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कुछ-है

۔۱۔कोई बात है। कोई अंदरूनी बात है। ए २।देखो कुछ नंबर ३।३।बुराई है। खोट है। फ़ासिद ज़दा है। इस के दिल में कुछ है

'अक़्ल की कोताही और सब कुछ है

उपहास में मूर्ख या कम समझ वाले के संबंध में कहते हैं कि और तो सब कुछ है मगर 'अक़्ल नहीं है

मुक़द्दर में जो कुछ है हो रहेगा

भाग्य में जो लिखा है ज़रूर होगा, टल नहीं सकता

ख़ुदा का दिया सब कुछ है

हर तरह की सुविधा है, ईश्वर ने जो दिया वही बहुत है, अथवा जो कुछ है वह सब ईश्वर का दिया है, किसी चीज़ की परवाह नहीं, सब्र करने वाले या सहनशील और जो कुछ मिल जाए उस पर संतुष्ट रहने वाले हैं

ईमान है तो सब कुछ है

ये भी कुछ हैं

इन की भी कोई हैसियत है, ये भी इज़्ज़त और मर्तबा रखते हैं

कुछ हैं

किसी योग्य हैं, किसी शुमार में हैं, किसी संख्या में हैं

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

कुछ ख़लल तो है जिस से ये ख़लल है

इस ख़राबी या कमी का कोई कारण है

चार हाथ पाँव सब रखते हैं कुछ तुम्हारे ही नहीं हैं

कमाऊ खाओ , सब ताक़त रखते हैं, घमंड करने वाले को कहते हैं

कुछ नहीं हो सकता है

कुछ बसंत की भी ख़बर है

दुनिया की स्थितियों से भी कुछ सूचित हैं, सावधान करने के लिए बोलते हैं

हर एक बात की कुछ इंतिहा है

(कोई किसी झगड़े को तूल दे तो कहते हैं) हर बात कहीं ना कहीं ख़त्म होती है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

है हुवाए कुछ भी नहीं

बिलकुल नादार है, बिलकुल मुफ़लिस है

नाड़ी की कुछ सरत नहीं है दवा सभों की करते हैं, बेदों का क्या जाता है, लोग बिचारे मरते हैं

नब्ज़ देखना जानते नहीं और ईलाज करते हैं, ऐसे मुआलिजों का क्या बिगड़ता है, उन के ईलाज से लोग ही मरते हैं (अनाड़ी हकीमों के मुताल्लिक़ कहते हैं

कुछ नहीं आता है

कुछ खो के सीखते हैं

हानि उठा कर के ही सीख मिलती है

पेट सब कुछ सिखा लेता है

यहाँ ज़रूर कुछ दाल में काला है

यहाँ कुछ धोखे की बात है

कुछ गिरह में भी है

बनिये का बेटा कुछ सोच कर ही गिरता है

हुक्म के साथ सब कुछ मौजूद है

हाकिम के लिए सब चीज़ तैय्यार है, हुक्म ही हर चीज़ आजाती है

कुछ दाल में काला है

किसी छुपी बात का संदेह होना, तह में अवश्य कुछ है जो ज़ाहिर में नहीं

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या अधिकार जताता है, तो कहते हैं

हँसते हो, कुछ पड़ा पाया है

बला वजह हँसने के मौके़ पर कहा जाता है, जब कोई बिलावजह हंस रहा हो तो बुरा मान कर कहते हैं कि क्या मिल गया है जो हंस रहे हो

तक़दीर सीधी है तो सब कुछ

भाग्य अनुकूल होने से सब काम बनते हैं

ज़रूरत सब कुछ करा लेती है

ज़रूरत के वक़्त जो कुछ हो सकता है किया जाता है, नेकनामी बदामी की कुछ पर्वा नहीं होती

