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तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

माँ के पेट से सीख कर कोई नहीं आता

सीखा सिखाया कोई नहीं पैदा होता, काम सीखने ही से आता है

माँ के पेट से

आटा नहीं तो दलिया जब भी हो जाएगा

थोड़ा-बहुत लाभ हो जाएगा

यक़ीन के बंदे होगे तो सच मानोगे

۔(कनाएन) अगर तुम को सच्च बात की शनाख़्त होगी तो हमारी बात में शुबा ना कोगे

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलती

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलता

माँ के पेट से ले कर निकलना

हम तो डूबे हैं सनम तुम को भी ले डूबेंगे

हम ख़ुद तो फँसे हैं तुम को भी फँसाएगे, इसका उपयोग तब किया जाता है जब यह कहा जाता है कि एक व्यक्ति स्वयं मुसीबत में है और दूसरों को भी मुसीबत मे डालेगा

माँ पेट से

पैदाइश, जन्म से, हमेशा से

अहीर से तब गुन निकले बालू से जब घी

कमीने और ओछे से कुशलता या निपुणता नहीं होती

ख़ुदा जब किसी को नवाज़ता है तो इस से सलाह मशवरा नहीं करता

अल्लाह जिस तरह चाहे और जब चाहे अपने बंदों पर लुतफ़-ओ-करम की बारिश कर देता है

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

जब पर्जा नहीं तो राजा कहाँ

हाकिम को ज़ुलम नहीं करना चाहिए, अगर रईयत ना रहे तो हाकिम कहाँ रह सकता है

तुम से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

नौ महीने माँ के पेट में कैसे रहा होगा

यह कहावत चंचल और ऊधमी लड़के के प्रति कहते हैं

हाथी के दाँत निकले पीछे अंदर नहीं जाते

रुक : हाथी के निकले हुए दाँत (भी कहीं बैठे हैं) बैठने मुश्किल हैं

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

जब चने न थे तो दाँत थे , जब चने हुए तो दाँत नहीं

रुक : जब चुने थे अलख , बेवक़त किसी चीज़ का हासिल होना

मा के पेट से ले कर कोई नहीं आता

सीखा सिखाया कोई पैदा नहीं होता (कम शौक़ की तवज्जा, दिलचस्पी और हौसलाअफ़्ज़ाई के लिए कहा जाता है)

जब तीर छूट गया तो फिर कमान में नहीं आ सकता

जब कोई बात मुंह से निकल जाये तो वापिस आसकती

जब तक बच्चा रोता नहीं माँ दूध नहें देती

बिना माँगे कुछ नहीं मिलता

जब च्यूँटी के मरने के दिन क़रीब आते हैं तो उस के पर निकलते हैं

आदमी ख़ुद अपनी मुसीबत को दावत देता है, ऐसा काम करने के मौक़ा पर बोलते हैं जिस का अंजाम ख़राबी हो

जब अओखली में सर दिया तो धमकों से क्या डर

जब कोई अपने आपको ख़तरे में डाल दिया हो, तो उसे परिणाम से डरना नहीं चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो, यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन कार्य शुरू करने पर कठिनाई तो सहन करनी ही पड़ती है

माँ के हेट में से

कहूँ तो माँ मारी जाए और नहीं तो बाप कुत्ता खाए

अब तो हूँ मैं ऊनी ऊनी जब होंगी सब से दूनी

अभी क्या है, अभी तो थोड़ी ख़राबियाँ हैं, आगे चल कर खुल खेलेगी

बिन रोए माँ भी दूध नहीं देती

बेतलब कोई मतलब हासिल नहीं होता, तलब रिज़्क में तग-ओ-दो ज़रूरी है

सुनार अपनी माँ की नथ में से भी चुराता है

सुनारों की बेईमानी पर व्यंग है कि ये किसी को भी नहीं छोड़ते

उसे तो धोती बाँधनी भी नहीं आती

अनभिज्ञ या अनाड़ी है, बड़ा मूर्ख है

जब कमर में ज़ोर होता है तो मदार साहब भी देते हैं

बेरों फ़क़ीर वन की दुआ का तब ही असर होता है जब अपने आप भी कोशिश की जाये

ढूंडे से भी नहीं मिलती

बहुत खोजबीन के बाद भी नहीं मिलती, पूरी तलाश के बावजूद नहीं मिलती, नापैद है, ग़ायब है

