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कोई आगे न कोई पीछे

पिताहीन, निःसन्तान, अनाथ, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो उसके बारे में कहते हैं

आगे पीछे कोई नहीं

कोई वारिस नहीं, कोई सरपस्त या अभिभावक नहीं, कोई उत्तराधिकारी नहीं

कोई-न-कोई

एक ना एक, कोई न कोई, कोई व्यक्ति, कोई सा, ये नहीं वो

कोई मरते पीछे नहीं मरता

किसी दूसरे की ख़ातिर मुसीबत मूल नहीं ली जाती

साथ कोई आया न कोई जाए

न जन्म के समय कोई साथ होता है न मौत के समय

न कोई वाली , न वारिस

कोई पूछने वाला नहीं (रुक : ना वली ना वारिस)

न आगे लत्ता , न पीछे पत्ता

कंगाल, मुफ़लिस के मुताल्लिक़ कहते हैं

आगे पत्ता न पीछे लत्ता

जिसे तन ढकने के लिए कपड़ा भी न मिले, कंगाल

न कोई आता था न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

आगे ल'आ न पीछे पत्ता

बेसर-ओ-सामानी और निहायत तंगदस्ती और इफ़लास के इज़हार में मुस्तामल

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

आगे पूत न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

कोई दक़ीक़ा फ़रोगुज़ाश्त न करना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

न आगे अगाड़ी , न पीछे पछाड़ी

रुक : ना आगे नाथ ना पीछे पघा

कोई दक़ीक़ा न उठा रखना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा उठा न रखना

leave no stone unturned

कोई कोर कसर बाक़ी न रही

किसी प्रकार का संबंध न होना

सब गुनों पूरी कोई न कहो लंडूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सब गुनों पूरी कोई न कहो अधूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

कोई सुने न सुने मैं कहता हूँ

उसके बारे में कहते हैं जो हर समय बातें करता रहता है

सब गुन पूरे कोई न कहे लंडूरे

रुक : सब गुण भरी मेरी लाडो, कौन कहे लनडूओरी

सब कोई मिले पर लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब गन अधूरे , कोई गुन न पूरे

किसी में कोई ख़ामी रह जाये तो इस शख़्स की बाबत कहते हैं

कंधे डाली झोली, चमार छोड़ा न कोई

जब मांगने पर आए तो ग़ैरत कैसी, ज़लील काम करने से ग़ैरत मिट जाती है, भीक मांगने वाले बेग़ैरत होते हैं

करम रेख न मिटे, करो कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

राजा आगे राज, पीछे छलनी न छाज

विधवा महिला कहती है कि पति के जीवन में ऐश नसीब था उस की मृत्यु के बा'द कुछ भी न रहा

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

सुस्त मूँख का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

सुस्त मुँह का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

उस नर से तुम मिलो न कोई, जाको देखो कपटी धोई

जो धोखेबाज़ एवं कपटी हो उस से कदापि न मिलो

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मरना भला बदेस का जहाँ न अपना कोई

परदेस में मरना बेहतर है कि वहां कोई अपना नहीं होता जो अफ़सोस करे

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

अंधा कहे मैं सरग चढ़ मूतूँ और मुझे कोई न देखे

हर एक यह चाहता है कि जो चाहे करे कोई उसपर आपत्ति न करे

मुझे बुढ़िया न कहो कोई , मैं ने जवानों की भी 'अक़्ल खोई

चालाक ज़ईफ़ अपने मुताल्लिक़ कहता है कि वो जवानों को उंगलीयों पहुंचा सकता है , ज़ईफ़ चालाक औरत का क़ौल है कि में बढ़िया हूँ तो क्या हवा में नौजवानों को भी फ़रेफ़्ता करलेती हूँ , बुज़ुर्गों की बनिसबत जवान नापुख़्ता कार होते हैं, जवान बुज़ुर्गों से इलम-ओ-शऊर हासिल करते हैं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

तेरी क़ुदरत के आगे कोई ज़ोर कसी का चले नाहीं, चींटी पर हाथी चढ़ बैठे तब वो चींटी मरे नाहीं

ईश्वर की लीला की प्रशंसा है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस के जनाज़े में कोई न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

