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सभी-कुछ

पेट पड़ें रोटियाँ तो सभी गलाँ मोटियाँ

जब आदमी दौलतमंद हो जाये तो इस में बहुत सी बातें आजाती हैं, मआशी बेफ़िकरी में ख़ूब बातें सूझती हैं

कुत्ता घास खाए तो सभी पाल लें

यदि काम सरल हो जाए तो सब ही कर लें, सरल काम सब कर लेते हैं, शौक़ में अगर कुछ ख़र्च न हो तो सभी करें

साँसा सुध बुध सभी घुटावे , साँसा सुख का खोज मिटावे

फ़िक्र अक़ल मार देती है और चीन इराम खो देती है

मंदिर माँ सभी साँझ से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

मंदिर माँ सभी साँच से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

माँ न माँ का जाया सभी लोक पराया

अजनबी मुक़ाम पर बोलते हैं जहां कोई भी अपना वाक़िफ़ कार ना हो

पेट बीच पड़ी रोटियाँ तो सभी बातें मोटीयाँ

नाऊ की बरात में सभी ठाकुर

जहां सब लोग उच्च श्रेणी से हों और काम करने वाला कोई न हो वहां बोलते हैं

भूल गए सब ज्ञान शास्त्र पढ़ कर सभी डबोया

लिखे पढ़े बेअमल की निसबत बोला करते हैं

सभीं

अच्छों की सभी अच्छी होती है

हसीनाओं या अमीरों की बुरी बात को भी लोग अच्छा ही कहते हैं

इंसान में कुछ नहीं

ज़िंदगी का कुछ एतबार नहीं

आन में कुछ अन में कुछ

अत्यधिक चंचल-चित्त है कथनी और करनी का कोई विश्वास नहीं

आन में कुछ आन में कुछ

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

कुछ ढंग नहीं

कोई सलीक़ा नहीं , कुछ नहीं आता

कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली

बहाने करने वाली औरत के प्रति कहते हैं, काम न करने के सौ बहाने

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

हमें कुछ काम नहीं

गाँठ गिरह में कुछ नहीं

(दिल्ली) बिलकुल मुफ़लिस है, क़ल्लअश है

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

चार हाथ पाँव सब रखते हैं कुछ तुम्हारे ही नहीं हैं

कमाऊ खाओ , सब ताक़त रखते हैं, घमंड करने वाले को कहते हैं

कुछ कान में फूँकना

कोई मंत्र या जादू पढ़ कर कान में फूँकना

कुछ-ईंट

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

कुछ-नहीं

कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है

मुँह पर सब कुछ दिल में ख़ाक नहीं

सोंटा हाथ, देह में हाँगा, उस ने भेंटे सब कुछ माँगा

जिसकी लाठी उसकी भैंस, जिसके हाथ में लाठी और जिसमें शक्ति है, उसे जो माँगे मिल जाता है, अर्थात शक्तिशाली को सब कुछ मिल जाता है

कुछ आँसू पुछ गए

किसी क़दर तसल्ली हुई

ये कुछ नहीं

۔ ये कोई बुरी बात नहीं।ये अमर काबिल एतराज़ नहीं।

कुछ ऐसा नहीं

कुछ हासिल नहीं

कोई लाभ नहीं, कोई फ़ायदा नहीं

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

मुँह पर कुछ दिल में कुछ

ज़ाहिर में कुछ बातिन में कुछ, ज़ाहिर और बातिन यकसाँ नहीं हैं

कुछ सोने खोट , कुछ सुनार खोट

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा, ख़ता दोनों की है, कुछ लोहा खोटा, कुछ लोहार (रुक

कुछ मुँह से सुनना

आँख से कुछ न सूझना

आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, कुछ नज़र न आना (किसी विशेष स्थिति की तीव्रता के कारण)

मुँह से कुछ का कुछ निकलना

नशा या डर और रोब से कुछ कहना चाहना और ज़बान से कुछ और निकलना

मुँह से कुछ का कुछ निकालना

भय, शोक, क्रोध, नशा या रोब आदि में कुछ का कुछ कह जाना, ख़ौफ़, ग़म, ग़ुस्सा, नशा या रोब वग़ैरा में मन की बात के बजाय कुछ और कह जाना

कुछ सोना खोटा और कुछ सुनार खोटा

ताली दोनों हाथ से बजती है , लड़ाई या बिगाड़ दोनों तरफ़ से होता है

कुछ 'अजब नहीं

कोई अचंभे की बात नहीं, कोई हैरत की बात नहीं

ये भी कुछ हैं

इन की भी कोई हैसियत है, ये भी इज़्ज़त और मर्तबा रखते हैं

कुछ आज से नहीं

हमेशा से , क़दीम से

दम भर में कुछ दम भर में कुछ

रुक: दम भर में तौला अलख , हर घड़ी बदलने वाले

ऊँघते को सो जाते कुछ देर नहीं

जिस बात के अस्बाब मौजूद हैं इस को वजूद में आते क्या देर लगती है

गाँठ गिरह कुछ नहीं

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ तुम समझे कुछ हम समझे

वक़्त गया बात गई, राज़ की बात को दिल में रखू ज़ाहिर ना होने दो, हमारा तुम्हारा लेखा जो खा बराबर है, हिसाब-ए-दोस्ताँ दर-ए-दिल

मुँह पर कुछ , दिल में ख़ाक नहीं

महिज़ ज़ाहिरदारी है, ज़बानी बातें बनाते हैं

कुछ नहीं हो सकता है

किसी का कुछ नहीं जाता

किसी का कुछ क्षति नहीं होता, अपना ही क्षति, हानि होता है

कुछ खो के सीखते हैं

हानि उठा कर के ही सीख मिलती है

ये तो कुछ बात नहीं

۔ये ग़लत है ।

किसी का कुछ नहीं चलता

किसी की पेश नहीं जाती, क़ाबू और इख़तियार से बाहर है

रंग-ढंग कुछ और होना

हालत दूसरी होना, नक़्शा दूसरा होना, नया अंदाज़ होना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सभी-कुछ के अर्थदेखिए

सभी-कुछ

sabhii-kuchhسَبھی کُچھ

English meaning of sabhii-kuchh

  • lock, stock and barrel

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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