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رِثائی

غم اور موت سے متعلق، ماتمی

ظَرْف

برتن

تِہائی

کسی چیز کے تین حصّوں میں سے ایک حصّہ، تیسرا حصّہ، ثُلث

لَعْنَت

لعن، پھٹکار، نفریں

قَہْر ڈھانا

کسی پر کوئی آفت لانا، ظلم کرنا، قہر توڑنا

مَزدُور

اجرت پر محنت و مشقت کا کام کرنے والا، تجارت اور صنعت کے شعبوں میں جسمانی محنت کا کام کرنے والا، دوسروں کے کھیتوں میں اجرت پر کام کرنے والا، محنت فروش

چَلے نَہ جائے آنگَن ٹیڑھا

کام کا سلیقہ نہ ہونے کے سبب دوسرے کو الزام دینا

آگے ناتھ نَہ پِیچھے پَگا

جس کے آگے پیچھے کوئی نہ ہو، جس کا اپنا کوئی نہ ہو، لا ولد، لاوارث، اکیلا دم

ساحِر

جادوگر، ٹونے ٹوٹکے کرنے والا

کُڑمائی

شادی کا پیغام، شادی طے کرنا، رشتہ کرنا

نَظَر بَھر دیکھنا

بھرپور نظر سے دیکھنا، غور سے دیکھنا

خواجَہ تاش

ایک مالک کے دو یا زیادہ غلاموں یا نوکروں میں سے ہر ایک (ایک دوسرے کے لیے)

مَیّا

کرم، مہربانی، عنایت، رحم

قَفَس

(پرندوں كا) پنجرا، كابک

حسنِ طَلَب

کسی شے کو اشارہ اور کنایہ سے مانگنا، مثلاً کسی کی گھڑی پسند آئے تو اس کی تعریف کرنا

بَسَر

گزر، گزران، نباہ

بَسَر اَوْقات

زندگی کے دن (کسی نہ کسی طرح) کاٹنے کا عمل، گزر بسر، معاش و معیشت، گزران، گزر اوقات، گزارہ، رفع ضرورت، وجہ معیشت، قوت بسری، پرورش، روٹی کا سہارا

مُنْتَشِر

بکھرنے والا، پھیلنے والا، پراگندہ، بے ترتیب، تتربتر

پِنَک

وہ غنودگی یا اون٘گھ جو افیون یا پوست کے ڈوڈے وغیرہ یا کسی اور نشہ کے استعمال سے ہوتی اور اس میں گردن جھکی رہتی ہے یا آدمی اون٘دھ جاتا ہے، پینک

آنکھ اوٹ پَہاڑ اوٹ

جو چیز آنکھ کے سامنے نہ ہو اگر وہ قریب ہو تب بھی دور ہے

"दर्शन शास्त्र" टैग से संबंधित शब्द

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संबदा

(फ़लसफ़ा) रची बसी सलाहीयत, रग रग में जारी-ओ-सारी क़ुव्वत

सुंबिदया

(फ़लसफ़ा) ख़ुदा और रूह का ताल्लुक़, ख़ुदा से निस्बत, रोओ हानि रिश्ता

'अक़्ल

बुद्धि, धी, प्रज्ञा, मेधा, सूझ-बूझ, चतुरता, होशयारी, विवेक, तमीज़

'अक़्ल-ए-अव्वल

पैग़ंबर मुहम्मद साहब का नूर

'अक़्ल-ए-आ'ला

(फ़लसफ़ा) रुक : अक़ल अव़्वल

'अक़्ल-ए-इलाही

(दर्शनशास्त्र) अल्लाह ताला

'अक़्ल-ए-इंसानी

वह बुद्धि जो मनुष्य के लिए विशिष्ट है

'अक़्ल-ए-फ़'आल

ख़ल्लाक़-ए-ज़हानत, बाअमल ज़हानत , (फ़लसफ़ा) वो अक़ल जो अक़ल हयूलानी या अक़ल बालक़ৃ में फ़ालीत पैदा करदेती है या उस को अक़ल बिलफ़ाल का दर्जा देती है, मुराद : दसवीं फ़रिश्ते का नाम , जिब्रील नूर-ए-मुहम्मदी सिल्ली अल्लाह अलैहि वाला वसल्लम , अर्श-ए-आज़म

'अक़्ल-ए-बसीत

(फ़लसफ़ा) अक़ल का वो दर्जा जिस में वो इन तमाम मालूमात-ओ-माक़ूलात से जिन का हुसूल नफ़स में बिलफ़ाल होचुका होता है मुत्तहिद होती है, इस दर्जा में अक़ल कसरत-ओ-तफ़सील से पाक होती है