आधी के बबर भी कोई उस के हाथ से न खावे

किसी से अत्यधिक अरुचि एवं घृणा के अवसर पर उसे तिरस्कृत करने के लिए प्रयुक्त

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

सब उस्तरे बाँधो , कोई तलवार न बाँधो , कर दो ये मनादी कोई दस्तार न बाँधो

ज़ालिम के ज़ुलम के मुताल्लिक़ कहते हैं

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

चंचल नार की चाल छुपे नाहीं नीच छुपे न बढ़पन पाए, जोगी का भेक नीक धरो कोई क्रम छुपे ना भभूत रमाए

कमीनी स्त्री चाल से ही प्रतीत हो जाती है, कमीना चाहे कितना बड़ा हो छुप नहीं सकता

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

आगे देखना न पीछे

परिणाम पर विचार न करना, सोच-विचार से काम न लेना, आदर-सम्मान न होना

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कोई आगे न कोई पीछे के अर्थदेखिए

कोई आगे न कोई पीछे

ko.ii aage na ko.ii piichheکوئی آگے نَہ کوئی پِیچھے

कहावत

कोई आगे न कोई पीछे के हिंदी अर्थ

  • पिताहीन, निःसन्तान, अनाथ, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो उसके बारे में कहते हैं

کوئی آگے نَہ کوئی پِیچھے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • لاولد ، بے اولاد ، لاوارثا ، جس کا کوئی والی وارث نہو اس کی نسبت کہتے ہیں.

Urdu meaning of ko.ii aage na ko.ii piichhe

  • Roman
  • Urdu

  • laavlad, beaulaad, laav arsaa, jis ka ko.ii vaalii vaaris nahuu us kii nisbat kahte hai.n

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कोई आगे न कोई पीछे

पिताहीन, निःसन्तान, अनाथ, जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो उसके बारे में कहते हैं

आगे पीछे कोई नहीं

कोई वारिस नहीं, कोई सरपस्त या अभिभावक नहीं, कोई उत्तराधिकारी नहीं

कोई-न-कोई

एक ना एक, कोई न कोई, कोई व्यक्ति, कोई सा, ये नहीं वो

कोई मरते पीछे नहीं मरता

किसी दूसरे की ख़ातिर मुसीबत मूल नहीं ली जाती

साथ कोई आया न कोई जाए

न जन्म के समय कोई साथ होता है न मौत के समय

न कोई वाली , न वारिस

कोई पूछने वाला नहीं (रुक : ना वली ना वारिस)

न आगे लत्ता , न पीछे पत्ता

कंगाल, मुफ़लिस के मुताल्लिक़ कहते हैं

आगे पत्ता न पीछे लत्ता

जिसे तन ढकने के लिए कपड़ा भी न मिले, कंगाल

न कोई आता था न कोई जाता था, न कोई गोद में ले कर मुझे सुलाता था

ऐसी बात कहना जिस से हर कोई अपनी इच्छानुसार मतलब निकाल सके

आगे ल'आ न पीछे पत्ता

बेसर-ओ-सामानी और निहायत तंगदस्ती और इफ़लास के इज़हार में मुस्तामल

घर न हुआ कोई वीराना हुआ

گھر کی وقعت ویرانے کے برابر کردی

आगे पूत न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

कोई दक़ीक़ा फ़रोगुज़ाश्त न करना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

न आगे अगाड़ी , न पीछे पछाड़ी

रुक : ना आगे नाथ ना पीछे पघा

कोई दक़ीक़ा न उठा रखना

किसी किस्म की कमी ना करना, कोई कसर ना छोड़ना

कोई दक़ीक़ा उठा न रखना

leave no stone unturned

कोई कोर कसर बाक़ी न रही

किसी प्रकार का संबंध न होना

सब गुनों पूरी कोई न कहो लंडूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सब गुनों पूरी कोई न कहो अधूरी

चालाक और अय्यार औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

कोई सुने न सुने मैं कहता हूँ

उसके बारे में कहते हैं जो हर समय बातें करता रहता है

सब गुन पूरे कोई न कहे लंडूरे

रुक : सब गुण भरी मेरी लाडो, कौन कहे लनडूओरी

सब कोई मिले पर लंगोटिया न मिले

निकट संबंधी मित्र बहुत नि:संकोच हो कर बात करता है इस लिए न मिले तो बेहतर है क्यूँकि वो सब पोल खोल देगा

सब गन अधूरे , कोई गुन न पूरे

किसी में कोई ख़ामी रह जाये तो इस शख़्स की बाबत कहते हैं

कंधे डाली झोली, चमार छोड़ा न कोई

जब मांगने पर आए तो ग़ैरत कैसी, ज़लील काम करने से ग़ैरत मिट जाती है, भीक मांगने वाले बेग़ैरत होते हैं

