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इंसान में कुछ नहीं

ज़िंदगी का कुछ एतबार नहीं

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

गाँठ गिरह में कुछ नहीं

(दिल्ली) बिलकुल मुफ़लिस है, क़ल्लअश है

कुछ-नहीं

कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है

ये कुछ नहीं

۔ ये कोई बुरी बात नहीं।ये अमर काबिल एतराज़ नहीं।

गाँठ गिरह कुछ नहीं

कोई किसी का कुछ नहीं कर सकता

कोई किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकता

कुछ नहीं हो सकता है

किसी का कुछ नहीं जाता

किसी का कुछ क्षति नहीं होता, अपना ही क्षति, हानि होता है

किसी का कुछ नहीं चलता

किसी की पेश नहीं जाती, क़ाबू और इख़तियार से बाहर है

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

अब भी कुछ नहीं बिगड़ा

अभी क्षति-पूर्ति अथवा सुधार संभव है, अभी रोक-थाम का अवसर बचा है

अभी कुछ नहीं बिगड़ा है

हनूज़ वक़्त बाक़ी है, तदारुक बा तलाफ़ी हो सकती है

'इज़्ज़त की आधी भली, बे'इज़्ज़ती की सारी कुछ नहीं

सम्मान के साथ दी गई थोड़ी वस्तु भी अच्छी होती है उससे जो अपमान के साथ मिले

कुछ ढंग नहीं

कोई सलीक़ा नहीं , कुछ नहीं आता

चार हाथ पाँव सब रखते हैं कुछ तुम्हारे ही नहीं हैं

कमाऊ खाओ , सब ताक़त रखते हैं, घमंड करने वाले को कहते हैं

हमें कुछ काम नहीं

कुछ नहीं रहा

कुछ नहीं चलता

कुछ नहीं गया

कुछ हानि नहीं हुआ

मुँह पर सब कुछ दिल में ख़ाक नहीं

मुँह पर कुछ , दिल में ख़ाक नहीं

महिज़ ज़ाहिरदारी है, ज़बानी बातें बनाते हैं

ऊँघते को सो जाते कुछ देर नहीं

जिस बात के अस्बाब मौजूद हैं इस को वजूद में आते क्या देर लगती है

सर पर ढोल बजाओ कुछ ख़बर नहीं

कुछ नहीं आता है

आता जाता कुछ नहीं

कुछ नहीं जानता, अनपढ़ है

और कुछ नहीं तो

कुछ ऐसा नहीं

कुछ हासिल नहीं

कोई लाभ नहीं, कोई फ़ायदा नहीं

कुछ ऐसा फ़र्क़ नहीं

बहुत थोड़ा फ़र्क़ है, बहुत ज़्यादा तफ़ावुत नहीं

कुछ 'अजब नहीं

कोई अचंभे की बात नहीं, कोई हैरत की बात नहीं

कुछ आज से नहीं

हमेशा से , क़दीम से

कुछ ख़र्च नहीं होता

ये तो कुछ बात नहीं

۔ये ग़लत है ।

हुआ हुआ या कुछ नहीं

जो होना चाहिए था वो नहीं हुआ

अब भी कुछ नहीं गया

अभी क्षति-पूर्ति अथवा सुधार संभव है, अभी रोक-थाम का अवसर बचा है

कुछ हक़ीक़त नहीं

कोई सच्चाई नहीं, कोई हैसियत नहीं

कुछ ज़रर नहीं

कोई नुक़्सान नहीं, कोई मुज़ायक़ा नहीं

कुछ ख़ौफ़ नहीं

कोई डर नहीं, ख़ौफ़ की कोई बात नहीं, घबराने की कोई कारण नहीं

कुछ कह नहीं सकता

ग़ैर यक़ीनी बात है , ना गुफ़्ता बह अमर है , बयान से बाहर है

कुछ चीज़ नहीं

कोई हैसियत नहीं, बेहक़ीक़त शैय है

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ ग़ज़ब नहीं

कोई अनोखी बात नहीं

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

है हुवाए कुछ भी नहीं

बिलकुल नादार है, बिलकुल मुफ़लिस है

कुछ इतना फ़र्क़ नहीं

बहुत थोड़ा फ़र्क़ है, बहुत ज़्यादा तफ़ावुत नहीं

तुम तो कुछ जानते ही नहीं, औंधे मुँह दूध पीते हो

तुम तो अभी बाल-आयु में हो, बहुत भोले बनते हो, बच्चों जैसी बातें करते हो

नाड़ी की कुछ सरत नहीं है दवा सभों की करते हैं, बेदों का क्या जाता है, लोग बिचारे मरते हैं

नब्ज़ देखना जानते नहीं और ईलाज करते हैं, ऐसे मुआलिजों का क्या बिगड़ता है, उन के ईलाज से लोग ही मरते हैं (अनाड़ी हकीमों के मुताल्लिक़ कहते हैं

यहाँ कुछ नाल तो नहीं गड़ी

यहां तुम पैदा तो नहीं हुए जो इस क़दर दावा और इस्तिहक़ाक़ जताते हो यानी ये जगह कोई वतन मौलिद तो नहीं कि छूट ना सके , जहां सींग समाएं गे चले जाऐंगे

यहाँ कुछ नाल तो नहीं गड़ा

यहां तुम पैदा तो नहीं हुए जो इस क़दर दावा और इस्तिहक़ाक़ जताते हो यानी ये जगह कोई वतन मौलिद तो नहीं कि छूट ना सके , जहां सींग समाएं गे चले जाऐंगे

काया पापी अच्छा , मन पापी कुछ नहीं

कौड़ी होना अच्छा है बेईमान होने से

कुछ मुज़ाइक़ा नहीं

यहाँ कुछ माल तो नहीं गड़ा है

जहाँ कोई अपना दावा या अधिकार जताता है, तो कहते हैं

सावन के रपटे और हाकिम के डपटे का कुछ डर नहीं

साइन में फिसलने और हाकिम के डाँटने की कुछ हरवा नहीं करनी चाहिए, औरों के साथ भी यही होता है

वक़्त पर कुछ बन नहीं आता

जब मुसीबत पड़े तो कोई सुझाव कारगर नहीं होती

कुछ बड़ी बात नहीं

कोई एहमीयत नहीं, मामूली बात है

लेना देना कुछ नहीं और गठरी वाले हूत

ऐसे मौक़ा पर कहते हैं जब कोई बेअमल और नाकारा शख़्स सिर्फ़ दावे और शेखी के ज़रीये लोगों को मरऊब करना चाहता है, नाहक़ किसी का वक़्त ख़राब करता है

कुछ तुम ने ख़्वाब तो नहीं देखा है

जब कोई शख़्स ऐसी बात कहता है जो नामुमकिन होती है तो ये मक़ूला कहा करते हैं

रख पछ्तावा कुछ नहीं , बेच पछ्तावा अच्छा

सौदागर अगर माल रख छोड़े और कीमत गिर जाये तो बहुत बुरी बात होती है लेकिन वो बीच दे और क़ीमत चढ़ जाये तो वो इतनी बुरी बात नहीं, बीच कर पछताना बेहतर है रख कर पछताने से

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कुछ-नहीं के अर्थदेखिए

कुछ-नहीं

kuchh-nahii.nکُچْھ نَہِیں

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 212

वाक्य

कुछ-नहीं के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है
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English meaning of kuchh-nahii.n

Adverb

  • nothing, none

کُچْھ نَہِیں کے اردو معانی

فعل متعلق

  • کوئی حیثیت یا اہمیت نہیں، کوئی بات نہیں، نامناسب ہے

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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