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हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में अगर के अर्थदेखिए
अगर के हिंदी अर्थ
संस्कृत - संज्ञा, पुल्लिंग
- यदि; जो
- अगर नामक वृक्ष और उसकी सुगंधित लकड़ी,: एक पहाड़ी पेड़ की ख़ुशबूदार लकड़ी (भूरी स्याही लिए हुए,जलाने से तेज़ ख़ुशबू देती है, उसे पीस कर बत्तियां भी बनाते हैं और खुशबू के लिए जलाते हैं)
- एक प्रकार की चिड़िया
- किसी बात में संदेह हो या उसमें बुराई का पहलू निकालना हो, पर्याय : माना कि, चलो यूं सही
- ख़बरदार जो ऐसा हुआ (धमकी, चेतावनी के अवसर पर)
- जब, जब कि, जिस वक़्त कि, जब कभी
- जो ऐसा होता कि
- :
हिंदी - संज्ञा, स्त्रीलिंग
- गाँव-देहात का छोटा और तंग रास्ता
- मार्ग, रास्ता
संस्कृत - विशेषण
- पहला, अगला, अगुवा, बड़ा
शे'र
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर
चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
English meaning of agar
Sanskrit - Noun, Masculine
- incense stick/ if/ however
- name of a tree, Aquilaria agallocha
- wood of aloe which gives off fragrance on burning
Conjunction
- if, in case that, in the event of
- provided, on condition that
- so long as, as long as
اگر کے اردو معانی
سنسکرت - اسم، مذکر
- : ایک پہاڑی درخت کی خوشبودار لکڑی (بھوری سیاہی مائل ، جلانے سے تیز خوشبو دیتی ہے ، اسے پیس کربتیاں بھی بناتے ہیں اور خوشیو کے لیے جلاتے ہیں) . عود .
- : بشرطیہ ، جو یوں ہوا تو ، جب ایسا ہو جائے تو پھر (عموماً "تو" حرف جزا سے قبل مستعمل)
- : شیشم کا درخت .
- : جب ، جب کہ ، جس وقت کہ ، جب کبھی .
- : بالفرض ، بفرض محال (۱) جبکہ کسی بات کا قیاس یا امکان ظاہر کیا جائے
- : (۲) جب کسی بات میں شک ہو یا اس میں برائی کا پہلو نکالنا ہو ، مترادف : مانہ کہ ، چلو یوں سہی .
- : چاہے ، خواہ .
- : جو کہیں ایسا تو ، مبادا (اندیشے اور خوف کۓ اظہار کے لیے)
- : جس صورت میں کہ ، در حالیکہ ، (دلیل کے طور پر)
- : جو ایسا ہوتا کہ
- : خبردار جو ایسا ہوا (دھمکی ، تہدید ، انتباہ کے موقعے پر)
سنسکرت - صفت
- پہلا ، اگلا ، اگوا ، بڑا .
अगर के अंत्यानुप्रास शब्द
अगर के यौगिक शब्द
अगर से संबंधित रोचक जानकारी
اگر بعض لوگ ’’اگر‘‘ کی جگہ صرف ’’گر‘‘، اور’’اگرچہ‘‘ کی جگہ صرف ’’گرچہ‘‘ لکھتے ہیں۔ یہ آزادی شاعری میں پہلے تھی، اب وہاں بھی کم نظر آتی ہے۔ نثر میں تو اس کا کوئی بھی جواز نہیں، بلکہ اس کا صرف نہایت درجہ تصنع کا تأثر پیدا کرتا ہے۔ نثرمیں’’گر‘‘ اور’’گرچہ‘‘ کا ترک واجب ہے۔ اگرچہ کہ یائے مجہول۔ بعض لوگ ’’اگرچہ کہ‘‘ کی جگہ ’’اگرچیکہ‘‘ لکھتے ہیں۔ ’’اگر چہ‘‘ کے بعد کاف بیانیہ (یعنی’’کہ‘‘) ہی غیر ضروری ہے، چہ جائے کہ اس کا املا بدل کراسے ناقابل شناخت بنا دیا جائے۔ ’’اگرچہ‘‘ بہت کافی ہے، نہ ’’اگرچہ کہ‘‘ ہی کارآمد ہے اور نہ ’’اگر چیکہ۔‘‘
ماخذ: لغات روز مرہ
مصنف: شمس الرحمن فاروقی
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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