अभी कुछ नहीं बिगड़ा है

हनूज़ वक़्त बाक़ी है, तदारुक बा तलाफ़ी हो सकती है

कुछ तुम ने ख़्वाब तो नहीं देखा है

जब कोई शख़्स ऐसी बात कहता है जो नामुमकिन होती है तो ये मक़ूला कहा करते हैं

कुछ ख़ैर है

(हैरत और ताज्जुब की जगह मुस्तामल) कुछ पता नहीं , बेख़बर है

कुछ अस्ल है

कोई हक़ीक़त नहीं , बेहक़ीक़त शैय है , कोई बड़ी बात नहीं

वक़्त सब कुछ करा लेता है

अवसर और आवश्यकता के समय व्यक्ति वह कार्य करता है जो वह (आमतौर पर) नहीं कर सकता (मजबूरी के अवसर पर बोलते हैं

कुछ अपनी ख़बर है

क्या अपनी स्थिति का एहसास है

ये कुछ खेल है

ये आसान नहीं है ये बेदसतूर है

जान है तो जहान है, जान है तो सब कुछ

कुछ ख़र्च होता है !

इख़तियार आने ना आने में है जबर इस में नहीं कुछ ख़र्च होता है हाँ मुँह से फ़रमाते हुए

जो कुछ कहो सो फबती है

कुछ चीज़ है

कोई महत्व है, कोई एहमियत है, कोई हैसियत है

कुछ और 'आलम है

तेरे तो कुछ लछन से झड़ गए हैं

तेरे बुरे दिन आ पहुंचे हैं , तेरे चेहरे की रौनक जाती रही

आदमी कुछ खो के सीखता है

नुक़्सान उठाने के बाद तजुर्बा और अनुभव होता है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

इंसान में कुछ नहीं

ज़िंदगी का कुछ एतबार नहीं

बनिये का बेटा कुछ देख कर गिरता है

चालाक या मत्लबपरस्त का कोई काम फ़ायदे से ख़ाली नहीं होता

आन में कुछ अन में कुछ

अत्यधिक चंचल-चित्त है कथनी और करनी का कोई विश्वास नहीं

आन में कुछ आन में कुछ

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

कुछ ढंग नहीं

कोई सलीक़ा नहीं , कुछ नहीं आता

कुछ तो गेहूँ गीले, कुछ जंदरी ढीली

बहाने करने वाली औरत के प्रति कहते हैं, काम न करने के सौ बहाने

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

कुछ गेहूँ गीले कुछ जाँगर ढीले

(अविर) हीले करनेवाली और बहानाबाज़ औरत के बारे में कहते हैं

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

हमें कुछ काम नहीं

गाँठ गिरह में कुछ नहीं

(दिल्ली) बिलकुल मुफ़लिस है, क़ल्लअश है

कुछ गेहूँ गीले कुछ जंदरे ढीले

कुछ पड़ा पाया है

जब किसी आदमी को बगै़र किसी ज़ाहिरी सबब के ख़ुश देखते हैं तो ये फ़िक़रा कहते हैं इस का मतलब ये होता है कि क्या ग़ैब से कोई नेअमत हाथ आगई

कुछ कान में फूँकना

कोई मंत्र या जादू पढ़ कर कान में फूँकना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कुछ-है के अर्थदेखिए

कुछ-है

kuchh-haiکُچْھ ہے

वज़्न : 22

वाक्य

मूल शब्द: कुछ

कुछ-है के हिंदी अर्थ

  • ۔۱۔कोई बात है। कोई अंदरूनी बात है। ए २।देखो कुछ नंबर ३।३।बुराई है। खोट है। फ़ासिद ज़दा है। इस के दिल में कुछ है
  • कोई बात है कोई सबब या वजह है, दाल में काला है , ज़रूर कुछ है
  • बहुत कुछ है, बहुत ज़्यादा है , बुराई है , खोट है , फ़ासिद इदारा है
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کُچْھ ہے کے اردو معانی

  • کوئی بات ہے، کوئی سبب یا وجہ ہے، دال میں کالا ہے، ضرور کچھ ہے، کوئی اندرونی بات ہے
  • بہت کچھ ہے، بہت زیادہ ہے، برائی ہے، کھوٹ ہے، فاسد ارادہ ہے
  • دیکھو کچھ، اس کے دل میں کچھ ہے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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