'अक़्ल-ए-मुफ़ारिक़

(फ़लसफ़ा] अक़्ले कुल; आलमे बाला

'अक़्ली

(दर्शन) सारहीन और सार

'अक़्ली-वुजूद

(दर्शन शास्त्र) अतात्विक अस्तित्व, बिना तत्व का अस्तित्व या वास्तविकता

अख़्लाक़

‘खुल्क का बहु., परन्तु उर्दू में एक- वचन के अर्थ में प्रयुक्त है

अबिद्या

(हिंदू दर्शन) नफ़्स-उल-अमरी के अस्तित्व की अज्ञानता जो पतंजलि के योग शास्त्र के अनुसार मानव दुख और पीड़ा के कारणों में से एक है, बेइल्मी, जहालत

'अमलियत

कार्य करने की क्रिया या दशा

अरस्ता-तालीस

(मजाज़न) दाना

अश्काल

मुख़्तलिफ़ सूरतों या हैयतें जो माद्दा इख़तियार करता है

अशा'इरा

मशहूर मुतकल्लिम अबुलहसन अली अशअरी (८७३ - ह९३ए) के मुक़ल्लिद और उन के मसलक पर चलने वाले मुतकल्लिमीन का एक गिरोह (जिस ने दलायल के साथ फ़िर्क़ा मोतज़िला के बुनियादी अक़ाइद वसाइल का रद्द किया) , अशअरीया, मा तुरीदी (फ़िरक़े) की ज़िद

आ'यान

'ऐन का बहुः, उच्च, कुलीन, बड़े-बड़े लोग, प्रतिष्ठित जन, महान् व्यक्ति, अश्ख़ास, अकाबिर, उमरा

'आलम-ए-इब्दा'

(फ़लसफ़ा) दुनियाए ईजाद-ओ-इख़तिरा, ऐसी, दुनिया जहां माद्दे की मदद के बगै़र अश्या का वजूद तस्लीम किया जाता है

'आलिम

किसी ज्ञान में श्रेष्ठता, वैशिष्ट्य या महारत का प्रमाण रखने वाला, बहुत ज्ञानी व्यक्ति, बहुत पढ़ा-लिखा व्यक्ति

आसारियत

(फ़लसफ़ा) वो नज़रिया है जिस में सूरी मवाद इलम एक मज़हर या असर है यानी कोई ऐसी शैय जो अज़रवे मौज़ू-ओ-मारूज़ दोनों तरह से मुक़य्यद और मशरूत है

इज़ाफ़ी

(क़ानून) वो ज़ाबता जो असली क़ानून की ठीक कार्रवाई कराने के लिए बनाया गया हो

इम्तिदादात-ए-सलासा

(फ़लसफ़ा) तूल-ओ-अर्ज़-ओ-उमुक़

'इल्म-उल-अख़्लाक़

नीतिशास्त्र।

'इल्म-ए-अख़्लाक़

नीतिशास्त्र

'इल्म-ए-इलाही

धर्मशास्र

'इल्म-ए-हुज़ूरी

(फ़लसफ़ा) वो इलम जिस में किसी चीज़ का इन्किशाफ़ ख़ुद इस चीज़ की ज़ात ही से होता है . इल्म-ए-हुज़ूरी में इदराक करने वाले के ज़हन के सामने मुद्रिक की तस्वीर नहीं हुआ करती

'इल्लत

(तसव़्वुफ) तनबीहा हक़ को कहते हैं जो बंदे के वास्ते है ख़ाह वो किसी सबब से हो या नहू

इशराक़ीन

वो हुकमा जो सफ़ा य बातिन के बाइस मकाशफ़े और मराक़बे के ज़रीए दूर ही से तालीम-ओ-ताल्लुम करते थे (बर ख़िलाफ़ मश्शाईन के कि वो एक दूसरे के पास जाकर इलमी इसरार-ओ-रमूज़ मालूम करते थे, अफ़लातून और बक्ऱात का शुमार इशराक़ी हुकमा में होता है)

उमूर-ए-'आम्मा

जनसाधारण के हित सम्बन्धी कार्य।।

'उलूम-ए-अस्लिया

(दर्शन शास्त्र) मूल से संबंधित या संबद्ध

'उलूम-ए-इलाहिया

(फ़लसफ़ा) वो उलूम जो अलाहीअत से मुताल्लिक़ हूँ, वो उलूम जो ज़ात-ओ-सिफ़ात-ए-बारी से बेहस करते हैं

