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देर में

late, after a long interval

देर में देर होती है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

देर में देर तो होती ही है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

दार-ए-अमाँ

house of refuge

दर-माँदा

जो थक कर चूर हो गया हो, ख़स्ता अर्थात खंडित

दर-माँदगी

थका-हारा होना, मजबूरी, विनम्रता, असहाय होने की अवस्था

बड़ी देर में

लंबी समय के बाद

नेक काम में देर क्यों

इस मौके़ पर कहते हैं जब कोई किसी से भलाई करने के लिए पूछे, नेक काम में सलाह मश्वरे की ज़रूरत नहीं

दौर में आना

गर्दिश में आना

दौर में रहना

जारी रहना, गर्दिश रहना

दौर-ए-मीना

शराब का दौर

घर में घर, लड़ाई का डर

यदि एक घर में दूसरा घर बना दिया जाए तो सदैव लड़ाई झगड़ा बना रहता है, यदि एक ही घर में दो परिवार रहते हों तो उन में लड़ाई का भय रहता है

डेढ़ पाव चून, नौ बेगारी राह में डर भी है

थोड़ी सी बात के लिए इतनी बड़ी व्यवस्था या छोटी सी बात पर इतना दिखावा, झूठा आडंबर

ओखल सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

मी चकद आँचे दर आव नह-ए-मन अस्त

जो कुछ मेरे बर्तन में है वही उससे टपकता है, जैसा मेरा स्वभाव है, वैसे ही कार्य मुझसे होते हैं

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

आँखों की राह दिल में दर आना

नज़रों में समा के दिल पर प्रभाव डालना

काजल की कोठरी में धब्बे का डर

नुक़्सान या अपमान के स्थान पर हमेशा नुक़्सान या अपमान का भय होता है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

आँख में डर न होना

निर्भीक होना, निर्भय होना, ढीट होना, निडर या बेबाक होना

मन-दर-आवर्दी

what comes into the mind', fanciful, invented (speech, or story)

ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

टूटी कमान में दोनों को डर होता है

तीर चलाने वाला जानता है कि निशाना नहीं लगेगा और दुश्मन तीर से डरता है, अदना दुश्मन का भी ख़ौफ़ ख़्वाही नज्जो एही होता है

जब ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

आँखों में डर न होना

निर्भय, ढीठ अथवा निडर होना

आँखों के रास्ते दिल में दर आना

नज़रों में समा के दिल पर प्रभाव डालना

आप मियाँ सूबे-दार, बीवी घर में झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

ओखली में सर दिया तो मूसल का क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

देख जगत में औ दसा मत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बाँका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

ठैर ठैर के चलिए जब हो दूर पड़ाव, डूब जात अधियाव में दौड़ चलती नाव

जल्दी का काम अच्छा नहीं होता, आँधी में तेज़ चलती हुई नाव डूब जाती है

ठैर ठैर के चलिए जब हो दूर पड़ाव, डूब जात अंधियाव में दौड़ चलंती नाव

जल्दी का काम अच्छा नहीं होता, आँधी में तेज़ चलती हुई नाव डूब जाती है

भुस में आग लगा जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

भुस में चिनगी दे कर जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

तालिब ज़र का बे ज़रूर जग में ख़्वार हक़ से दूर

लालची दुनिया में ज़लील होता है और हक़ से दूर होता है

दादा तेरा हफ़्त हज़ारी, बावा तेरा सूबा दारी, माँ तेरी सदा सुहागन बेटा बरख़ुर्दार

ऐसे शख़्स की निसबत कहते हैं जो हर तरह साहिब नसीब हो

पेश-दाँ-दर-अमाँ

किसी बात का पहले से ज्ञान हो तो उसकी अच्छाई-बुराई से मुक्ति की युक्ति हो जाती है (विशेषतः किसी परेशानी से अवगत होने की सूरत में)

भुस में टीमी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

कट खनी कुतिया भुस में ब्याई , टुकड़ा देख कर दौड़ दौड़ आई

तुम्ह की वजह से तुंद मिज़ाज भी मुतीअ हो जाता है

रगों में दौड़ जाना

ख़ूओन का जिस्म में हरकत करना, असर पज़ीर होना

भुस में चिनगी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

रग-ओ-पै में दौड़ जाना

असर करना, प्रभाव डालना

पेट में चूहों की घुड़ दौड़ होना

रुक : पेट में चूहे दौड़ना

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

मा'ना-दार

وسیع مفہوم رکھنے والا ، بامعنی ، بامطلب ۔

दार-उल-अमाँ

house of refuge

भुस में चिंगारी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

आँख में से तिनका दूर करना

मामूली या बड़ी ख़राबी को सुधारना

दौड़-धूप में होना

प्रयासरत होना, काम में व्यस्त होना

दार-उल-अमान

वह स्थान जहाँ लड़ाई- झगड़ा न हो

दार-उल-अम्न

अमन और शान्ति का घर, अमन-शांति वाला देश

अंधे को अँधेरे में बहुत दूर की सूझी

ऐसे अवसर पर जब कोई मूर्ख अचानक कोई पते की बात कह जाए

पेट में पड़ी जब दूर की सूझी , भूक लगी तंदूर की सूझी

बेफ़िकरी अजब शैय है यानी बेफ़िकरी में बड़े बड़े ख़्यालात पैदा होते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हज़्फ़ के अर्थदेखिए

