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खाना खा कर अंगड़ाई लें तो खाया पिया कुत्ते के पेट में चला जाएगा

औरतों का वहम है, खाने के बाद अंगड़ाई से रोकने के लिए कहती हैं ताकि बच्चे खा कर फ़ौरन ना सौ जाएं

दो प्याले पी तो लें हरम-ज़दगी तो पेट में है

दिल में खोट है, फिर भी फ़ायदा उठाते हैं

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

आएगा तो अपने पाँव से जाएगा किस के पाँव से

(दुश्मन वग़ैरा) चला तो आएगा मगर मेरे या हमारे होते बच कर कैसे जाएगा

माँग जाँच के गए झाँझा , माँग लें तो लगे लाजा

अगर दे दें तो ग़ुस्सा आए, अगर वापिस ले ले तो श्रम आए, इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो कोई चीज़ मजबूरन दे

खाया पिया अंग लगा

जो व्यय किया उस से लाभ हुआ, खाना पीना सार्थक हुआ

खाया-पिया

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

रुक: अमीर ने पादा अलख

सर उठा कर चला और ठोकर खा कर गिरा

तकबु्ुर से ज़िल्लत और रुसवाई होती है

गूह में कौड़ी गिरे तो दाँतों से उठा लें

ख़सीस और बख़ील आदमी के बारे में बोलते हैं

खाया पिया अंग न लगना

आहार का शरीर का हिस्सा न होना

खाया पिया जिस्म

तंदुरूस्त तन, निरोगी तन, हठ्ठा कठ्ठा शरीर

हाथ में लाना पेट में खाना

मुफ़लिस के मुताल्लिक़ कहते हैं जिस के पास कुछ ना हो, कमा के लाए तो खाए, जो कमाना सौ खाना, मेहनत से पैदा करना और ग़रीबाना तौर पर पत्तल में खा लेना

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

खाना पराया है, पेट तो पराया नहीं

खाना पेट से अधिक नहीं खाना चाहिए यद्यपि कैसा ही अच्छा और बढ़िया हो इस लिए कि अपच की आशंका होती है

पेट में चूहों का क़ला-बाज़ियाँ खाना

पेट में घुसे तो भेद मिले

किसी के मन की बात जानना बहुत कठिन है, किसी के मन की बात उसके घनिष्ठ संपर्क में आने से ही जानी जा सकती है अर्थात जब किसी से बहुत दोस्ती हो जाए तब भेद पता चलता है

खाया-पिया निकल जाना

कमाई ख़त्म हो जाना, नुक़्सान हो जाना

राह-रवी कर के चला जाना

बगै़र ठहरे चला जाना, रस्ते रस्ते से चला जाना , जल्द लूट जाना

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

पेट में चूहों का क़ला-बाज़ी खाना

۔बेइंतिहा भूक लगना। भूक से बेताब होना

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या साँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

हाथ में लिया काँसा तो पेट का क्या आँसा

जब बेग़ैरती इख़तियार की तो फिर मांगने में क्या श्रम

ठंडी कर के खाना

रुक : ठंडा करके खाना

माँ के पेट से सीख कर कोई नहीं आता

सीखा सिखाया कोई नहीं पैदा होता, काम सीखने ही से आता है

माँ के पेट से ले कर निकलना

नूह भर खाया तो खाया मुँह भर खाया तो खाया

कुछ मिल तो गया, थोड़ा हो या बहुत

जिस रकाबी में खा उसी में छेद कर , चपनी भर पानी में डूब मर

नमकहरामी और एहसानफ़रामोशी करके अपने वली नेअमत को नुक़्सान पहुंचाने से डूब मरना अच्छा है

ले के दिया कमा के खाया ऐसी तैसी जगत में आया

जो ले के दे और कमा के खाए इस का दुनिया में आना फ़ुज़ूल है, बदमाश और नादहिंद लोगों के मुताल्लिक़ कहते हैं

पेट तो सब के साथ लगा हुआ है

हर एक को खाने की ज़रूरत पड़ती है

चार बुलाए चौदह आए सुनो घर की रीत, भार के आ कर खा गए घर के गाएँ गीत

इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कम लोगों को दावत दी जाये और बहुत ज़्यादा आ जाएं , (कब : तीन बुलाए तेराह आए देखो यहां की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत)

बाप पेट में पूत ब्याहे चला

बेटा बाप से बढ़ गया

साँप के पाँव पेट में होते हैं

खिलंडरा व्यक्ति कितना भी भोला नज़र आए उस के दिल में खिलंडरापन अवश्य होता है, दुष्टाचारी व्यक्ति की दुष्टता उजागर नहीं होती

तोला के पेट में घूँगची

बड़े लोग छोटों से फ़ायदा उथाते हैं

हँसा-हँसा के पेट में बल डालना

इतना हँसाना कि पेट दुखने लगे, बहुत अधिक हँसाना

मा के पेट से ले कर कोई नहीं आता

सीखा सिखाया कोई पैदा नहीं होता (कम शौक़ की तवज्जा, दिलचस्पी और हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए कहा जाता है)