ए'तिदाल-पसंदी

वह राजनीतिक विचारधारा जो प्रगति एवं सुधार को महत्त्व देती है, उदारवाद, औदार्य

ऐन

दर्शन शास्त्र: किसी वास्तु की क्षमता

'ऐन

गाय भैंस का थन

'ऐनियत

(दर्शनशास्त्र) वास्तविक्ता, अंतरात्मा, आत्मा, केवल अपना व्याक्तित्व

कपिल

ताँबे के रंग जैसा, भूरे या मटमैले रंग का, तामड़ा

कमाल

चालाकी, धूर्तता

कमालियत

परिपूर्ण होने की अवस्था या भाव, परिपूर्णता, कौशल, शिल्प आदि में होने वाली दक्षता या निपुणता

क़ानून-ए-फ़ितरत

(दर्शनशास्त्र) प्रकृति की विशेष स्थितियों के बीच अपरिवर्तनीय क्रम का दुरूस्त बयान

क़ार

बर्फ, तुहिन।

ख़ुद-श'ऊरी

स्वयं को पा लेने की स्थिति, अस्तित्व का आभास, आत्म-ज्ञान

गुण

(हिंदसा) क़ौस का वित्र

ग़ाइय्यत

मक़सदीयत, (फ़लसफ़ा) ये नज़रिया कि कायनात के तमाम तग़ी्यरात किसी ग़ायत या मक़सद से वाक़्य होते हैं

ग़ाइय्यात

(दर्शन) ब्रह्मांड में परिवर्तन के उद्देश्य और विषय पर चर्चा

ग़ायत-ए-'आम

(फ़लसफ़ा) वो मक़सद जो मुतअद्दिद तरीक़ों से हासिल होसके

ग़ायत-ए-क़रीबा

(फ़लसफ़ा) क़रीब का मक़सद, वो मक़सद जो फ़ौरी तौर पर मदउ नज़र हो

ग़ायत-ए-ख़ास

(दर्शन) वो उद्देश्य जो मात्र एक तरह से प्राप्त होसके

ग़ायत-ए-ब'ईदा

(दर्शनवाद) दूर का उद्देश्य, वह उद्देश्य जो तुरंत उद्देश्य के बाद प्राप्त हो

ग़ासिक़

चंद्रमा, चाँद, कृत्तिका नक्षत्र, पर्वी, शिश्न, लिंग

जदलिय्यत

द्वंद्वात्मक तर्कपद्धति

जदलिय्यात

(जदीद फ़लसफ़ा) तन्क़ीद मा बाद अलतबीआत, मा बाद अलतबीअई मसाइल के क़ज़यों की बेहस, बाहम मुख़ालिफ़ समाजी कुव्वतों वग़ैरा का वजूद या अमल

जुनूँ-इलाही

(दर्शन शास्त्र)जिन्नों की दो मूल प्रकारों में से एक जिसका सम्बंध ईश्वर से होता है

जुनूँ-बशरी

(फ़लसफ़ा) जुनून की दो बुनियादी किस्मों में से एक क़िस्म जिस का ताल्लुक़ इंसान की ज़ात से हता है

जर्रा

किसी वस्तु का बहुत छोटा टुकड़ा। अणु। कण।

ज़ेहन-परस्ती

(फ़लसफ़ा) मसालेत पसंदों का ये नज़रिया कि मादा हक़ीक़ी नहीं बल्कि ज़हन या ख़्याल ही हक़ीक़ी है और मादा महिज़ इस का अक्स है

ज़ेहनिय्यत-पसंद

(फ़लसफ़ा) माद्दी दुनिया के मुकाबले में ज़हन को हक़ीक़ी मानने का नज़रिया रखने वाला, ज़हनीयत पसंदी का क़ाइल

ज़ेहनिय्यत-पसंदी

(फ़लसफ़ा) वो नज़रिया जो माद्दी दुनिया के मुकाबले में ज़हन को हक़ीक़ी क़रार देता है

जिस्म-ए-मुत्लक़

(फ़लसफ़ा) माद्दा सानिया, अख़वान उलसफा के मंतक़ी ख़्यालात में आठ बस्तीयों में से एक हो ख़ुदाए वाहिद मुतलक़ को मिला कर जो हर चीज़ में है और हर चीज़ के साथ है आदाद असली के मुसावी नौ असली बस्तीयों का शुमार पूरा करती हैं

जिस्म-ए-मुहद्दद-ए-जिहात

(दर्शन शास्त्र) वह शरीर जिसके लिए स्थान के परित्याग की आवश्यक्ता नहीं

जौहर-ए-फ़र्द

विश्व-भर में एक, सबसे अलग, अतुलनीय, बेमिसाल

त'अम्मुदिय्यत

(फ़लसफ़ा) वो फ़लसफ़ियाना नज़रिया जो इरादे को ज़हनी वजूद की क़ुव्वत का मब्दा-ए-मक़ूम मानता है

