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जाने

ज्ञान या जानकारी नहीं कि

जाने-हारा

जाने वाला

जाने-अनजाने

जान कर या बिना जाने हुए, जैसे जाने-अनजाने में जो ग़लती हुई उसे माफ़ कीजिए

जाने न जाने मैं भी नौशा की ख़ाला

जाने अनजाने में

जाने दे

चला जाने दो, छोड़ दो, दरगुज़र करो, नज़रअंदाज करो, माफ़ करो, चुप हो रहो, तहम्मुल करो

जाने दो

चला जाने दो, छोड़ दो, क्षमा करो, नज़र अंदाज़ करो, माफ़ करो, चुप हो रहो, सहन करो, बुराई समाप्त करो

जाने मेरी पापोश

(ओ) मुझे कोई पर्वा नहीं, मेरी जूती से

जाने बिचारा क़लंदर जिस का फूटे कशकोल

जिस पर मुसीबत पड़ती है, वही ख़ूब जानता है

जाने बिचारा क़लंदर जिस का फूटे कचकोल

जिस पर मुसीबत पड़ती है, वही ख़ूब जानता है

जाने वाले के हज़ार रस्ते ढूँढने वाले का एक

किसी शख़्स को जाने के बाद तलाश करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो जिधर चाहे चला जाये मुतलाशी सिर्फ़ एक ही तरफ़ जा सकता है

जाने के लच्छन हैं

खोए जाने की अलामतें हैं, बिगड़ने या मिटने के आसार हैं तबाह या बर्बाद होने के कौतुक हैं

जाने ख़ाया ख़तीब का

गाली, अपशब्द

जाने देना

जाने की अनुमती देना

जाने भी दो

जाने मेरी बला

जाने मेरी जूती

जाने तेरी बला

(ओ) तुझे या मुझे कोई पर्वा नहीं, तेरी (मेरी) बला से

क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ख़ुदा जानने (लाइलमी ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल)

न-जाने

कुछ पता नहीं, मालूम नहीं, ख़ुदा जाने, में नहीं जानता

क्या जाने

मालूम नहीं, ख़बर नहीं, में नहीं जानता, ईश्वर जाने (अज्ञानता दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है)

आने-जाने

आना और जाना

तुमीं जाने

आग जाने लुहार जाने धोंकने वाले की बला जाने

अधीन का उद्देश्य आज्ञा मानना होता है परिणाम से मतलब नहीं होता

आदमी जाने बसे सोना जाने कसे

आदमी की अच्छाई बुराई उस को परखने से मालूम होती है जिस तरह सोने का खरा-खोटा आग पर तपने से मालूम होता है

सोना जाने कसे आदमी जाने बसे

दिल जाने या ख़ुदा जाने

जिस पर मुसीबत गुज़री है उसे वो ख़ुद जानता है या ख़ुदा वाक़िफ़ है

भगवान-जाने

भगवान जाने, ईश्वर जाने, अल्लाह जाने, (लाक्षणिक रूप से) मुझे नहीं मालूम

लोहा जाने , लोहार जाने , धौंकने वाले की बला जाने

लोहा जाने , लोहार जाने , धौंकने वाली की बला जाने

असल मुआमला जिस से मुताल्लिक़ हो वही जानता है दरमयानी या अजनबी आदमी किया जाने, ग़ैर मुताल्लिक़ आदमी के मुताल्लिक़ कहा जाता है जो फ़रीक़ैन से अलग हो, ये जुमला वहां सादिक़ आता है जहां कोई शख़्स दूसरों को लड़वा कर या किसी को ज़क पहुंचा कर अपनी ला ताल्लुक़ी का अज़हर करे

