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भाई न दे भाव दे

अपने प्रेम एवं मित्रता पर भरोसा करना चाहिए

गँवार गन्ना न दे भेली दे

मूर्ख साधारण से व्यय में कंजूसी कर के हानि उठाता है, मूर्ख थोड़ा नहीं देता, बहुत दे देता है, ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई व्यक्ति किसी साधारण व्यय में कंजूसी करे और बड़े ख़र्च के लिए तैयार रहे

दुश्मन सोए न सोने दे

शत्रु न आराम से बैठता है और न ही दूसरों को आराम से रहने देता है

न मैं दूं, न ख़ुदा दे

उसके संबंध में कहते हैं जो न स्वयं लाभ दे न लाभ पहुँचने दे

न मैं दूँ न ख़ुदा दे

नाक न दे सकना

न सूँघ पाना, बदबू को बर्दाश्त से बाहर पाना, सख़्त बदबू के मौक़ा पर बोला जाता है

ख़ुदा गंजे को पंजे न दे

ईश्वर एक कम उत्साही और नीच आदमी को हाकिम न बनाए

गाँठ का दे दे, पर बीच में न पड़े

ज़ामिन होना अच्छा नहीं, ज़ामिन बनने से कुछ दे देना बेहतर है

ज़बरदस्त मारे और रोने न दे

ऐसे अवसर पर प्रयुक्त जब कोई व्यक्ति अत्यचार करे और शिकायत भी न करने दे

ख़ुदा गंजे को नाख़ुन न दे

भगवान एक कम उत्साही और नीच आदमी को कोई अधिकार या सत्ता न दे

वहाँ तक हँसिये जो रो न दे

हंसी ठट्ठा वहीं तक बेहतर है जहां तक फ़साद ना हो जाये

नंगा घेरे घाट , न नहाए , न नहाने दे

शरारती आदमी ना ख़ुद फ़ायदा उठाता है ना दूसरों को फ़ायदा उठाने देता है

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे

हाथ चले न हिय्याँ, बैठा दे गुइयाँ

वहाँ तक हँसाइए जो रो न दे

रुक : वहां तक गदगदईए अलख

हाथ चले न पैयाँ , बैठा दे गुसियाँ

ख़ुदा ताला अपाहजों को घर बैठे रोज़ी पहुंचाता है, काम काज हो या ना हो मगर रज़्ज़ाक़ भूका नहीं रखता और घर बैठे देता है

अधेला न दे अधेली दे

गुड़ न दे भेली दे, मुर्ख कम व्यय करता है मगर परिणाम में उसका अधिक घाटा होता है, जहाँ देना चाहिए वहाँ न दें

हथिया चले न पय्या , बैठे दे गुसिय्याँ

काम करता नहीं और चाहता है कि बैठे को ख़ुदा खाने को दे, निकम्मे, काम चोर आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं

चीज़ न रखे आपनी चोरों गाली दे

जो शख़्स अपनी चीज़ को सेंत सिनहाल कर ना रखे और दूसरों पर इल्ज़ाम लगाए उस की निसबत कहते हैं

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

रुख़ दे कर बात न करना

ध्यान से बात न करना, लापरवाही से बात करना, तवज्जो से बात न करना, ख़ातिर में न लाना

नंगी घेरे घाट , न आप नहाए , न औरों को नहाने दे

रुक : नंगा घेरे घाट, ना आप नहाए, ना औरों को नहाने दे

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो सर खुजाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों

ऊत गए न जानिये दे गए बाड़

जिस के घर ढनखर लग गए कोई ना रहा और जो शख़्स अपने बुज़ुर्गों के ख़िलाफ़ बदचलन और बदअतवार हुआ वही ओत है

अपनी मुर्ग़ी बुरी न हो तो हमसाए में अंडा क्यों दे

नुक़्सान अपने ही हाथों होता है

सब जग रूठा रूठन दे एक वो न रूठा चाहिये

सारी दुनिया क्रोधित हो जाए परंतु ईश्वर क्रोधित न हो

वहाँ तक गुदगुदाइये जहाँ तक दूसरा रो न दे

इतना मज़ाक़ होना चाहिए जिस से दूसरा तंग ना आ जाये, वहां तक हनसईए जो रो ना दे

ठाड़ा मारे और रोने न दे

ज़बरदस्त अपनी मनमानी करता है

गंजे को ख़ुदा नाख़ुन न दे जो खुजाते खुजाते मर जाए

ख़ुदा ज़ुलम को साहब-ए-इख़तियार और कमीने को साहब-ए-स्रोत ना करे (वर्ना वो ग़रीबों को बहुत सताएगा