तअम्मुली-फ़ल्सफ़ा

उस मनोविज्ञान का दर्शन जिसके आधार पर निरीक्षण व्यक्तित्व पर हो, अन्तर्दर्शन, आत्मनिरिक्षण दर्शन

तंक़ीदी-हक़ीक़िय्यत

(फ़लसफ़ा) वो हक़ीक़ीत जिस का ताल्लुक़ किसी चीज़ के खोटे खरे के परखने से मुताल्लिक़ हो, तन्क़ीदी सच्चाई

तजर्रुद

अकेलापन, तनहाई, स्त्री के बिना जीवन व्यतीत करना, संन्यास, वैराग्य, दरवेशी संसार से विरक्ति, निस्पृहता, नग्नता नंगापन

तनाही

(फ़लसफ़ा) जहालत का महिदूद होना , तही करना, इबताल , किसी चीज़ को रोकना

तफ़ारुक़

एक दूसरे से जुदा होना, पृथक्ता, अलाहिदगी

तब'ई

अ. वि. स्वाभाविक, प्राकृतिक, नेचुरल, “अय शम्भा तेरी उम्र तबई (तबीई) है एक रात"-"जौक़'।

तबी'ई

एक वैज्ञानिक शाखा जिसमें शारीरिक परिवर्तनों और गुणों का विवरण होता है, शरीर धर्मशास्त्र

तश्क़ीक़

(फ़लसफ़ा) टकरे टकरे करना या होना, अलग अलग होना, मुतफ़र्रिक़ होना, तजज़िया करना

तस्ख़ीरी-हरकत

(दर्शनशास्त्र) वह गति जो मन के स्रोत से फूटे अर्थात मन प्रकृति को अपना सहायक और हथियार बना कर उस गति को पैदा करता है

तसबीब

، (फ़सलफ़ा) सबब, इलाक़ा इलेत यानी ये उसूल कि हर्ष य की इल्लत या अलल हैं

तसव्वुरिय्यत

(फ़लसफ़ा) ये अक़ीदा कि सारी दुनिया ज़हन या अज़हान या ज़हनी आमाल पर मुश्तमिल है, ईनीत, अंग : Idealism (माख़ूज़ : असास नफ़सियात, २१) , ये अक़ीदा कि कायनात का वजूद महिज़ बतौर ज़हनी तसव्वुरात के है, अंग : Conceptualism

ता'लील

(क़वाइद) हर्फ़-ए-इल्लत को ज़ाइल करना या बदल देना या किसी लफ़्ज़ के हर्फ़-ए-इल्लत को साकन या हज़फ़ करके इस में तख़फ़ीफ़ करना और तबदीली की वजह बयान करना

दक़ीक़ा

राज़, मर्म

दूरी

(तसव़्वुफ) मारुफ-ए-कैफ़यात पुर शऊर हो जा नेको कहते हैं और उसीको आलिम तफ़र्रुक़ा और दुक्का यक भी कहते हैं

दीन-ए-क़ाइमा

(धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र) माना हुआ, हावी, व्यावहारिक, मौजूद, माना हुआ

दौर

(मंतिक़) एक किस्म की दलील बार बार पेश करना

नज़रिय्या-'इलल

(फ़लसफ़ा) अरस्तू का एक नज़रिया जिस के तहत हर चीज़ या वाक़े के चार अवामिल या मुहर्रिकात इल्लत माद्दी, इल्लत-ए-सूरी, इल्लत-ए-फाइली और इल्लत-ए-ग़ाई होते हैं और उन चारों की कारफ़रमाई किसी अमर के लिए लाज़िम होती है

नज़रिया

ख़याल या अनुमान जिसके लिए प्रमाण लाए जाएँ, समस्या जिसमें अक़्ल से काम लिया जाए, कोई घटना या हक़ीक़त जिसके स्पष्टीकरण के लिए दलीलें पेश की जाएँ

नज़रियाती-इख़्तिलाफ़

वैचारिक मतभेद या अंतर

नज़री

(तदरीस) निसाब की तालीम, अस्बाक़ और लैक्चर के ज़रीये, इलमी (अमली की ज़िद), जो इतलाक़ी ना हो

