Search results
Saved words
Showing results for "mujh"
Meaning ofSee meaning mujh in English, Hindi & Urdu
English meaning of mujh
Pronoun
Sher Examples
maz.habī bahs maiñ ne kī hī nahīñ
fāltū aql mujh meñ thī hī nahīñ
from sectarian debate refrained
for I was not so scatter-brained
mazhabi bahs main ne ki hi nahin
faltu aql mujh mein thi hi nahin
from sectarian debate refrained
for I was not so scatter-brained
na thā kuchh to ḳhudā thā kuchh na hotā to ḳhudā hotā
Duboyā mujh ko hone ne na hotā maiñ to kyā hotā
In nothingness God was there, if naught he would persist
Existence has sunk me, what loss, if I did'nt exist
EXPLANATION
यह शे’र ग़ालिब के मशहूर अशआर में से एक है। इस शे’र में जितने सादा और आसान अलफ़ाज़ इस्तेमाल किए गए हैं, उतनी ही ख़्याल में संजीदगी और गहराई भी है। आम पढ़ने वाला यही भावार्थ निकाल सकता है कि जब कुछ मौजूद नहीं था तो ख़ुदा का अस्तित्व मौजूद था। अगर ब्रह्मांड में कुछ भी न होता फिर भी ख़ुदा की ज़ात ही मौजूद रहती। यानी ख़ुदा की ज़ात को किसी बाहरी वस्तु के अस्तित्व की ज़रूरत नहीं बल्कि हर वस्तु को उसकी ज़ात की ज़रूरत होती है। दूसरे मिसरे में यह कहा गया है कि मुझको अपने होने से यानी अपने ख़ुद के ज़रिए नुक़्सान पहुँचाया गया, अगर मैं नहीं होता तो मेरे अपने अस्तित्व की प्रकृति न जाने क्या होती।
इस शे’र के असली मानी को समझने के लिए तसव्वुफ़ के दो बड़े सिद्धांतों को समझना ज़रूरी है। एक नज़रिए को हमा-ओस्त यानी सर्वशक्तिमान और दूसरे को हमा-अज़-ओस्त या सर्वव्यापी कहा गया है। हमा-ओस्त के मानी ''सब कुछ ख़ुदा है'' होता है। सूफ़ियों का कहना है कि ख़ुदा के सिवा किसी चीज़ का वजूद नहीं। यह ख़ुदा ही है जो विभिन्न रूपों में दिखाई देता है। हमा-अज़-ओस्त के मानी हैं कि सारी चीज़ें ख़ुदा से हैं। इसका मतलब है कि कोई चीज़ अपने आप में मौजूद नहीं बल्कि हर चीज़ को अपने अस्तित्व के लिए अल्लाह की ज़रूरत होती है।
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक हिस्सा है।
इसी नज़रिए से प्रभावित हो कर ग़ालिब ने ये ख़याल बाँधा है। शे’र की व्याख्या करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि ख़ुदा की ज़ात सबसे पुरानी है। यानी जब दुनिया में कुछ नहीं था तब भी ख़ुदा की ज़ात मौजूद थी और ख़ुदा की ज़ात हमेशा रहने वाली है। अर्थात जब कुछ भी न होगा तब ख़ुदा की ज़ात मौजूद रहेगी। यहाँ तात्पर्य क़यामत से है जब अल्लाह के हुक्म से सारे प्राणी ख़त्म हो जाएंगे और अल्लाह सर्वशक्तिमान अकेला व तन्हा मौजूद रहेगा।
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
Shafaq Sopori
na tha kuchh to KHuda tha kuchh na hota to KHuda hota
Duboya mujh ko hone ne na hota main to kya hota
In nothingness God was there, if naught he would persist
Existence has sunk me, what loss, if I did'nt exist
EXPLANATION
यह शे’र ग़ालिब के मशहूर अशआर में से एक है। इस शे’र में जितने सादा और आसान अलफ़ाज़ इस्तेमाल किए गए हैं, उतनी ही ख़्याल में संजीदगी और गहराई भी है। आम पढ़ने वाला यही भावार्थ निकाल सकता है कि जब कुछ मौजूद नहीं था तो ख़ुदा का अस्तित्व मौजूद था। अगर ब्रह्मांड में कुछ भी न होता फिर भी ख़ुदा की ज़ात ही मौजूद रहती। यानी ख़ुदा की ज़ात को किसी बाहरी वस्तु के अस्तित्व की ज़रूरत नहीं बल्कि हर वस्तु को उसकी ज़ात की ज़रूरत होती है। दूसरे मिसरे में यह कहा गया है कि मुझको अपने होने से यानी अपने ख़ुद के ज़रिए नुक़्सान पहुँचाया गया, अगर मैं नहीं होता तो मेरे अपने अस्तित्व की प्रकृति न जाने क्या होती।
इस शे’र के असली मानी को समझने के लिए तसव्वुफ़ के दो बड़े सिद्धांतों को समझना ज़रूरी है। एक नज़रिए को हमा-ओस्त यानी सर्वशक्तिमान और दूसरे को हमा-अज़-ओस्त या सर्वव्यापी कहा गया है। हमा-ओस्त के मानी ''सब कुछ ख़ुदा है'' होता है। सूफ़ियों का कहना है कि ख़ुदा के सिवा किसी चीज़ का वजूद नहीं। यह ख़ुदा ही है जो विभिन्न रूपों में दिखाई देता है। हमा-अज़-ओस्त के मानी हैं कि सारी चीज़ें ख़ुदा से हैं। इसका मतलब है कि कोई चीज़ अपने आप में मौजूद नहीं बल्कि हर चीज़ को अपने अस्तित्व के लिए अल्लाह की ज़रूरत होती है।
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक हिस्सा है।
इसी नज़रिए से प्रभावित हो कर ग़ालिब ने ये ख़याल बाँधा है। शे’र की व्याख्या करने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि ख़ुदा की ज़ात सबसे पुरानी है। यानी जब दुनिया में कुछ नहीं था तब भी ख़ुदा की ज़ात मौजूद थी और ख़ुदा की ज़ात हमेशा रहने वाली है। अर्थात जब कुछ भी न होगा तब ख़ुदा की ज़ात मौजूद रहेगी। यहाँ तात्पर्य क़यामत से है जब अल्लाह के हुक्म से सारे प्राणी ख़त्म हो जाएंगे और अल्लाह सर्वशक्तिमान अकेला व तन्हा मौजूद रहेगा।
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
Shafaq Sopori
kis kis ko batā.eñge judā.ī kā sabab ham
tū mujh se ḳhafā hai to zamāne ke liye aa
kis kis ko bataenge judai ka sabab hum
tu mujh se KHafa hai to zamane ke liye aa
मुझ के हिंदी अर्थ
सर्वनाम
- 'मैं' का वह रूप जो उसे कर्ता और संबंध कारक की विभक्तियों के अतिरिक्त अन्य शेष कारकों की विभक्तियाँ लगने पर प्राप्त होता है, जैसे- मुझको, मुझसे, मुझ पर आदि
مُجھ کے اردو معانی
ضمیر
- (قواعد) میں کی مجہول حالت، بجائے’’ میں ‘‘حرف مغیرہ سے پہلے بولا جاتا ہے، اپنی ذات سے خطاب، جیسے مجھ کو، ایک کلمہ ہے جو اپنے نفس پر اطلاق کیا جائے
Compound words of mujh
Citation Index: See the sources referred to in building Rekhta Dictionary
Critique us (mujh)
mujh
Upload Image Learn More
Name
Display Name
Attach Image
Delete 44 saved words?
Do you really want to delete these records? This process cannot be undone