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जीभ जली स्वाद न आया

वस्तु इतनी थोड़ी थी कि कुछ मज़ा न आया, ज़बान भी बिना कारण के ख़राब हुई

जीब जली न स्वाद आया

कुछ फ़ायदा ना हुआ, कोई मज़ा ना आया

जीभ जली स्वाद पाया

सालन में नमक मिर्च मज़ा देता है

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, जीभ जली न स्वाद आया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकते ने खाया जीभ जली न स्वाद आया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकती ने खाया जीभ जली न स्वाद आया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, जीभ जली न स्वाद पाया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, न जीब जली न स्वाद आया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकती ने खाया जीभ जली न स्वाद पाया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

तरसती ने दिया बिलकती ने खाया, जीब जली स्वाद न पाया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जां से गई खाने वाले को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जान से गई खाने वाले को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जान से गई, खाने वालों को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जीभ जली स्वाद न आया के अर्थदेखिए

जीभ जली स्वाद न आया

jiibh jalii svaad na aayaaجِیبھ جَلی سواد نَہ آیا

कहावत

जीभ जली स्वाद न आया के हिंदी अर्थ

  • वस्तु इतनी थोड़ी थी कि कुछ मज़ा न आया, ज़बान भी बिना कारण के ख़राब हुई
  • कोई चीज़ बहुत थोड़ी खाने को मिले तब कहते हैं
  • कष्ट उठाकर कोई काम किया जाए परंतु उसका कोई अच्छा परिणाम न निकले तब भी कहते हैं

جِیبھ جَلی سواد نَہ آیا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • چیز اتنی تھوڑی تھی کہ کچھ مزا نہ آیا، زبان بھی ناحق خراب ہوئی
  • کوئی چیز بہت تھوڑی کھانے کو ملے تب کہتے ہیں
  • تکلیف اٹھا کر کوئی کام کیا جائے لیکن اس کا کوئی اچھا نتیجہ نہ نکلے تب بھی کہتے ہیں

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जीभ जली स्वाद न आया

वस्तु इतनी थोड़ी थी कि कुछ मज़ा न आया, ज़बान भी बिना कारण के ख़राब हुई

जीब जली न स्वाद आया

कुछ फ़ायदा ना हुआ, कोई मज़ा ना आया

जीभ जली स्वाद पाया

सालन में नमक मिर्च मज़ा देता है

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, जीभ जली न स्वाद आया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकते ने खाया जीभ जली न स्वाद आया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकती ने खाया जीभ जली न स्वाद आया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, जीभ जली न स्वाद पाया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

ततड़ी ने दिया जनम जली ने खाया, न जीब जली न स्वाद आया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकती ने खाया जीभ जली न स्वाद पाया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

तरसती ने दिया बिलकती ने खाया, जीब जली स्वाद न पाया

यह मसल उस काहिल के प्रति कही जाती है जो ख़र्च करने से कतराए या बहुत थोड़ा खाना दिया जाए तो भी कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जां से गई खाने वाले को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जान से गई खाने वाले को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

मुर्ग़ी अपनी जान से गई, खाने वालों को स्वाद न आया

जब कोई किसी की तन-मन से सेवा करे और वो उसकी सेवा से संतुष्ट न हो तो कहते हैं

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

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