माँ बाप जनम के साथी हैं, कर्म के नहीं

माँ बाप ज़िंदगी में साथ देते हैं आख़िरत में कोई काम नहीं आता

जब तक ऊँट पहाड़ के नीचे नहीं आता, तब तक वह जानता है मुझ से ऊँचा कोई नहीं

जब तक किसी मनुष्य का अपने से अधिक योग्य व्यक्ति से पाला नहीं पड़ता तब तक वह अपने को ही सब से बड़ा समझता है

अमानत में ख़ियानत तो ज़मीन भी नहीं करती

ख़याल यह है कि सौंप देने से धरती भी शव में हेरफेर नहीं करती इसलिए अमानत में ख़ियानत हो जाने पर यह कहावत निंदा के लिए कहा जाता है

कर तो कर नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

कर तो कर , नहीं तो ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो डरना तो डर

खाएँ तो घी से नहीं तो जाएँ जी से

ज़िद्दी और हटीले आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, हो तो अच्छा हो नहीं तो भूका मरना मंज़ूर

निकले दाँत भी कहीं पैठे हैं

मिसल मशहूर है जो भेद खुल जाये वो फिर नहीं छुपता (रुक : निकले हुए दाँत अलख)

उसे तो धोनी भी नहीं आती

शौच के लिए पानी लेना भी नहीं जानता

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे निकले रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की औलाद एक सी नहीं होती,कोई कैसा है, कोई कैसा है

तुम तो 'अक़्ल के पीछे लठ लिये फिरते हो

कोई बेवक़ूफ़ी या नुक़्सान का काम करे तो कहते हैं

चिकनी-चुपड़ी बातों से पेट नहीं भरता

मीठी बातों से कोई फ़ायदा नहीं होता, केवल बातों से काम नहीं चलता, केवल बातों से गुज़ारा नहीं हो सकता, कार्य या पालन के बिना कथन बेकार है

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

ग़ैरों का बहुत फ़ायदा होगा तो कुछ ना कुछ थोड़ा बहुत हम को भी होगा

बिल्ली जब गिरती है तो पंजों के बल

होशयार आदमी मुसीबत में घबराता नहीं और अपनी हिफ़ाज़त का उस वक़्त भी ख़्याल रखना

रोए बग़ैर माँ भी दूध नहीं देती

बगै़र मशक्कत कोई मक़सद हासिल नहीं होता

खाएँ तो घी से नहीं जाएँ जी से

कर तो डर नहीं , ख़ुदा के ग़ज़ब से डर

रुक : कर तो डर ना कर तो डर

अपनी तो ये देह भी नहीं

मनुष्य का अपने शरीर पर भी अधिकार नहीं यह ईश्वर का है

मैं नहीं या तुम नहीं

आप भी अरस्तू से कम नहीं

(व्यंग्यात्मक) आप भी बड़े भारी अक़लमंद हैं (यानी बड़े बेवक़ूफ़ और मूर्ख हैं)

'औरत रहे तो आप से नहीं तो सगे बाप से

'औरत किसी के बस में नहीं रह सकती, अगर दुश्चरित्र हो जाए तो बाप की भी परवाह नहीं करती

'औरत आप से, नहीं तो सगे बाप से

औरत की पाक दामनी उस की अपनी तबीयत से होती है किसी की तहदीद-ओ-नसीहत पर मबनी नहीं होती

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

होंट मलूँ तो दूध निकले

अभी दूध पीते बच्चे हो, नादान हो, ना तजुर्बे कार हो, ज़रा ज़ोर करूं तो पिया हुआ दूध निकल पड़े

पेट तो सब के साथ लगा हुआ है

हर एक को खाने की ज़रूरत पड़ती है

तुम तो कुछ जानते ही नहीं, औंधे मुँह दूध पीते हो

तुम तो अभी बाल-आयु में हो, बहुत भोले बनते हो, बच्चों जैसी बातें करते हो

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिस के लिए दलील और सबूत मौजूद है उसे कोई बेएतिबार नहीं कह सकता

क़ाज़ी जी तुम क्यूँ दुबले हो शहर के अंदेशे से

असमय चिंता करने वाले के संबंधित बोलते हैं, दूसरों की चिंता में ख़ुद परेशान होना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे के अर्थदेखिए

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

tum to jab maa.n ke peT se bhii nahii.n nikle hogeتُم تو جَب ماں کے پیٹ سے بھی نَہِیں نِکْلے ہوگے

कहावत

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे के हिंदी अर्थ

  • इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है
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تُم تو جَب ماں کے پیٹ سے بھی نَہِیں نِکْلے ہوگے کے اردو معانی

  • اس موقع پر بولتے ہیں جب یہ جتلانا منظور ہو کہ یہ بہت پرانی بات ہے ، تمہارے پیدا ہونے سے پہلے کی بات ہے

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