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क्यों
किस अधिकार से। जैसे-तुमने यह फल क्यों तोड़ा ?
क्यूँ
किस अधिकार से। जैसे-तुमने यह फल क्यों तोड़ा ?
क्यों का
کہیں کا ، تحقیراً مستعمل .
क्यों नहीं
why not? surely, certainly, of course
क्यों-जी
اپنے برابر والے سے پُوچھنے کے وقت کہتے ہیں، بے تکلفی کا کلمہ، کیا بات ہے
क्यूँ न हो
शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो
क्यूँ-कि
कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि
क्यों आए हो
मुलाक़ात के समय मित्र से शिकायत व्यक्त करने के लिए इस प्रकार के वाक्य प्रयुक्त
क्यों हम न कहते थे
didn't I/we tell or warn you?
क्यों मरे जाते हो
۔ کیوں گھبرائے جاتے ہو۔ جلدی کیا ہے۔ ؎
क्यों मग़्ज़ खाता है
۔چُپ رہو۔ بک بک نہ کر کہ جگہ مستعمل ہے۔
क्यों कही क्यों कहाई
जैसी कहोगे वैसी ही सुनोगे, न किसी को बुरा कहो न बुरा कहलाओ
क्यों कही और क्यों कहाई
जैसी कहोगे वैसी ही सुनोगे, न किसी को बुरा कहो न बुरा कहलाओ
क्यों सेर
किस भाव पर है, कितने सेर है
क्यों गूह में ढेला डालो क्यों छीटें लो
जैसा करोगे वैसा भरोगे, बुरे काम का बुरा अंजाम होता है, बिलावजह अपने सर क्यों मुसीबत मूल लो
क्यूँ साहब न कहोगे
हमने ऐसा काम किया कि शाबाशी चाहिए, फ़ख़्र के रूप में कहते हैं
क्यों कैसी कही
कैसी निराली बात कही, कैसी अनोखी बात कही, किसी बात पर दाद वसूल करने के मौक़ा पर बोलते हैं
क्यों न होवे चुड़ैल बनीनी, जिसके बड़े महाजिन हैं
जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं
क्यों जान खाता है
तुम क्यों परेशान करते हो, क्यों तंग करते हो
क्यों न होवे चुड़ैल बन्यानी, जिसके बड़े महाजिन हैं
जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं
क्यों अंधा न्योता जो दो जने आवें
ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े
क्यों अंधा न्योता जो दो जने आएँ
ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े
क्यों जान जाती है
इतनी सी बात पर क्यों बेचैन और मुज़्तरिब हो
क्यों गू खाता है
जान बूओझ कर क्यों ग़लत काम करते हो, क्यों झूओट बोलते हो
क्यों गू खाते हो
जान बूओझ कर क्यों ग़लत काम करते हो, क्यों झूओट बोलते हो
क्यों मग़ज़ खाते हो
क्यों बेकार की बातें करते हो, क्यों बकवास करते हो
क्यों दम निकलता है
किस लिए मरा जाता है, किस लिए घबराया जाता है, तुझे क्या पड़ी है, तुझे क्या गर्ज़ है
क्यों जान निकलती है
इतनी सी बात पर क्यों बेचैन और मुज़्तरिब हो
क्यों दाँत निकालता है
बेमौक़े पर क्यों हँसते हो
क्यों आसमान पर ढेले फेंकता है
क्यों बेकार की बातों में समय गँवाता है, ऐसी इच्छा करना जो पूरी न हो
क्यों चबा चबा कर बातें करता है
क्यों तंज़ करते हो, क्यों उतराते हो
क्यों चबा चबा कर बातें करते हो
क्यों तंज़ करते हो, क्यों उतराते हो
क्यों गूलर का पेट फड़वाता है
पोशीदा उयूब क्यों ज़ाहिर कराता है
क्यों आँखों में ख़ाक डालते हो
किस लिए धोका देने की कोशिश करते हो
क्यों चीं चीं करता है
क्यों बेवजह शिकायत करते हो
क्यों काँटों में घसीटते हो
अकारण क्यों लज्जित करते हो, कोई अधिक प्रसंशा करे तो जवाब में कहते हैं
क्यों चीं चीं करते हो
क्यों बेवजह शिकायत करते हो
क्यों बहिश्त में लातें मारते हो
बुरे काम से क्यों नहीं बचते, क्यों पाप करते हो, अंत क्यों ख़राब करते हो
क्यों गड़े मुर्दे उखड़वाता है
क्यों छिपे हुए ऐब ज़ाहिर करवाता है
हर क्यों
ہر طرح ، کسی طرح ، چاہے کچھ ہو ، کسی نہ کسی طرح ۔
न जाने क्यों
क्या वजह है , मालूम नहीं क्यों (अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रब्त कलाम के लिए कहते हैं
मरता क्यों है
ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई बहुत बेचैनी या फ़िक्र का इज़हार करे
हुन बरसे तो क्यों तरसे
ईश्वर दे तो क्यों मन ललचाए, अल्लाह अलौकिक रूप से दे तो तरसते क्यों हो
तुम सदक़े क्यों न हुए थे
دوست سے اظہار نفرت یا اظہار الفت کے وقت بھی بطور استعارہؑ عداوت آمیز بولتے ہیں
तू क्यों चलता है
तू क्यों ईर्ष्या करता है या बुरा मानता है
हाँ जी क्यों नहीं
ज़रूर, यक़ीनन, बिलाशुबा नीज़ (तंज़न) नहीं, बिलकुल नहीं
होते ही क्यों न मरे
जन्म लेते ही मर जाना अच्छा होता, यह बदनामी तो नहीं होती, नालायक़ कहलाते हैं
मेरी खाल क्यों खसोटता है
मुझको क्यों आरोपी करता है