करम रेख न मिटे, करो कोई लाखों चतुराई

कोशिश और बुद्धिमत्ता से भाग्य का लिखा नहीं मिट सकता

राजा आगे राज, पीछे छलनी न छाज

विधवा महिला कहती है कि पति के जीवन में ऐश नसीब था उस की मृत्यु के बा'द कुछ भी न रहा

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

सुस्त मूँख का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

सुस्त मुँह का कोई न लागो फुर्तीले के सब ले भागो

सुस्त आदमी को कोई पसंद नहीं करता और फुरतेले को सब पसंद करते हैं

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

उस नर से तुम मिलो न कोई, जाको देखो कपटी धोई

जो धोखेबाज़ एवं कपटी हो उस से कदापि न मिलो

कोई मुझ को न मारे तो मैं सारे जहान को मारूँ

कायर या भीरु अथवा झगड़ालू व्यक्ति के लिए व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

मरना भला बदेस का जहाँ न अपना कोई

परदेस में मरना बेहतर है कि वहां कोई अपना नहीं होता जो अफ़सोस करे

जोबन था जब रूप था गाहक था सब कोई, जोबन रतन गँवाए के बात न पूछे कोई

जब सुंदरता और जवानी थी हर एक चाहने वाला था जब ये जाती रही तो कोई पूछता भी नहीं

मुझ को कोई न मारे तो सारे जहाँ को मार आऊँ

कायर व्यक्ति ख़तरे से डरता है

अंधा कहे मैं सरग चढ़ मूतूँ और मुझे कोई न देखे

हर एक यह चाहता है कि जो चाहे करे कोई उसपर आपत्ति न करे

मुझे बुढ़िया न कहो कोई , मैं ने जवानों की भी 'अक़्ल खोई

चालाक ज़ईफ़ अपने मुताल्लिक़ कहता है कि वो जवानों को उंगलीयों पहुंचा सकता है , ज़ईफ़ चालाक औरत का क़ौल है कि में बढ़िया हूँ तो क्या हवा में नौजवानों को भी फ़रेफ़्ता करलेती हूँ , बुज़ुर्गों की बनिसबत जवान नापुख़्ता कार होते हैं, जवान बुज़ुर्गों से इलम-ओ-शऊर हासिल करते हैं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

क़ाज़ी की लौंडी मरी, सारा शहर आया, क़ाज़ी मरा, कोई न आया

बड़े एवं अमीर आदमी के जीवन काल में लोग ख़ुशामद अर्थात चापलूसी करते हैं परंतु उसके मरने के बा'द कोई उसका नाम तक नहीं लेता

मुझ को बूढ़िया न कहना कोई , मैं तो लाल पलंग पर सोई

रुक : मुझे बढ़िया ना कहो कोई अलख

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

तेरी क़ुदरत के आगे कोई ज़ोर कसी का चले नाहीं, चींटी पर हाथी चढ़ बैठे तब वो चींटी मरे नाहीं

ईश्वर की लीला की प्रशंसा है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

जुम'आ छोड़ सनीचर नहाए उस के जनाज़े में कोई न जाए

मुस्लमान प्रायः शुक्रवार को ज़रूर स्नान करते और कपड़े बदलते हैं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

आधी के बबर भी कोई उस के हाथ से न खावे

किसी से अत्यधिक अरुचि एवं घृणा के अवसर पर उसे तिरस्कृत करने के लिए प्रयुक्त

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

सब उस्तरे बाँधो , कोई तलवार न बाँधो , कर दो ये मनादी कोई दस्तार न बाँधो

ज़ालिम के ज़ुलम के मुताल्लिक़ कहते हैं

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

चंचल नार की चाल छुपे नाहीं नीच छुपे न बढ़पन पाए, जोगी का भेक नीक धरो कोई क्रम छुपे ना भभूत रमाए

कमीनी स्त्री चाल से ही प्रतीत हो जाती है, कमीना चाहे कितना बड़ा हो छुप नहीं सकता

घाइल की गत घाइल जाने और न जाने कोई

केवल पीड़ित ही पीड़ित की स्थिति जानता है और कोई नहीं जानता

आगे देखना न पीछे

परिणाम पर विचार न करना, सोच-विचार से काम न लेना, आदर-सम्मान न होना

कोई आया न गया

۔ جب مال غائب ہوجاتا ہے اور چُرانے والےل کا پتہ نہیں لگتا تب یہ فقرہ کہتے ہیں۔ ؎

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