हज़्फ़

hazfحَذْف

स्रोत: अरबी

वज़्न : 21

टैग्ज़: व्याकरण काव्य शास्त्र

शब्द व्युत्पत्ति: ह-ज़-फ़

हज़्फ़ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • निकालना, दूर करना, किसी शब्द या वाक्य को हटाना, डिलीट करना
  • अलग कर देना, निकाल देना, दूर कर देना, छोड़ देना, विच्छेद
  • किसी शब्द से एक अक्षर कम कर देना

शे'र

English meaning of hazf

Noun, Masculine

حَذْف کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • نکال دینا، دور کر دینا، الگ کر دینا، گرا دینا، ساقط کر دینا
  • لفظ سے کسی حرف یا عبارت سے کسی لفظ یا فقرے کو خارج کر دینا
  • (عروض) زحافات میں سے ایک زحاف‘ رکن کے آخر سے سببِ خفیف گرا دینا
  • (قواعد) خصوصا کسی حرف علت کو گرا دینا، مثلا وَہَبَ سے یَہَبُ میں (واؤ حذف ہو گئی) بَقُوم سے قُم میں (واؤ حذف ہو گئی)، لفظ سے کسی حرف یا عبارت سے کسی لفظ کے گرا دینے کو حذف کہتے ہیں جیسے بیچارہ سے ہی گراکر بچارا

Urdu meaning of hazf

  • Roman
  • Urdu

  • nikaal denaa, duur kar denaa, alag kar denaa, gira denaa, saaqit kar denaa
  • lafz se kisii harf ya ibaarat se kisii lafz ya fiqre ko Khaarij kar denaa
  • (uruuz) zahaafaat me.n se ek zahaaf' rukan ke aaKhir se sabab-e-Khafiif gira denaa
  • (qavaa.id) Khasuusan kisii harf-e-illat ko gira denaa, maslaa vahb se yahabu me.n (vaa.o hazaf ho ga.ii) baquu.om se qum me.n (vaa.o hazaf ho ga.ii), lafz se kisii harf ya ibaarat se kisii lafz ke gira dene ko hazaf kahte hai.n jaise bechaaraa se hii giraakar bichaara

हज़्फ़ के विलोम शब्द

हज़्फ़ के अंत्यानुप्रास शब्द

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देर में

late, after a long interval

देर में देर होती है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

देर में देर तो होती ही है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

दार-ए-अमाँ

house of refuge

दर-माँदा

जो थक कर चूर हो गया हो, ख़स्ता अर्थात खंडित

दर-माँदगी

थका-हारा होना, मजबूरी, विनम्रता, असहाय होने की अवस्था

बड़ी देर में

लंबी समय के बाद

नेक काम में देर क्यों

इस मौके़ पर कहते हैं जब कोई किसी से भलाई करने के लिए पूछे, नेक काम में सलाह मश्वरे की ज़रूरत नहीं

दौर में आना

गर्दिश में आना

दौर में रहना

जारी रहना, गर्दिश रहना

दौर-ए-मीना

शराब का दौर

घर में घर, लड़ाई का डर

यदि एक घर में दूसरा घर बना दिया जाए तो सदैव लड़ाई झगड़ा बना रहता है, यदि एक ही घर में दो परिवार रहते हों तो उन में लड़ाई का भय रहता है

डेढ़ पाव चून, नौ बेगारी राह में डर भी है

थोड़ी सी बात के लिए इतनी बड़ी व्यवस्था या छोटी सी बात पर इतना दिखावा, झूठा आडंबर

ओखल सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब ख़ुद को ख़तरे में डाल दिया फिर नताइज की क्या फ़िक्र, जब दानिस्ता ख़तरा मूल लिया तो पेश आने वाले मसाइब की क्या पर्वा ('दिया' और 'डर' की जगह इस मफ़हूम के दीगर अलफ़ाज़ भी मुस्तामल हैं)

मी चकद आँचे दर आव नह-ए-मन अस्त

जो कुछ मेरे बर्तन में है वही उससे टपकता है, जैसा मेरा स्वभाव है, वैसे ही कार्य मुझसे होते हैं

