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कौड़ी के दो-दो बिकना

रुक : कोड़ी के तीन तीन बकना

एक-एक के दो-दो

दो के दोनों

एक एक के दो दो होना

तिजारत में दोना या कई गुना नफ़ा होना

मुँह के दो हर्फ़

मुँह के दो हर्फ़

दो मूँ के लोगाँ

पाखंडी

दो-चार के आगे

कुछ लोगों के सामने

एक के दो करना

बिन मतलब के सौ मतलब के दो

अपनी पसंद और ज़रूरत की थोड़ी चीज़ बगै़र पसंद या ज़रूरत की ज़्यादा चीज़ से बेहतर होती है

दो-चार के हाथ जाना

(किसी शैय का) मुस्तामल होजाना

चक्की के दो पाटों में पिसना

दो अत्याचारियों के अत्याचार का निशाना बनना, दोहरी कठिनाई में गिरफ़्तार होना

दस के दो कहना

ज़्यादा तादाद को कम ज़ाहिर करना , झूओट् बोलना , फ़रेब देना

न दो सर पकड़ के रो

अपनी मुसीबत का कोई भी शरीक नहीं है

एक रोटी के दो टुकड़े

एक ही प्रकार एवं प्रकृति की दो वस्तुएँ, एक ही वंश के दो आदमी, एक जैसे चेहरे के दो व्यक्ति

दो चून के बुरे होते हैं

एक के मुक़ाबले में दो शख़्स अगर ज़ईफ़ भी हूँ तब भी एक को अकेला होने की विजय से उन से डरना चाहिए, दो कमज़ोर भी मिल को क़वी हो जाते हैं

गाड़ी के दो पहिए होना

एक दूसरे के लिए नागुज़ीर होना

दो पोरे सलाम के लिए उठा लेना

सलाम करना, सलाम के लिए हाथ उठाना

दो कानों के बीच में सर कर दूँगा

एक फ़िक़रा जिस से बच्चों को डराते हैं

दो कानों के दरमियान में सर कर दूँगा

एक फ़िक़रा जिस से बच्चों को डराते हैं

दो कौड़ी की

दो कौड़ी का

दो कौड़ी के योग्य, बेकार

नर की दो जगह तौक़ीर नहीं भैंस के और कस्बी के

दोनों जगह माद्दा से काम चलता है, भैंस का नर ऐसा काम नहीं देता जैसे बैल इस लिए उसे उमूमन मार डालते हैं

कौड़ी के मोल बिकना

अत्यधिक सस्ता और कम मूल्य पर बिकना

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले घुसेड़ दो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

अपने सूई न जाने दो, दूसरे के भाले कोंचो

स्वयं थोड़ी पीड़ा भी गवारा नहीं दूसरे पर बड़ी बड़ी विपत्तियाँ ढाई जाती हैं

मियाँ बीवी दो जने , किस के लिये पीसें जौ चने

घर के दो आदमी हूँ तो ख़िस्त (या ज़्यादा मेहनत) करना बेफ़ाइदा है

नाक दो कान सलामत के कर आना

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

दो पैसे अल्लाह के नाम उठाना

थोड़ी सी ख़ैरात करना, किसी मुहताज को अल्लाह के नाम पर दो पैसे या चंद पैसे देना

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

छत्तीस प्रकार के भोजन में सत्तर दो बहत्तर रोग भरे रहते हैं

बहुत खाने से इन्सान प्रायः बीमार रहता है

कौड़ी के तीन तीन बिकना

निहायत अर्ज़ां होजाना, बहुत सस्ता होजाना , बेवुक़त होजाना,बेक़दर होजाना

दो कौड़ी का आदमी

मूल्यहीन व्यक्ति या आदमी

आबरू दो कौड़ी की होना

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं , शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

हाथ से कोड़ी के दो बेर भी न खाना

बड़ी नाक़द्री करना

ढाक के दो पात

रुक : ढाक के तीन पात

पीपल पूजन मैं चली गलम बोध के घाट, पीपल पूजत पी मिले एक पंथ दो काज

अच्छे काम करने में लाभ ही होता है पीपल को पूजने गई तो प्रीतम भी मिल गया

'इज़्ज़त दो कौड़ी की होना

आबरू दो कौड़ी की हो जाना

मान-सम्मान और साख समाप्त हो जाना

दो कौड़ी की हैसिय्यत न होना

सख़्त मुफ़लिसी होना, बेवुक़त होना

दो कौड़ी की 'इज़्ज़त हो जाना

आबरू जाती रहना, बेइज़्ज़ती होना, तज़लील हो जाना

'इज़्ज़त दो कौड़ी की हो जाना

प्रतिष्ठा समाप्त होना, आबरू का मिट जाना, अपमान हो जाना, साख जाती रहना, बेइज़्ज़त हो जाना

हाथ के दो बैर न खाना

मेरे मियाँ के दो कपड़े, सुत्थन नाड़ा और बस

बहुत निर्धन है केवल एक पाजामा और बस

दो घड़ी के बे-हयाई सारे दिन का उधार

थोड़ी देर की बे मरो्वती और बेग़ैरती से एक अर्सा तक के लिए आराम हो जाता है

दो के चार कर देना

टुकड़े-टुकड़े कर देना, परख़च्चे उड़ा देना

नैना तोहे पटक दूँ दो टोक टोक हो जाए, पहले मुँह लगाए के पीछे अलग हो जाए

ए आँखों तुम्हें फेंक कर दो टुकड़े कुर्दों क्योंकि तुम पहले तो इशक़ पैदा करती हो फिर अलग हो जाती हो

तलवार के तले दम लेने दो

थोड़ी प्रतिक्षा करो, ज़रा इंतिज़ार करो, जो दम बचे ग़नीमत है

तलवार के नीचे दम लेने दो

ज़रा ठहरो, सब्र से काम लो , जो दम बाक़ी है ग़नीमत है , जो दम फ़ुर्सत मिले ग़नीमत पै , ज़िंदगी का हर लम्हा ख़ुश मालूम होता है

घोड़ी के लगे थे ना'ल मेंडकी बोली मेरे भी जड़ दो

बड़े आदमी की रेस में छोटे या अदना लोग भी वैसी ही आरज़ू करने लगते हैं

तलवार के नीचे दम तो लेने दो

पसंदों के कबाब

नींदों के माते

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कौड़ी के दो-दो बिकना के अर्थदेखिए

कौड़ी के दो-दो बिकना

kau.Dii ke do-do biknaaکَوڑی کے دو دو بِکْنا

मुहावरा

देखिए: कौड़ी के तीन तीन बिकना

कौड़ी के दो-दो बिकना के हिंदी अर्थ

  • रुक : कोड़ी के तीन तीन बकना

کَوڑی کے دو دو بِکْنا کے اردو معانی

  • رک : کوڑی کے تین تین بِکنا.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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कौड़ी के दो-दो बिकना

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