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सदा किसी की नहीं रही

हमेशा किसी का ज़माना मुवाफ़िक़ नहीं रहा

किसी की किसी को ख़बर नहीं

किसी गिरोह या जमात पर बेहोशी और ग़फ़लत का आलम तारी होने पर बोलते हैं

किसी को किसी की ख़बर नहीं

۔बेहोशी और ग़फ़लत का आलम किसी जमात में होने की जगह।

किसी की नहीं सुनता

किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता

इस की नहीं हो रही

पेट किसी की नहीं सुनता

किसी बात की कमी नहीं

हर चीज़ मौजूद है, अमीर हैं

किसी मर्ज़ की दवा नहीं

महिज़ बेकार है, किसी काम का नहीं

जोरू ज़ोर की नहीं किसी और की

जोरू उसी शख़्स के अपने वश में रहती है जिसकी कमर में बल होता है

'इनायत-ए-शाही किसी की मीरास नहीं

हुस्न की खेती सदा हरी नहीं रहती

सुंदरता और जवानी हमेशा नहीं रहती

ज़ंगी की सियाही किसी रंग नहीं जाती

पैदाइशी ऐब मिटाए नहीं मिटता

दुनिया में किसी की यक्साँ नहीं गुज़री

ज़माना एक हालत पर नहीं रहता, हालात बदलते रहते हैं

कोई किसी की आँच में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने से नहीं लेता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं सोता

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई किसी की आग में नहीं गिरता

कोई शख़्स दूसरे की बला और मुसीबत अपने सर नहीं लेता

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाता

सदैव कोई किसी के साथ नहीं रहता, कोई किसी के बदले नहीं मरेगा, हर एक अपना ही उत्तरदायी है

कोई किसी की क़ब्र में नहीं जाएगा

कोई किसी के बदले नहीं पकड़ा जाता, कोई किसी की बला अपने ज़िम्मा नहीं लेता

नाव काग़ज़ की सदा बहती नहीं

ना पाएदार और बेबुनियाद शैय को सबात नहीं है

सदा नाव काग़ज़ की चलती नहीं

धोखा-धड़ी का काम बहुत दिनों नहीं चलता

कोई किसी की क़ब्र पर नहीं मूतता

कोई किसी को याद नहीं करता

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई सरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

मुक़द्दर के आगे किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

मुक़द्दर के रू-ब-रू किसी की नहीं चलती

तक़दीर के बरख़िलाफ़ कुछ नहीं हो सकता

सदा न काहो की रही गल पीतम के बाँह, ढलते ढलते ढल गई तरवर की सी छाँह

किसी की बाँहें ख़ावंद के गले में हमेशा नहीं रहतीं, दरख़्त की छाओं की तरह हटती जाती हैं, मुहब्बत हमेशा एक तरह नहीं रहती शुरू में ज़्यादा होती है फिर कम होजाती है

रेत की दीवार , ओछा यार , किसी काम का नहीं

दोनों को उस्तिवार और क़ियाम नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सदा किसी की नहीं रही के अर्थदेखिए

सदा किसी की नहीं रही

sadaa kisii kii nahii.n rahiiسَدا کِسی کی نَہِیں رَہی

कहावत

सदा किसी की नहीं रही के हिंदी अर्थ

  • हमेशा किसी का ज़माना मुवाफ़िक़ नहीं रहा
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سَدا کِسی کی نَہِیں رَہی کے اردو معانی

  • ہمیشہ کسی کا زمانہ موافق نہیں رہا.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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