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

आँखों की राह दिल में दर आना

नज़रों में समा के दिल पर प्रभाव डालना

काजल की कोठरी में धब्बे का डर

नुक़्सान या अपमान के स्थान पर हमेशा नुक़्सान या अपमान का भय होता है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

आँख में डर न होना

निर्भीक होना, निर्भय होना, ढीट होना, निडर या बेबाक होना

मन-दर-आवर्दी

what comes into the mind', fanciful, invented (speech, or story)

ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

टूटी कमान में दोनों को डर होता है

तीर चलाने वाला जानता है कि निशाना नहीं लगेगा और दुश्मन तीर से डरता है, अदना दुश्मन का भी ख़ौफ़ ख़्वाही नज्जो एही होता है

जब ओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

आँखों में डर न होना

निर्भय, ढीठ अथवा निडर होना

आँखों के रास्ते दिल में दर आना

नज़रों में समा के दिल पर प्रभाव डालना

आप मियाँ सूबे-दार, बीवी घर में झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

बाहर मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

ओखली में सर दिया तो मूसल का क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डर

जब स्वयं को ख़तरे में डाल दिया फिर परिणाम की क्या चिंता, जब जान-बूझ कर ख़तरा मोल लिया तो आने वाली समस्याओं की क्या परवाह

ज़र-दार मर्द ना हर घर में रहे कि बाहर

सोने से पुरूष का शासन और प्रताप है घर में भी और बाहर भी

घर में बीबी लक्खो औतार बाहर मियाँ थाना-दार

घर में बीवी अवतार (वली) बिन के मूसें बाहर मियां हुकूमत जता कर लौटें , बीवी फ़क़ीरनी बनी बैठी है, मियां शेखी में थानादार बने फिरते हैं

देख जगत में औ दसा मत डर और मत रो, बिना हुक्म भगवान के बाल न बाँका हो

दुनिया के दुख की परवाह नहीं करनी चाहिए क्यूँकि बिना ईश्वर की आज्ञा के कुछ नहीं होता

ठैर ठैर के चलिए जब हो दूर पड़ाव, डूब जात अधियाव में दौड़ चलती नाव

जल्दी का काम अच्छा नहीं होता, आँधी में तेज़ चलती हुई नाव डूब जाती है

ठैर ठैर के चलिए जब हो दूर पड़ाव, डूब जात अंधियाव में दौड़ चलंती नाव

जल्दी का काम अच्छा नहीं होता, आँधी में तेज़ चलती हुई नाव डूब जाती है

भुस में आग लगा जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

भुस में चिनगी दे कर जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

तालिब ज़र का बे ज़रूर जग में ख़्वार हक़ से दूर

लालची दुनिया में ज़लील होता है और हक़ से दूर होता है

दादा तेरा हफ़्त हज़ारी, बावा तेरा सूबा दारी, माँ तेरी सदा सुहागन बेटा बरख़ुर्दार

ऐसे शख़्स की निसबत कहते हैं जो हर तरह साहिब नसीब हो

पेश-दाँ-दर-अमाँ

किसी बात का पहले से ज्ञान हो तो उसकी अच्छाई-बुराई से मुक्ति की युक्ति हो जाती है (विशेषतः किसी परेशानी से अवगत होने की सूरत में)

भुस में टीमी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

कट खनी कुतिया भुस में ब्याई , टुकड़ा देख कर दौड़ दौड़ आई

तुम्ह की वजह से तुंद मिज़ाज भी मुतीअ हो जाता है

रगों में दौड़ जाना

ख़ूओन का जिस्म में हरकत करना, असर पज़ीर होना

भुस में चिनगी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

रग-ओ-पै में दौड़ जाना

असर करना, प्रभाव डालना

पेट में चूहों की घुड़ दौड़ होना

रुक : पेट में चूहे दौड़ना

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

मा'ना-दार

وسیع مفہوم رکھنے والا ، بامعنی ، بامطلب ۔

दार-उल-अमाँ

house of refuge

भुस में चिंगारी डाल जमालो दूर खड़ी

षड्यंत्री षड्यंत्र कर के तमाशा देखता है

आँख में से तिनका दूर करना

मामूली या बड़ी ख़राबी को सुधारना

दौड़-धूप में होना

प्रयासरत होना, काम में व्यस्त होना

दार-उल-अमान

वह स्थान जहाँ लड़ाई- झगड़ा न हो

दार-उल-अम्न

अमन और शान्ति का घर, अमन-शांति वाला देश

अंधे को अँधेरे में बहुत दूर की सूझी

ऐसे अवसर पर जब कोई मूर्ख अचानक कोई पते की बात कह जाए

पेट में पड़ी जब दूर की सूझी , भूक लगी तंदूर की सूझी

बेफ़िकरी अजब शैय है यानी बेफ़िकरी में बड़े बड़े ख़्यालात पैदा होते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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