नफ़्स-'आम्मा

(दर्शनशास्त्र) व्यावहारिक बुद्धि का कारण, एक ताक़त और अनुभूति

नाम-निहाद

नाम का, देखने का, दिखावटी अर्थात नक़ली, जिसकी बुनियाद केवल नाम पर हो

नाम-रूप

किसी वस्तु या व्यक्ति का वह नाम और रूप जिससे उसका परिज्ञान होता हो।

निर-बिचार

(लफ़ज़न) ग़ौर-ओ-फ़िक्र के बगै़र , (फ़लसफ़ा) किसी शैय का वो तसव्वुर जो उसे ज़मान-ओ-मकान की हदूद-ओ-क़यूद से बाहर रख कर किया जाये

नौ-अफ़लातूनियत

(फ़लसफ़ा) एक फ़िक्री-ओ-मज़हबी निज़ाम जो पल्लू टेनिस (Plotinus) के पैरौओं ने तीसरी सदी ईसवी में अफ़लातूनी और मशरिक़ी तसव्वुफ़ की आमेज़िश से तशकील दिया था जिस में मशरिक़ी तसव्वुफ़ के साथ अफ़लातूनी के अफ़्क़ार की आमेज़िश की गई, इशराक़ीयत, फ़लसफ़ा-ए-इशराक़ (Neo-Platonism)

नौ-तसव्वुरी

(फ़लसफ़ा) जदीद ईनीत पसंद नीज़ जदीद मसालीत पसंदों का

पेश-फ़र्ज़ी

(दर्शन शास्त्र) पूर्व-प्रस्तावित या निर्धारित, पूर्वधारणा, पूर्व-कल्पना, पूर्व मान्यता

पातंजलि

पतंजलि-संबंधी, पतंजलिकृत, (हिंदू) एक दार्शनिक जिसने योग की तालीम दी, योगदर्शन

फ़ज़्ली

शेष, (फ़लसफ़ा) जिस्म हो मुतग़य्यर और ज़वालपज़ीर हो (असली की ज़िद

फ़ज़्ली

शेष, (फ़लसफ़ा) जिस्म हो मुतग़य्यर और ज़वालपज़ीर हो (असली की ज़िद

फ़े'ल

(व्याकरण) क्रिया

फ़िक्र-ए-ख़ालिस

(दर्शनशास्त्र) विचार जो केवल भावनाओं के लिए विशिष्ट है, अमूर्त विचार

बसातत

(लफ़ज़न) फैलाव, वुसअत, (फ़लसफ़ा) बसीत या ग़ैर मुरक्कब होने की कैफ़ीयत, नाक़ाबिल तजज़िया होने की सूरत-ए-हाल

बसीरिय्यत

(फ़लसफ़ा) ये नज़रिया कि इलम का सीध अंदरूनी नूरानियत है

बिचार-अनुगत

(फ़लसफ़ा) अभ्यास की मुख़्तलिफ़ सूरतों में से एक सूरत जिस में आठ चीज़ों मसलन प्रकृत, महतत, अहंकार वग़ैरा में से किसी एक चीज़ का तसव्वुर किया जाये

बिछिप्त

(हिंदू फ़लसफ़ा) वो शख़्स जो सत के ग़लबे से मक़सद हासिल कर ले लेकिन फिर रज का ग़लबा हो जाने की वजह से महरूम हो जाये

बिभाग

(फ़लसफ़ा) इफ़्तिराक़, जुदाई जो कि नौ आराज़ में से एक अर्ज़ का नाम है

बो'द-ए-मफ़तूर

(फ़लसफ़ा) वो दूरी जो मौहूम ना हो बल्कि मौजूद और माद्दे से मुजर्रिद और बिज़ाता क़ायम हो, (अशरा क़ैन के नज़दीक) मकान

भूत

अस्तित्व में आ चुका या बन चुका हो, बना हुआ

मु'अल्लक़

(नबातीयात) वो बैज़ा दान जो बैज़ा ख़ाने के रास से नमूदार हो कर इस के कहफ़े में लटकता हुआ वाक़्य हो

मेकानिकियत

(फ़लसफ़ा) कल मज़ाहिर को महिज़ तबीअई हरकत का नतीजा समझने का नज़रिया या अक़ीदा

मक़ाम-ए-रूह

(फ़लसफ़ा) वो बेहस जिस में कहा गया है कि रूओह मसतद है या ग़ैर मसतद और जिस्म में ना होने की सूरत में इस का कोई महल-ओ-मुक़ाम भी है या नहीं

मख़्लूक़

ईश्वर की सृष्टि, दुनिया, ब्रह्मांड, संसार, हस्ती, विश्व, दुनिया जहाँ चीज़ें बनती-बिगड़ती रहती हैं

मज़हब-स'आदत

(फ़लसफ़ा) ऐसा नज़रिया जिस से अख़लाक़ के अक्सर निज़ामात का मवाद मंसूब हो सकता है (Eudemonism

