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ये दिन सब के लिये है

मरना सब को है, ये दिन लाज़िमी है , रुक : ये दिन सब को धरा है

ये दिन सब के वास्ते है

۔मरना सब को ज़रूर है

सब दिन ख़ुदा के हैं

जब सौभाग्य और दुर्भाग्य को किसी विशेष दिन से निर्धारित करते हैं तब कहते हैं

किस दिन के लिए उठा रखा है

कब के लिए मुल्तवी किया है, कुर्ते क्यों नहीं

सब दिन चंगा 'ईद के दिन नंगा

जब कोई वक़्त के मुनासिब और इस के मुताबक़ काम नहीं करता तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

ये दिन सब को धरा है

सब को एक दिन ज़रूर मरना है, यह दिन सब के लिए है

सब दिन चंगा तेहवार के दिन नंगा

जब कोई वक़्त के मुनासिब और इस के मुताबक़ काम नहीं करता तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

ख़ुदा सब के लिए और बंदा अपने लिए

आदमी ख़ुदग़रज़ होता है, ख़ुदा सब का मुरब्बी-ओ-निगहबान होता है

क़िस्मत सब की सब के साथ होती है

हर एक की तक़दीर अलग होती है, हर शख़्स का मुक़द्दर अलग अलग होता है

सब जीते जी के झगड़े हैं ये तेरा ये मेरा है जब चल बसे इस दुनिया से ना तेरा है ना मेरा है

सब हाथ लिए बैठे हैं

सब तुम्हारा इंतिज़ार कर रहे हैं, किसी ने खाना नहीं खाया

शादी-ग़मी सब के साथ है

साँचा सब के मन से उतरता है

सच्चा आदमी सब को बुरा लगता है

दिन के तीन सो साठ दिन हैं

आज बदला न ले सके तो उम्र पड़ी है कभी न कभी बदला लेने का अवसर मिल ही जाएगा, आज नहीं, तो फिर देखा जाएगा, हम बदला लेकर रहेंगे

तौबा बड़ी सिपर है गुनहगार के लिये

प्रायश्चित्त एवं तौबा करने से गुनहगार सज़ा से बच जाता है, उसके लिए प्रायश्चित्त एवं तौबा बड़ी ढाल है

काल के मुँह में सब हैं

सब को मौत आकर रहती है

सब-दिन

हर रोज़, हर वक़त, हमेशा, सदैव, सदा

सूई के नाके से सब को निकाला है

सब को फ़रमांबरदार बनाया है, सब रहम-ए-मादर से निकले हैं और सब का दर्जा बराबर है, मुशकलात का सामना सब को पड़ा है

आग के आगे सब भसम हैं

आग के उगे जो चीज़ आ जाएगी जल कर रहेगी

सब अपनी गों के यार होते हैं

सब अपने मतलब के होते हैं

क़सम खाने ही के लिए है

दग़ाबाज़ लोग क़सम खाने की कुछ पर्वा नहीं करते, झूटों का मक़ूला है कि क़सम खाने कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता झूटी हो या सच्ची

भली बुरी सब के साथ है

हर शख़्स की क़िस्मत में अच्छी बरी बातें होती हैं

जीते जी के सब हैं

ज़िंदगी के सब साथी हैं

जब च्यूँटी के मरने के दिन क़रीब आते हैं तो उस के पर निकलते हैं

आदमी ख़ुद अपनी मुसीबत को दावत देता है, ऐसा काम करने के मौक़ा पर बोलते हैं जिस का अंजाम ख़राबी हो

बेटा बन के सब ने खाया है , बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बिन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बिन कर नहीं, ख़ुशामद से सब कुछ हासिल होजाता है ज़बरदस्ती (और धौंस से) नहीं मिलता

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

ज़िंदा का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

काल के आगे सब लाचार हैं

मौत सब को बेबस करदेती है

धन के पंद्रह मगर पचीस, चिल्ले के दिन हैं चालीस

धन इस बुरज का नाम है जिस को क़ौस कहते हैं और मगर कोई हिदी बोलते हैं, जब आफ़ताब इन बुर्जों में आता है तो हिंद में मौसिम-ए-सर्मा होता है पस कोई काम वक़्त मसना पर ना होसके तो ये फ़िक़रा बोलते हैं

