतमाल, और कोई सूरत नहीं, इस तरह ना हो तो फिर ना होगा, शायद इमकान कि हो

बिगड़ी तो बिगड़ी ही सही

दुश्मनी हुई तो अब हो, मतभेद हुई तो हो जाए

अल्लाह मददगार है तो बेड़ा पार है

ईश्वर पर भरोसा है तो कठिनाई सरल हो जाएगी या परेशानी दूर हो जाएगी

गुड़ खाया है तो कान छिदाने पड़ेंगे

ऐश किया है तो तक्लीफ़ भी उठानी पड़ेगी

ख़ुदा देना है तो छप्पर फाड़ कर देता है

ख़ुदा किसी को नवाज़ना चाहे तो इस के ज़राए और सामान पैदा कर देता है, ख़ुदा की देन अस्बाब ज़ाहिरी पर मौक़ूफ़ नहीं, ख़ुदा का फ़ज़ल बेहिसाब है

ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ के देता है

ईश्वर को जब देना होता है तो किसी न किसी बहाने देता ही है

पाजी तो पाजी वो बड़ा पजोड़ा है

वो निहायत कमीना आदमी है

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

दामन झाड़ दें तो रूपया ही रूपया हो जाए

धनाढ्यता के प्रदर्शन के अवसर पर गर्व से कहते हैं

जब ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है

ख़ुदा बे वसीला रिज़्क पहुंचाता है,ऐसी नेअमत मिल जाना जिस के आसार वसाइल ज़ाहिर ना हूँ

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ा तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

बड़े आदमी ने दाल खाई तो कहा सादा-मिज़ाज है ग़रीब ने दाल खाई तो कहा कंगाल है

घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खी उड़ाएगा

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो छप्पर फाड़ कर नवाज़ता है

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

कौड़ी न हो तो कौड़ी के फिर तीन-तीन

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है

ईश्वर की स्तुति में कहते हैं

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा किए

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या विशेषाधिकार जताता है, वहाँ ऐसा कहा जाता है

जफ़ा कफ़ा तो राजाओं पर पड़ती आई है

यहाँ तो गोया उनकी नाल गड़ी हुई है

किसी जगह से किसी को बहुत उनस हो बार बार आए तो कहते हैं जिस जगह बच्चा की नाल गाड़ी जाती है कहते हैं इस जगह से एक लगाओ होता है

घोड़ी की अगर दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ावेगा

हराएक को अपना मतलब पहले मल्हूज़ होता है, हर शख़्स अपनी तरक़्क़ी से ख़ुद फ़ायदा उठाता है

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा करते हैं

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

थोड़ी सी 'अक़्ल मोल लीजिए तो बेहतर है

बहुत अहमक़ हो, ज़रा सूज समझ कर

अपनी नाक कटी तो कटी पराई बद-शुगूनी तो हो गई

अपना नुक़्सान या रुसवाई हुई तो क्या, दुश्मन को तो तकलीफ़ पहुँच गई

दूल्हा तो वो पर दो-शाला अपना

ज़ाहिरी बनाओ सजाओ की हक़ीक़त खोलना होता ये मिसल बोलते हैं, मतलब ये होता है कि इस की सारी सज धज हमारे ही तुफ़ैल से है फिर भी हमें से एकड़ता है

दाई हो मीठी, दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

तू क्यों पेट फाड़ता है

तो क्यों नहीं मानता, तेरा क्या नुक़्सान है, तो क्यों हिट करता है

गीदड़ की जब शामत आती है तो शहर का रुख़ करता है

सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे

जब कोई व्यक्ति अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और अपनी बड़ाई बयान करता है तो व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

कर्दनी ख़्वेश आमदनी पेश, न की हो तो कर देख

जैसी करनी वैसी भरनी, बुरे काम का परिणाम बुरा होता है, न देखा हो तो करके देख लो

बजा नक़्क़ारा कूच का उखड़न लागी मीख़, चलने हारे तो चल बसे खड़ा हुआ तू देख

दुनिया की नश्वरता दर्शाने के लिये कहते हैं

तक़दीर सीधी है तो सब कुछ

भाग्य अनुकूल होने से सब काम बनते हैं

हड़वाड़ होंगे तो मास बुहतेरा हो रहेगा

ज़िंदा रहे तो मोटे हो जाऐंगे , बुनियाद होगी तो इमारत भी बिन जाएगी

वो तो बड़े ही भले मानुस हैं

वो बहुत नटखट हैं नीज़ बहुत नेक हैं

दो लड़ते हैं तो एक गिरता है

जब दो आदमीयों में लड़ाई होती है और एक हारता है तो हारने वाले की तसल्ली के लिए बोलते हैं

बनिया जब उठाता है तो झाड़ू देने लगता है

लालची शख़्स के मुताल्लिक़ मुस्तामल

कुत्ता पाए तो सवा मन खाए, नहीं तो ज़बान ही चाट कर रह जाए

कुत्ता लालची भी है और सहनशील भी, अगर मिले तो सब कुछ खा जाता है अगर न मिले तो मालिक का घर छोड़ कर नहीं जाता

शेर मारता है तो सौ गीदड़ खाते हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

सौ भड़वे मरे तो एक चम्मच चोर पैदा हुआ

ख़िदमत गारों पर तंज़ कि ये बदकिर्दार होते हैं

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

क़तरा का चूका घड़े ढलकाए तो क्या होता है

काम का वक़्त निकल जाने के बाद लाख तदबीर कीजीए मगर कोई फ़ाइद नहीं होता

वो तो हव्वा है

निहायत हैबतनाक और ख़ौफ़नाक है जिससे डर लगता है, निहायत बदमिज़ाज है काट खाने को दौड़ता है

बिल्ली भी लड़ती है तो मुँह पर पंजा रख लेती है

झगड़ालू व्यक्ति को शर्म दिलाने के लिए कहते हैं

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ख़ुदा की बख़शिश कमीने और शरफ़ पर बराबर होती है

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

मोर नाचता है जब अपने पाँव देखता है तो रो देता है

सारी उमनगीं, हौसले, ख़ुशीयां, लज़्ज़तें, नेअमतें, औसाफ़ ज़रा से ऐब के बाइस तकलीफ़-ओ-तकद्दुर बिन जाते हैं, ऐब ज़रा सा भी ुबरा

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को देगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

गीदड़ जब झेरे में गिरा तो कहा आज यहीं मुक़ाम है

विवशतावश भी शेखी से बाज़ न आया, लज्जित हुए मगर बात वही रक्खी, मजबूरी में भी शेखी न गई

जले तो फफूले फोड़ा ही करते हैं

बिगड़े दिल जो कुछ कहें कम है

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

मिज़ाज अच्छा तो है

स्वस्थ की स्थिती का कलिमा, ख़ैरीयत मालूम करने के लिए मुस्तामल

tee-hee के लिए उर्दू शब्द

tee-hee

tee-hee के उर्दू अर्थ

संज्ञा

  • दबी दबी हंसी ।
  • तम्सख़र आमेज़ हसनी ।

क्रिया

  • खी खी करना।

tee-hee کے اردو معانی

اسم

  • دبی دبی ہنسی ۔.
  • تمسخر آمیز ہسنی ۔.

فعل

  • کھی کھی کرنا۔.

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