मज़हर

जहां कुछ दिखाया जाए, प्रकट होने का स्थान, अखाड़ा, झांकी की जगह, तमाशे का मंच

मुज़हरियत

ज़ाहिर होने की हालत या कैफ़ीयत, मज़हर होना , (फ़लसफ़ा) एक नज़रिया जो मज़ाहिर की दुनिया से मावरा किसी हक़ीक़त के वजूद का इनकार तो नहीं करता मगर इस के काबिल इलम होने का इनकार करता है और इस तरह इलम के अजाअह को हैसियत और मज़ाहिर के मुम्किना मारूज़ात में महिदूद कर देता है जो ख़ुद नगरी के मारूज़ात हैं (Phenomenalism)

मज़ाहिर-परस्ती

(फ़लसफ़ा) रूह या नफ़स को असल हक़ीक़त मानने का नज़रिया, एक क़दीमी तसव्वुर जिस के मुताबिक़ एक क़ुव्वत जो ग़ैर माद्दी है लेकिन माद्दे से जुदा भी नहीं होती और वही माद्दे को शक्ल और हरकत अता करती है, बेजान चीज़ों में भी रूह होने का एतिक़ाद, रूह परस्ती

मन

एक सोने का सिक्का जो शहनशाह अकबर ने राइज किया था और इलाही और जलाली सकूं का ४ १ हिस्सा होता था

मफ़हूमा

फ़हम में आया हुआ, समझा हुआ , (फ़लसफ़ा) इंसान के ताल्लुक़ से वाक़ियात की ताबीर या इज़हार या इलम का वाक़्य होना

मंफ़ी

उल्टा, विपरीत अथवा विपरीत दिशा वाला (छवि, प्रतिक्रिया इत्यादि)

मुमासत

किसी चीज़ को छूना, छूत, साथ लेटना, संभोग

मुवाज़ात

मुक़ाबला, बराबरी, समानता

मुसबत

सकारात्मक

मसलूबी

(दर्शन) सल्ब की गई, छीनी गई

महकूमात

पायदार चीज़ें या उमूर् , (फ़लसफ़ा) अरस्तू के महमूलात की वो किस्में जो मौज़ूआत के ताबे हैं (मसलन : नौ, जिन्स, तारीफ़ अवारिज़-ओ-ख़वास वग़ैरा) नीज़ किसी इस्तिलाह की वो ज़ाती सिफ़ात और ख़वास जिन से वो पहचानी जाती है

मा'क़ूल-मंक़ूल

इलम अकली (फ़लसफ़ा-ओ-साईंस) और इलम नक़ली (तक़लीदी इलम)

मा'क़ूलियत

(दर्शन शास्त्र) अव्वलियत अर्थात प्राथमिकता, अव्वलियत की बहस

माद्दियत

पदार्थवाद, वस्तुवाद, यथार्थवाद

मा'नवी-आदम

(फ़लसफ़ा) वो आदमी जो अक़ल अव़्वल का हामी हो और इस के तक़ाज़ों को पूरा करता हो

मा'नवी-हव्वा

(फ़लसफ़ा) वो हस्ती जो नफ़स मुजमल की हामी हो यानी वो हस्ती जो मुंतख़ब की गई हो

मा-बा'दत-तबी'आत

वे वस्तुएँ जो प्राकृतिक वस्तुओं के अतिरिक्त है, ब्रह्मज्ञान, अध्यात्मविज्ञान

मा'रूज़

अर्ज किया हुआ, निवेदित, उक्त, कथित, प्रार्थनाएँ, लिखा गया

मा'रूज़ात

(इन्किसार से) अर्ज़ की हुई चीज़ें, गुज़ारशात, दरख़ास्तें , बयानात

मा'रूज़िय्यत

निष्पक्षतावाद, अनात्मवाद, वस्तुनिष्ठता

मा'लूल

(इलम हदीस) वो हदीस जिस में किसी तरह की इल्लत पोशीदा हो जो सेहत हदीस में क़दह करती हो

मिसालीत

(अदब) फ़न या अदब में ज़िंदगी को इस तरह पेश करने के बजाय जैसी कि वो है इस तरह पेश करना जैसी कि उसे होना चाहिए, ईनीत, आदर्श परस्ती, हक़ीक़त को मिसाल के ज़रीये समझने या पेश करने का रवैय्या, मजाज़ पसंदी, कामिल बीनी, कमाल नुमाई

