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रही

रही बात

किसी बात पर शर्त लगाने के वक़्त बोलते हैं

रही-सही

रहा सहा, बाक़ी बच्ची हुई

रही-बदी

र'ई

रही-ज़ादा

दासी-पुत्र, गुलाम-बच्चा।

रही ये बात

ये बात बाक़ी रही तो, अगर यूं हो तो, जहां तक इस बात का ताल्लुक़ है

रही सही कसर

रही तो आप से गई तो सगे बाप से

रुक : ''रहे तो आप से और ना रहे तो सगे बाप से''

रही बात थोड़ी, ज़ीन, लगाम, घोड़ी

कुछ नहीं रहा जाने का सामान रह गया

रहें झोंपड़े में ख़्वाब देखें महलों का

ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे

रहें झोंपड़ों में ख़्वाब देखें महलों का

ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे

रहें झोपड़ों में ख़्वाब देखें महलों का

ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई शख़्स मुफ़लिस और मजबूर हो और तो नगरों की बातें करे

रहें झोंपड़ों में ख़्वाब देखें महलों का

ही रही

कैसी रही

किसी अच्छे काम की दाद तलब करते वक़्त कहते हैं नीज़ बदला लेने के लिए किसी को नुक़्सान या तकलीफ़ पहुंचाने के मौक़ा पर मुस्तामल

अच्छी रही

किसी बात या काम या दख़ल अंदाज़ी से नागवारी या रजामंदी के इज़हार के मौके़ पर, मुतरादिफ़ : हमें ये बात हरगिज़ पसंद नहीं, हम इस के लिए तबार नहीं उन्हें इस बात का क्या हक़ है, उन्हें इस में क्या दख़ल है, वो कौन होते हैं, वग़ैरा, जैसे : क्या कहा आप ने ? उन्हों ने कहा है कि में वहां ना जाऊं ? अच्छी रही ! में तो ज़रूर जाऊंगा

अलग रही

एक किनारे, एक ओर

यक-रही

क्या बात रही

क्या आबरू रही

बात रही जाना

(बात-चीत का) ना तमाम रहना, अवसर न मिलना, सफलता न होना

मेला मेला कर रही मेले के दिन घर रही

अवसर पर बेख़बर है

वो तबी'अत नहीं रही

वो हौसला नहीं रहा, वो जोश और वलवला नहीं रहा, उमनग नहीं रही

लहर बहर आ रही है

बड़ी ऐश और ख़ुशी में गुज़रती है

हौल पुकार हो रही है

गुल ग़पाड़ा हो रहा है, बुलाव हो रही है, बुलाया जा रहा है, जल्दी पड़ रही है

बहरों चढ़ रही है

दहवानी बातें बिकता है

लहर बहर कर रही है

बड़ी ऐश और ख़ुशी में गुज़रती है

किस की बनी रही है

शक्ति और सत्ता हमेशा क़ायम नहीं रहते

सर पर बज रही है

काम सर पर पड़ा हुआ है

झक्ल बावल हो रही है

बेहूदा बेहस तकरार हो रही है

वाह वा हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं

टटड़ी पर बज रही है

अब काम कठिन हो रहा है, कठिन काम अब सामने आ रहा है

इस की नहीं हो रही

वाह-वाह हो रही है

बड़ी तारीफ़ें हो रही हैं, बहुत प्रशंसा मिल रही है, (बहुत प्रशंसा, शाबाशी प्राप्त होने के अवसर पर प्रयुक्त)

सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का ज़माना एक जैसा नहीं रहता

कोई कोर कसर बाक़ी न रही

किसी प्रकार का संबंध न होना

सुब्ह से बारिश हो रही है

ज़मीन पाँव से लग रही होना

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

ज़िंदा रही तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

ग़प-शप उड़ रही है

जोगी था सो उठ गया, आसन रही भभूत

समय निकल गया अब उपाय करने का कोई लाभ नहीं है, रहने वाले का यादगार मकान रह जाता है

गई बू बूदार की और रही खाल की खाल

अपनी साख खो कर जैसे थे वैसे ही रह गए

किस की रही और किस की रह जाए

पकड़ लंड गिर्धारी , लुटिया रही न थारी

इस शख़्स से जिस से कोई हमदर्दी ना हो ऐसे महल पर कहते हैं जब वो किसी सख़्त ख़सारे में पड़ गया हो

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

वो कौन सी पत्री जो हम से छुप रही

हम से कौन सी बात छिपी हुई है

दिल में एक आग सी लग रही है

दिल में जलन महसूस होरही है, अंदर ही अंदर फुंका जा रहा हूँ

वो मंढी ही जाती रही जहाँ अतीत रहते थे

वही नहीं रहे जिन से लाभ उठाते थे, वो बुनियाद ही समाप्त हो गई है

वो शाख़ ही न रही जिस पे आशियाना था

वो चीज़ ही बाक़ी ना रही जिस के लिए सब वलवले थे, मायूसी की हालत का इज़हार

बू गई , बू-दार गई , रही खाल की खाल

शान-ओ-शौकत जाती रही असली हालत रह गई

वो कमली ही जाती रही जिसमें तिल बँधते थे

अब वो चीज़ ही नहीं जिस के कारण लोग मुतवज्जा होते थे अर्थात ध्यान देते थे, हुस्न जाता रहा एवं वो ज़माना जाता रहा

आँतें क़ुल हुवल्लाह पढ़ रही हैं

बहुत भूख लगी, भूख की तीव्रता में अल्लाह याद आने लगा

जब तक बहू रही कुँवारी सास रही वारी , जब बहू गई ब्याही पड़ गई ख़ुवारी

जब तक शादी नहीं हो जाती सास बहू की बहुत ख़ातिरदारी करती है शादी के बादहू क़दर नहीं रहती

गठरी बँधी धूल की रही पवन से फूल गाँठ जतन की खुल गई रही धूल की धूल

इंसान की तरफ़ इशारा है कि इंसान मिट्टी की गठड़ी है, जिस में हुआ भरी हुई है, जब ये हुआ निकल जाती है तो फिर मिट्टी ही रह जाती है, इंसान बहुत नापायदार है

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई तरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई सरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

गठरी बँधी धूल की रही पवन से फूल गाँठ जतन की खुल गई रही धूल की धूल

इंसान की तरफ़ इशारा है कि इंसान मिट्टी की गठड़ी है, जिस में हुआ भरी हुई है, जब ये हुआ निकल जाती है तो फिर मिट्टी ही रह जाती है, इंसान बहुत नापायदार है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रही-सही के अर्थदेखिए

रही-सही

rahii-sahiiرَہی سَہی

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 1212

देखिए: रहा-सहा

रही-सही के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • रहा सहा, बाक़ी बच्ची हुई

शे'र

English meaning of rahii-sahii

Adverb

  • remaining, leftover, the little that was or is left

رَہی سَہی کے اردو معانی

فعل متعلق

  • رہا سہا، باقی بچی ہوئی

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