जिस को न दे मौला उस को दिलाए आसिफ़ुद्दौला

आसिफ़ अलद विला की फ़य्याज़ी बहुत मशहूर थी, (मजाज़न) अगर सरकार से ना मिल सके तो आसिफ़ अलद विला से मिल जाता है (आसिफ़ अलद विला की अपनी फ़य्याज़ियों और सख़ावत ने लखनऊ के बच्चे बच्चे के मुंह में ये कहावत डाल दी)

सूम के घर का कुत्ता, जाए न जाने दे

कंजूस के कारिंदे भी किसी को देख नहीं सकते

ओनामासी न आवे, मैया पोथी ला दे

अ ब आती नहीं माँ को कहे किताब ला दे , पढ़े लिखे हैं नहीं किताब माँगते हैं

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

ख़ुदा रिजाले को नाख़ुन न दे जो अपना सर खुजाए

कमीने आदमी को इतनी ताक़त और हुकूमत ने मिले कि जिस के ग़लत इस्तिमाल से वो अपना नुक़्सान कर ले

क़िस्मत न दे यारी तो क्यूँ कर करे फ़ौजदारी

अगर भाग्य साथ न दे तो शासन नहीं मिलती

उठ गए न जानिए जो टट्टी दे गए बाड़

जो द्वार पर ताला लगाकर चले गए हों उन्हें मरा नहीं समझ लेना चाहिए, यदि वापस न आना होता तो खुला छोड़ जाते

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

दाँत टूटे खुर घिसे पीठ न बोझा ले , ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे

बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता

जो न भाए आप को , वो दे बहू के बाप को

(ओ) उस जगह बोलते हैं जहान कोई शख़्स दूसरे के लिए वो बात करे जो ख़ुद के लिए नापसंद हो

नाप न तोल भर दे झोल

बिना अंदाज़ा और बे-हिसाब दे दे, बहुत ज़्यादा माँगने वाले के लिए प्रयुक्त है

गुड़ न दे गुड़ की सी बात तो करे

साईं से सच्चा और बंदे से सत भाव

इंसान को हर हाल में पाकबाज़ रहना चाहीए

गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे

अगर किसी से अच्छा व्यव्हार न कर सके तो विनम्रता से तो बोले

बख़्त दे यारी तो कर घोड़े अस्वारी , बख़्त न दे यारी तो कर खा चरवे दारी

अगर ख़ुशकिसमत है तो घोड़े पर चढ़ नहीं तो साईंसी का काम कर

मर्द वो है जो दे और न ले, और नीम मर्द वो है जो दे और ले, ना-मर्द वो है जो न दे और न ले

बुज़ुर्गों का क़ौल है कि बहादुर वो है जो देता है यानी सख़ावत करता है मगर किसी से लेता नहीं, नीम बहादुर वो है जो देता भी है और लेता भी, बुज़दिल और नालायक़ वो है जो लेता तो है मगर देता किसी को नहीं

संगत भली न साध की और एक गेंदे की बास

न साधू का साथ अच्छा होता है और न गेंदे की ख़ुश्बू

खेलेंगे न खेलने देंगे

ज़िद में न तो ख़ुद करना न दूसरों को करने देना, किसी काम में ज़िद करना, न ख़ुद करना न दूसरे को करने देना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में भाई न दे भाव दे के अर्थदेखिए

भाई न दे भाव दे

bhaa.ii na de bhaav deبھائی نَہ دے بھاؤ دے

कहावत

भाई न दे भाव दे के हिंदी अर्थ

  • अपने प्रेम एवं मित्रता पर भरोसा करना चाहिए
  • भाव के अनुसार बेचना चाहिए दया नहीं करना चाहिए
  • बाज़ार भाव से ही चीज़ दे, किसी को भाई समझ कर कम दामों में न दे

بھائی نَہ دے بھاؤ دے کے اردو معانی

  • اپنی محبت اور دوستی پر بھروسہ کرنا چاہیے
  • بھاؤ کے مطابق بیچنا چاہیے لحاظ نہیں کرنا چاہیے
  • بازار میں بھاؤ سے ہی سامان دے، کسی کو بھائی سمجھ کر کم داموں میں نہ دے

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