मोनाद

(फ़लसफ़ा) अदद, वाहिद, इकाई , नाक़ाबिल इतक़सीम इकाई, जुज़ु इलाएतजज़ा, जौहर वाहिद (मसलन ऐटम, ख़ुदा, रूह) , (हयातयात) अव्वलीन इकाई या वो (फ़र्ज़ी) अव्वलीन नामियाती वजूद जिस से ज़िंदगी का आग़ाज़ हुआ

मौज़ू'

(लाक्षणिक) (किसी काम के लिए) बना हुआ, ठहराया हुआ

याँग

(लफ़ज़न) हाँ (चीनी फ़लसफ़ा) कायनात की दो कुव्वतों में से एक जो मुसबत ख़्याल की जाती है (यन (रुक) का नक़ीज़)

रब्बुन्नौ'

देवता, फ़रिश्ता

ला-'अक़्लियत

(फ़लसफ़ा) ग़ैर माक़ूलीयत पसंदी, एक नज़रिया जो अक़ल को जबलत, वजदान और ईमान के मुक़ाबले में मुस्तर्द करता है (अंग : Irrationalism)

ला-ज़ातियत

(फ़लसफ़ा अख़लाक़) अख़लाक़ी मक़ासिद का मौज़ू (फ़ाइल) की ज़ात के इलावा दीगर अफ़राद होने की सूरत-ए-हाल, अफ़राद (इंसान) का इजतिमा या उन की मुआशरत

ला-महदूद

जिसकी सीमाएँ निश्चित न हों, जो घेरा न जा सके, असीमित

लोक

कोई ऐसा स्थान जिसका बोध देखने से होता हो। जगह।

वुक़ूफ़

(शाब्दिक) ठहराव, क़ियाम

वेग

गति या चाल में होनेवाला जोर या तेजी। जैसे नदी का वेग अब कुछ कम होने लगा है।

वुजूद

अस्तित्व, जीवन, हस्ती, वजूद, उत्पन्न, शरीर, बदन

वुजूद-ए-इंतिज़ाई

(फ़लसफ़ा) शैय जिस का तसव्वुर ज़हन में हासिल होता है, वो शैय या ज़ात जिस का ताल्लुक़ माकूलात-ए-सानिया और एतबारी मफ़हूमात से हो

वुजूदियात

(दर्शनशास्त्र) तत्वमीमांसा की वह शाख़ा जो अस्तित्व की प्रकृति से संबंध रखती है, अस्तित्व और प्रकृति की विशेषता और स्वभाव का वैचारिक अध्ययन

वुजूदी

(फ़लसफ़ा) अश्या को इन की मारुज़ी शक्ल में देखने वाला, अश्या को हक़ायक़ ना कि तसव्वुरात की बुनियाद पर देखने वाला, हक़ीक़त परस्त नीज़ ये अक़ीदा रखने वाला कि मुजर्रिद तसव्वुरात मारुज़ी वजूद रखते हैं

वुजूबन

अनिवार्य रूप से, आवश्यक रूप से, आवश्यक रीति से, लाज़िमी तौर पर

वैशेषिक

वैशेषिक दर्शन का ज्ञाता या अनुयायी

वहदत-ए-ख़ालिसा

(फ़लसफ़ा) वहदत की खासियतों में से एक ख़ासीयत यानी इस के मुनफ़रद या अकेले या एक होने की सूरत-ओ-हालत

वहदत-ए-बारी

ज़ात ख़ुदावन्दी का एक होना, (फ़लसफ़ा) यह दृष्टिकोण कि जब ख़ुदा मौजूद था तो उसके अलावा कोई चीज़ मौजूद न थी

वहदत-ए-मुतलक़ा

(फ़लसफ़ा) एक ज़ात जो अपनी सिफ़ात के साथ क़ायम बिलज़ात हो, ज़ात-ए-वाहिद जो मारुज़ी हो ना कि इज़ाफ़ी या मोज़ूई , मुराद : ज़ात-ए-बारी ताला

वहदियत

(नफ़सियात) ये नज़रिया कि ज़हन और जिस्म बुनियादी तौर पर एक ही चीज़ के दो पहलू हैं और उन में कोई तफ़ावुत नहीं है

विजदानियत

(फ़लसफ़ा) ये नज़रिया कि बुनियादी हक़ायक़ ख़ुसूसन अख़लाक़ी ए-रस्त अलक़ा होते हैं

शु'ऊर-ए-तसलसुल

(दर्शन शास्त्र) चेतना की शक्ति जो लगातर अतीत के सभी (अच्छे और बुरे) अवलोकन और अनुभवों को स्मृति में सुरक्षित रखती है

