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कौड़ी में तीन मज़े
खट्टे की फांक बेचने वाले की आवाज़ जिस से मुराद ये है कि एक कोड़ी में खट्टे की फांक देता हूँ, जिस में नमक मिर्च और तुरशी तीन हैं
तन बदन में जान नहीं नाम ज़ोर-आवर ख़ान
ताक़त होनी चाहीए नाम का क्या फ़ायदा, लियाक़त से ज़्यादा शेखी बघारने के मौक़ा पर बोलते हैं
घी खावत बल तन में आवे, घी आँखन की जोत बधावे
घी खाने से शरीर में बल आता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है
वही बड़ा जगत में जिन करनी के तान, कर लेना है अपना महाराज भगवान
وہ دنیا میں بڑا آدمی ہے جس نے نیک کام کر کے خدا کو اپنا کر لیا
तीन में, न तेरह में
۔اس شخص کی نسبت بولتےہیں جس کی کہیں پوچھ گچھ، عزّت نہ ہو۔ مثال کے لیے دیکھو تین تیرہ۔
तन-बदन में जान नहीं, नाम ज़ोर-आवर-ख़ाँ
बहुत दिखावा करना, शरीर में शक्ति नहीं परंतु बुरा स्वभाव ऐसा है कि हर व्यक्ति से झगड़ा करते रहते हैं
वादी-ए-तन'ईम
a place about seven kilometers from Mecca where the pilgrims return from the Haram for Umrah and wear the Ihram
तीन बुलाए तेरह आए दे दाल में पानी
जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए
बारह में तीन गए तो रही ख़ाक
वर्षा तीन महीने होती है यदि इन तीन महीनों में न हो तो ज़मीनदार उजड़ अर्थात बर्बाद हो जाता है
क़ब्र में तीन दिन भारी होते हैं
क़ब्र में तीन दिन तक मुर्दे का हिसाब किताब होता है जो बहुत कठिन पड़ाव माना जाता है
बारह में तीन गए तो रहे क्या ख़ाक
वर्षा तीन महीने होती है यदि इन तीन महीनों में न हो तो ज़मीनदार उजड़ अर्थात बर्बाद हो जाता है
न तीन में, न तेरा में
किसी गिनती या शुमार में नहीं (किसी को बेवुक़त या लाताल्लुक़ ज़ाहिर करने के मौके़ पर कहते हैं
तन पर चीज़ न घर माँ नाज , दूसरे का रूपा गाज
इस शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अपनी हैसियत से बढ़ कर काम करना चाहे
तीन तरी में तेरा गज़
तीन बकरियों की खाल तेरह गज़ में फैलाई जा सकती है, थोड़ी चीज़ से बहुत सा काम लिया जा सकता है
तीन दिन क़ब्र में भी भारी होते हैं
मरने के बाद तीन दिन तक क़ब्र में फ़रिश्ते हिसाब लेते हैं, अर्थात यह है कि दुनिया के बखेड़े बहुत हैं, मनुष्य को ईश्वर की याद हर समय करनी चाहिए, मरने के बाद भी आदमी का परेशानियों से पीछा नहीं छूटता
क़ब्र में भी तीन दिन भारी होते हैं
क़ब्र में तीन दिन तक मुर्दे का हिसाब किताब होता है जो बहुत कठिन पड़ाव माना जाता है
अफ़ीमची तीन मंज़िल में पहिचाना जाता है
अफ़यूनी दूर से पहचान लिया जाता है, किसी भी प्रकार के नशेड़ी की स्थिति कभी छिपी नहीं रहती है
तीन दिन गोर में भी भारी होते हैं
क़ब्र में तीन दिन तक मुर्दे का हिसाब किताब होता है जो बहुत कठिन पड़ाव माना जाता है
तीन दिन गोरू में भी भारी हैं
क़ब्र में तीन दिन तक मुर्दे का हिसाब किताब होता है जो बहुत कठिन पड़ाव माना जाता है
उठा बबूला प्रेम का तिन का चढ़ा अकास, तिन का तिन में मिल गया तिन का तिन के पास
आदमी मर गया एवं आत्मा जहाँ की थी वहाँ चली गई, हर वस्तु अपनी वास्तविक्ता की ओर पलटती है
टाट की अंगिया मूँज की तनी, देख मेरे देवरा मैं कैसी बनी
जब कोई सब काम बेजा और बे ढंगे करे और इस पर इतराए भी इस वक़्त ये मिसल बोलते हैं
तीन में न तेरह में न सेर भर सूतली में, तीन न तेरह न सुतली की गिरह
निकम्मा, अमान्य, जो किसी गिनती में न हो
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