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मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

ईमान नसीब न हो

दीन-ओ-इस्लाम से महरूम हो जाउं, (ख़ुदा य ताला) मेरे मज़हब को क़बूल ना करे (किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए किस्म के तौर पर मुस्तामल)

कफ़न नसीब न हो

(कोसना) बे गुरू-ओ-कफ़न रहे

मरते मर गए, चोंचलों से न गए

बेइज़्ज़त होकर भी ग़रूर ना गया

मरते हैं मरते पर न राह चलते पर

प्यार और मोहब्बत अपनों से होता है न कि दूसरों या अजनबियों से

रसना-बसना नसीब हो

(प्रार्थना शब्द) रहना सहना और फूलना फलना नसीब हो, ख़ुदा ख़ुश और सरसब्ज़ रखे, ख़ुदा भरा पुरा रखे

जीते हैं न मरते हैं सिसक सिसक दम भरते हैं

जीवन से निराश हैं, जीवन के दिन पूरे कर रहे हैं, बहुत कष्टमय जीवन बिता रहे हैं

मरते हज़ारों को सुना , जनाज़ा कसी का न देखा

महिज़ बलंद बाँग दावे करना और अमल कुछ ना करना

ख़्वाब में भी नसीब न होना

बिलकुल न मिलना

मरते मरते सँभलना

हालत बेहतर होना , मरते मरते बचना

मरते-मरते

मौत के समय, मरते दम तक, मरते वक़्त, आख़िर समय में

गोर-ओ-कफ़न नसीब न होना

बुरे हालों मरना, बहुत मजबूरी में जान देना

कहाँ हो कहाँ न हो

मरते-मरते बचना

मौत के ख़तरे या मौत जैसी बड़ी मुसीबत से नजात पाना, हालत बेहतर हो जाना, सँभल जाना

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

दो कौड़ियाँ न नसीब होना

कुछ हाथ ना आना, कुछ ना मिलना, कोई कमाई ना होना, कोई पूंजी ना होना

करवट करवट जन्नत नसीब हो

(दुआ) ख़ुदा से दुआ है कि मग़फ़िरत हो, जन्नत में जगह मिले

कहीं ऐसा न हो जाए

ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो बात ना हो जाये उमूमन अंदेशे के मौक़ा पर बोलते हैं

हाँसी में खाँसी न हो जाए

ख़ुशी में रंज ना हो जाये

मरते-मरते मर जाना

मरते मर जाना

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

मरते-वक़्त

मरते जाएँ मलहारें गाएँ

मुश्किलों में भी ज़िंदगी से लुतफ़ लें

कटे मरते हैं

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

गोर गढ़ा नसीब न होना

ऐसी मौत होना कि तजहीज़-ओ-तकफ़ीन का सामान भी ना हो

नेक बीबियों के साथ हश्र न हो

(ओ) बख़शिश ना हो (एक कोसना

ये न हो

कोई भी नहीं, एक भी नहीं मिल सकता, इधर ना उधर, दोनों नहीं, दोनों में से कोई भी नहीं

आँखों में शर्म न हो तो ढेले अच्छे

ढीट होने से अच्छा है कि अंधा हो (अश्लीलता को दोष देने के स्थान पर प्रयुक्त)

क़िब्ला हो तो मुँह न करूँ

कमाल-ए-बेज़ारी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

ईमान-ए-'आशिक़ाँ

हों न हों

यक़ीनन

अपनी गाँठ न हो पैसा तो पराया आसरा कैसा

अपने भरोसे पर काम करना चाहिए

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

नज़र न हो जाए

बुरी दृष्टि न लगे, बुरी दृष्टि दूर ही रहे, ईश्वर बुरी दृष्टि से सुरक्षित रखे

मरते-खपते

मरते-गिरते

निस्फ़-ईमान

मरते हुए

जो मरने के क़रीब हूँ, जान से आजिज़, नीम जान, क़रीब उल-मरग

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

ईमान-फ़रोशी

ईमान बेच देना, बेईमानी करना, बेईमानी, गद्दारी, ईमान बेचने की क्रिया या भाव, कपट

ईमान-फ़रोश

जिसने अपना ईमान बेच दिया हो, विश्वासघाती, जो अपना ईमान बेच दे, बेईमान, गृद्दार, विश्वास का विक्रेता, अविश्वासी

साबिक़-उल-'ईमान

मरते-दम

मृत्यु के समय, अंतिम समय में, मरते वक़्त, अख़ीर दम, ब-वक़्त-ए-मर्ग, आख़िरी घड़ी में

साहिब-ए-ईमान

ईमान वाला

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

अपनी मुर्ग़ी बुरी न हो तो हमसाए में अंडा क्यों दे

नुक़्सान अपने ही हाथों होता है

ऐसा न हो

मबादा, शाहिद, ख़ुदा-ना-ख़ासता

सहीफ़ा-ए-ईमान

(पुस्तक) पवित्र क़ुरान

दुश्मन-ए-ईमान

ज़ो'फ़-ए-ईमान

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मरते वक़्त ईमान नसीब न हो के अर्थदेखिए

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

marte vaqt iimaan nasiib na hoمَرتے وَقت اِیمان نَصِیب نَہ ہو

वाक्य

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो के हिंदी अर्थ

  • (ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)
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مَرتے وَقت اِیمان نَصِیب نَہ ہو کے اردو معانی

  • (عو) اس بات پر یقین دلانا کہ جو کچھ میں کہہ رہا ہوں وہ بالکل ٹھیک ہے (بطور بددعا مستعمل) ۔

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