माँ के पेट ले कर निकलना

सीखा सिखाया पैदा होना, सीखे बगै़र कुछ हासिल करना

कुत्ता घास खाए तो सभी पाल लें

यदि काम सरल हो जाए तो सब ही कर लें, सरल काम सब कर लेते हैं, शौक़ में अगर कुछ ख़र्च न हो तो सभी करें

कर तो कर नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

कर तो कर , नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो डरना तो डर

हँस-हँस कर पेट में बल पड़ना

हंसते हंसते दुहरा हो जाना, बहुत हँसना

जुग-जुग जिया कर दूध-बतासे पिया कर

(दुआ) ईश्वर करे तुम हमेशा ख़ुश रहो, हमेशा सुखी एवं समृद्ध रहो

कर सेवा तो खा मेवा

परिश्रम का फल सुख या हर्ष है

छटी का खाया-पिया निकालना

बहुत कड़ी सज़ा देना, ख़ूब पीटना, बेदम कर देना

पेट में पड़े तो 'इबादत सूझे

पेट भरा हो तो प्रमात्मा का ध्यान आता है भूके से पूजा नहीं होती

आप तो गर्म कर के शर्बत पिलाते हैं

पहले किसी का दिल दुखाना और फिर आराम देना, क्रोध दिला कर फिर मीठी-मीठी बातें करना

अपने लगे तो पीठ में और के लगे तो भीट में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता, अपना दुख बहुत प्रतीत होता है दूसरे का कम

चोर के पेट में गाय, आप ही आप रंभाए

थोड़े से दबाव पर चोर अपना भेद खोल देता है, चोर अपनी घबराहट से अपनी पहचान करा देता है, आदमी का अपराध उसकी बातों से ही प्रकट हो जाता है

हँसी के मारे पेट में बल पड़ना

निहायत हँसना, बहुत हँसना, हंसी के मारे पेट दुखने लगना, हंसते हंसते बे-ताब हो जाना

नौ महीने माँ के पेट में कैसे रहा होगा

यह कहावत चंचल और ऊधमी लड़के के प्रति कहते हैं

सब कुत्ते काशी गए तो हंडिया किस ने चाटी

अगर सब नेक हैं तो शरारत किस ने की , शरीर अपनी हरकत से बाज़ नहीं आता

सीला कर के खाना

पिया मेरा अंधा किस के लिये करूँ सिंगार

जब कोई कद्रदान ना हो तो क्यों मेहनत करूं (आम तौर पर औरत अपने नाक़द्र शनाश ख़ावंद की निसबत बोला करती हैं)

नौकर लाटकपूर के, होंट हिलें हक़ लें

(बाज़ारी) ख़लीक़ आक़ा के नौकर ख़ुशामद से काम निकालते हैं , हरामख़ोर नौकर काम नहीं करते तनख़्वाह मांगते हैं (लाटकपोर अकबर के ज़माने का एक गवी्या था लोग उसे ये कह कर रुपया देते

मीर ख़ाँ के ऊँटों में रोक है

इस ख़ानदान के सब अफ़राद ख़राब हैं

हँसी के मारे पेट में बल पड़ जाना

निहायत हँसना, बहुत हँसना, हंसी के मारे पेट दुखने लगना, हंसते हंसते बे-ताब हो जाना

भूभल में रोटी दाब कर तो नहीं आई

जब कोई औरत जल्दी वापस जाने लगे तो कहते हैं

रियाज़ कर के खाना

मेहनत मज़दूरी कर के खाना, क़ुव्वत-ए-बाज़ू से कमा कर खाना

संदूक़ में बंद कर के रखना

बहुत सावधानी से रखना, छुपा कर रखना

सौगंद खा के

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में खाना खा कर अंगड़ाई लें तो खाया पिया कुत्ते के पेट में चला जाएगा के अर्थदेखिए

खाना खा कर अंगड़ाई लें तो खाया पिया कुत्ते के पेट में चला जाएगा

khaanaa khaa kar a.ng.Daa.ii le.n to khaayaa piyaa kutte ke peT me.n chalaa jaa.egaaکھانا کھا کَر اَن٘گْڑائی لیں تو کھایا پِیا کُتّے کے پیٹ میں چلا جائے گا

कहावत

खाना खा कर अंगड़ाई लें तो खाया पिया कुत्ते के पेट में चला जाएगा के हिंदी अर्थ

  • औरतों का वहम है, खाने के बाद अंगड़ाई से रोकने के लिए कहती हैं ताकि बच्चे खा कर फ़ौरन ना सौ जाएं
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کھانا کھا کَر اَن٘گْڑائی لیں تو کھایا پِیا کُتّے کے پیٹ میں چلا جائے گا کے اردو معانی

  • عورتوں کا وہم ہے ، کھانے کے بعد انگڑائی سے روکنے کے لیے کہتی ہیں تاکہ بچے کھا کر فوراً نہ سو جائیں.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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