कौन-जाने

ख़ुदा मालूम, किसे ख़बर, किसी को नहीं मालूम, कोई नहीं जानता, ईश्वर जाने

ख़ुदा जाने

(किसी बात को न जानने के अवसर पर बोलते हैं) ईश्वर ही को पता है

बला-जाने

कुछ ख़बर नहीं, पर्वा निहां, जूती से (बेपर्वाई ज़ाहिर करने के मौक़ा पर मुस्तामल

बिन-जाने

अज्ञान में, अज्ञानता में, अनजाने में, बेख़बरी में, भूले से

बड़ा जाने किया, छोटा जाने हिया

बड़ा काम की तरफ़ ध्यान करता है और बच्चा प्रेम की तरफ़

सोना जाने कसे और आदमी जाने बसे

सोने की पहचान कसौटी पर परखने से और आदमी की पहचान पास रहने से होती है, सत्य तो अनुभव से ही जाना जाता है, खोटे खरे का परखने से पता चलता है

वो जाने और उस का ईमान जाने

किसी मामले को दूसरे के ईमान और नीयत पर छोड़ देने के अवसर पर प्रयुक्त है

न जाने क्यों

क्या वजह है , मालूम नहीं क्यों (अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए रब्त कलाम के लिए कहते हैं

अयाना जाने हिया सियाना जाने क्या

बिज्जू मुहब्बत को जानता है होशयार लेने देने को समझता है

सोना जाने कसने से आदमी जाने बसने से

सोना जाने किसे अलख

बूढ़ा जाने क्या बाला जाने हिया

बूढ़ा व्यक्ति कार्य को देखता है और बच्चा प्यार पर झुकता है, मुहब्बत अकारण नहीं होती

पा पोश जाने

ख़बर नहीं, क्या मालूम, लाताल्लुक़ी के इज़हार के लिए

मेरी पापोश जाने

रुक : मेरी बला जाने

बाट-जाने हार

वो जाने और उस का काम जाने

किसी काम से अपने आप को अलग करने के लिए कहते हैं, मुझ से कोई मतलब नहीं, मैं उत्तरदायित्व नहीं हूँ

वतन जाने की रुख़्सत

मौक़ा' जाने देना

उचित समय को खो देना, मौके़ को खो देना

ग़ुस्सा जाने दो

गु़स्सा थूक दो, दरगुज़र करो

प्रीत न जाने जात कुजात नींद न जाने टूटी खाट, भूक न जाने बासी भात प्यास न जाने धोबी घाट

प्रेम करते समय कोई ये नहीं सोचता कि उस का प्रेमी किस जाति या वर्ण का है, जिस तरह नींद हर जगह और हर हालत में आ जाती है और भूख में मनुष्य को बासी रोटी भी अच्छी मालूम होती है और प्यास लगी हो तो मनुष्य ये नहीं देखता कि पानी शुद्ध है या अशुद्ध

सबसे भला खसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

सबसे भला घसोटा, न जाने नफ़' न जाने टोटा

क़ज़्ज़ाक़ को किसी के नफ़ा नुक़्सान की पर्वा नहीं होती

क़ौल-ए-मर्दां जाने दारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जरी आदमी की बात पत्थर की लकीर होती है, मर्दों को बात का पास होता है

हाथ से जाने देना

छोड़ देना, त्याग देना, आज़ाद करना, संबंध न रखना

अंधा जाने आँखों की सार

किसी चीज का मूल्य उस को बहुत होती है उससे वंचित है

बंदर का हाल मुछंदर जाने

मनुष्य की हक़ीक़त और उसकी वास्तविकता को जानकार ही समझते हैं

चोर जाने मंगनी के बासन

चोर को चोरी से ग़रज़ है इस को पर्वा नहीं माल कैसा है

वो जाने

इस को पता है, अल्लाह ताला की तरफ़ इशारतन कहते हैं

हाथ से जाने नहीं देना

۱۔ क़ाबू से निकलने ना देना , तर्क ना करना, ना छोड़ना

चोर जाने चोर की सार

चोर ही चोर की बात समझ सकता है इस लिए चोर पकड़ने के लिए चोर ही लगाना चाहिए

आगे की ख़ुदा जाने

परिणाम या भविष्य ईश्वर जानता है

जाने से संबंधित कहावतें

जाने

स्रोत: हिंदी

'जाने' से संबंधित उर्दू कहावतें

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