शक

शंका, आशंका, संदेह, शुबहा, भ्रम, भ्रांति, वहम्

शक्ल-ए-'ऐनी

(फ़लसफ़ा) मुशाहिदा-ए-चसम ख़ुद अपनी आँखों से देखा हुआ

शर्रिया

(फ़लसफ़ा) क़ुनूती, यासियत पसंद

स'आदत

अच्छाई, सौभाग्य, ख़ुशक़िस्मती, सम्मान, भलाई, ख़ुशनसीबी

सुन

= सुन्न।

सुभाव

रंग ढंग, बनाओ, दस्तूर, आदत, मिज़ाज, फ़ित्रत, बेहतरी, ख़ुशअख़लाक़ी, अच्छे अख़लाक़ का, प्रकृति, दृष्टिकोण, चरित्र, शिष्टाचार

संस्कार

जन्म से लेकर मृत्यु तक किये जाने वाले वे सोलह कर्म जो धर्मशास्त्र के अनुसार द्विजातियों के लिए ज़रूरी हैं

हक़ीक़त

सच्चाई, तथ्य, वास्तविकता, असलीयत, यथार्थता, सत्यता, सच्चाई

हैजान-पसंदी

(फ़लसफ़ा) ये नज़रिया कि अफ़्क़ार महसूसात से तशकील पाते हैं, महसोसयात (अकलियत की ज़िद

हेतू

वजह से, सबब से

हद-ए-कामिल

(कलाम-ओ-फ़लसफ़ा) मुकम्मल ताय्युन, जामि-ओ-माने तारीफ़

हद-ए-रस्मी

(कलाम-ओ-फ़लसफ़ा) हद-ए-हक़ीक़ी की ज़िद, ऐसी तारीफ़ जिस में तार्रुफ़ की सिफ़त भी हो

हद-ए-लफ़्ज़ी

(कलाम-ओ-फ़लसफ़ा) लफ़्ज़ के मानी को मतई्ान करनेवाली हद, हद ताय्युन

हद-ए-हक़ीक़ी

(कलाम-ओ-फ़लसफ़ा) किसी वस्तु के सार को निर्धारित करने वाली सीमा

हुदूस-ओ-क़दम

नयापन और पुराना-पन, नित्यता और नश्वरता

हफ़

कपड़ा बनने का कारख़ाना

हमा-नफ़्सी

(फ़लसफ़ा) लाइबनीज़का फ़लसफ़ा कि सारी कायनात और इस का हर ख़फ़ीफ़ तरीन ज़रा एक नफ़सियाती या ज़हनी पहलू का हामिल होता है नीज़ ये कि कायनात में मौजूद हर शैय और मज़हर शऊर, ज़हन, रूह या ज़िंदगी का हामिल है, बैन अलनफ़सीत

हमा-रसी

(फ़लसफ़ा) एक वक़्त में हर जगह होने की हालत या कैफ़ीयत, हर ज़माने में होने की हालत

हरकत-ए-क़त'इय्या

(फ़लसफ़ा) वो हरकत जो मुम्तिद और मुत्तसिल है और मुसाफ़त और ज़माने पर मुंतबिक़ है

हरकिय्यत

(फ़ौज) नक़ल-ओ-हरकत का गुण अर्थात् प्रतिभा, हर स्थिति में तेज़ गति बनाए रखने की प्रक्रिया अथवा स्थिति

हुलूल-ए-तरयानी

(फ़लसफ़ा) अजज़ाए हाल अजज़ाए महल में ना आवें बल्कि कल, कल में आवे (जैसे नुक़्ता का हलूल ख़त में

हुस्न-ए-इज़हार

अभिव्यक्ति की सुंदरता, किसी बात को चीजों को खूबसूरती से पेश करने का तरीक़ा

हुसूली

फायदा, राजस्व

हिकमत-उल-इलाहिय्या

(फ़लसफ़ा) हिक्मत की एक क़िस्म जिस में इन उमूर से बेहस की जाती है जो अपने वजूद ख़ारिजी या ज़हनी में मादा के मुहताज ना हूँ (जैसे ख़ुदाए ताला और अक़ूल का इलम) (मुक़ाबिल-ए-हिकमत-ए-तिब्बी

हिक्मत-ए-'अमली

रणनीति, तदबीर (अवसर के अनुसार), परामर्श (स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार), कूटनीति, नीति, राष्ट्रीय रणनीति, पालिसी

हिकमत-ए-मशाई

(फ़लसफ़ा) हिक्मत की एक क़िस्म जिस की बुनियाद तफ़क्कुर-ओ-ताकि पर है, मिसाइल-ए-अकली-ओ-नज़री से बेहस, अरस्ता तालीसी फ़लसफ़ा

हिस्सी

इंद्रिय-सम्बन्धी

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