सब ऐक ही नाव के सवार हैं

सब की हालत एक ही जैसी हो तो कहते हैं

दिन 'ईद शब शब-ए-बरात

हरवक़त ख़ुशी और ऐश-ओ-आराम होने के मौक़ा पर मुस्तामल

तस्मे के लिये भैंस मारना

अपने थोड़े से फ़ायदे के लिए दूसरे का बड़े से बड़ा नुक़्सान कर देना या अदना बात के वास्ते बड़ा नुक़्सान उठाना

सब के सब

तमाम, कुल, सारे के सारे

तुलसी पैसा पास का सब से नीको होय, होते के सब कोय हैं, अन-होते की जोय

गाँठ का पैसा ही काम आता है

पेट तो सब के साथ लगा हुआ है

हर एक को खाने की ज़रूरत पड़ती है

हजाम के आगे सब का सर झुकता है

बाअज़ काम हर एक को मजबूरन करने पड़ते हैं

आदमी अपने मतलब के लिए पहाड़ के कंकर ढोता है

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए हर प्रकार के कष्ट सहता है

दिन रोज़-ए-'ईद रात शब-ए-बरात

भूक प्यास अल्लाह ने सब के साथ लगा दी है

एहतियाज हर शख़्स के लिए है , हर शख़्स को खाने पीने की ज़रूरत होती है

हुक्म के साथ सब कुछ मौजूद है

हाकिम के लिए सब चीज़ तैय्यार है, हुक्म ही हर चीज़ आजाती है

जिस के लिए चोरी की वही कहे है चोर

जिस की ख़ातिर बदनाम हुए वही नफ़रत करता है

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागो हैं

दोस्ती, रिश्तेदारी सब ज़िंदगी के साथ है, मौत के बाद कोई साथ नहीं देता

बनी के सब साथी हैं बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे वक़्त में सब दोस्त होते हैं बुरे वक़्त में कोई ख़बर नहीं लेता

हल्वा खाने के दिन हैं

दाँत टूट चुके ही, बुढ़ापा आगया है बहुत बूढ़े आदमी की निसबत कहते हैं

हम अभी से फ़ातिहा के लिए हाथ उठाते हैं

(महिला) जब कोई झूट-मूट मरने की धमकी देता है तो औरतें कहती हैं

साथ के लिये भात चाहिये

बे ख़र्च किए रफ़ीक़ नहीं मिलता

सब जीते जी का झगड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

दिन 'ईद रात शब-ए-बरात

हर समय ख़ुशी और विलासिता के लिए प्रयोग किया जाता है, रात-दिन कि विलासिता

ये-दिन

ऐसे बुरे दिन, ऐसे अच्छे दिन, अच्छे और बुरे दिन के लिए प्रयुक्त होता है

हया-दार के लिए ऐक चुल्लू काफ़ी है

ग़ैरत दिलाने के लिए कहते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरे हैं

तंगदस्ती या परेशांहाली हमेशा नहीं रहती

सब ऐक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं

सब एक जैसे हैं, इन में कोई फ़र्क़ नहीं

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

पिया मेरा अंधा किस के लिये करूँ सिंगार

जब कोई कद्रदान ना हो तो क्यों मेहनत करूं (आम तौर पर औरत अपने नाक़द्र शनाश ख़ावंद की निसबत बोला करती हैं)

उमंगों के दिन

जवानी के दिन, आशाओं और इच्छाओं के दिन

रंग के दिन

मुर्ग़ी के लिये तकले का ज़ख़्म भी बहुत होता है

रुक : मुर्ग़ी को तकले का घाओ बस अलख

साथ के लिए भात छोड़ा जाता है

अच्छे रफ़ीक़ के लिए अपने नफ़ा की परवाह नहीं की जाती

साथ के लिए भात छोड़ा जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ये दिन सब के लिये है के अर्थदेखिए

ये दिन सब के लिये है

ye din sab ke liye haiیِہ دِن سَب کے لِیے ہے

वाक्य

ये दिन सब के लिये है के हिंदी अर्थ

  • मरना सब को है, ये दिन लाज़िमी है , रुक : ये दिन सब को धरा है
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یِہ دِن سَب کے لِیے ہے کے اردو معانی

  • مرنا سب کو ہے ، یہ دن لازمی ہے ؛ رک : یہ دن سب کو دھرا ہے ۔

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