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कहाँ हो कहाँ न हो

न हो

कहीं ऐसा न हो कि (संदेह या शंका प्रकट करने के लिए प्रयुक्त)

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

हो न हो

यहाँ न वहाँ ये बला कहाँ

ख़ानाबदोश आदमी है एक जगह नहीं टिकता

ये न हो

कोई भी नहीं, एक भी नहीं मिल सकता, इधर न उधर, दोनों नहीं, दोनों में से कोई भी नहीं

खड़का न हो

ज़रा सी आहट हो तो चोर भाग जाता है

निकाही न बियाही, मुंडो बहू कहाँ से आई

किसी अप्रिय व्यक्ति के बिना कारण किसी से व्यवहारिक हो जाने पर या बिना कारण रिश्तेदारी जताने पर कहते हैं

ऐसा न हो

कहीं एसा न हो, समभवतः, ईश्वर न करे

कहाँ चले आते हो

कहाँ चले आते हो

तुम्हारे आने का काम नहीं है, पर्दा है, पर्दे वाले बैठे हैं

ये वो न हो

۔ये वो बात नहीं। ये वैसा मुआमला नहीं।

पश्म-कंदा न हो सकना

कुछ ना बिगड़ सकना, ज़र्रा भर नुक़्सान ना पहुंचना, कुछ ना हो सकना

कफ़न नसीब न हो

(कोसना) बे गुरू-ओ-कफ़न रहे

कहीं ऐसा न हो जाए

ख़िलाफ़-ए-तवक़्क़ो बात ना हो जाये उमूमन अंदेशे के मौक़ा पर बोलते हैं

नज़र न हो जाए

बुरी नज़र न लगे, बुरी नज़र दूर हो, अल्लाह बुरी नज़र से बचाए

कल को ऐसा न हो

भविष्य काम न बिगड़ जाए

हाँसी में खाँसी न हो जाए

सुख में दुःखी न हो जाये

ईमान नसीब न हो

दीन-ओ-इस्लाम से महरूम हो जाउं, (ख़ुदा य ताला) मेरे मज़हब को क़बूल ना करे (किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए किस्म के तौर पर मुस्तामल)

वहाँ मारिए जहाँ पानी न हो

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

क़िब्ला हो तो मुँह न करूँ

कमाल-ए-बेज़ारी ज़ाहिर करने के मौक़ा पर कहते हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

गोश्त खाए गोश्त बढ़े , साग खाए ओझड़ी तो बल कहाँ से हो

गोश्त खाने से आदमी उमूमन मोटा ताज़ा होता है, साग बात या सब्ज़ी खाने से पेट बढ़ता है ताक़त नहीं आती

भूक में भजन भी न हो

भूखे आदमी से इबादत और पूजा भी नहीं हो सकती

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

नेक बीबियों के साथ हश्र न हो

(ओ) बख़शिश ना हो (एक कोसना

आता हो तो हाथ से न दीजे, जाता हो तो उसका ग़म न कीजे

वहाँ गर्दन मारिए जगाँ पानी न हो

इस को निहायत सख़्त और संगीन सज़ा देनी चाहिए

ज़ामिन न हो जैसे गिरह से दीजिये

किसी का जिम्मेदार बनने से अच्छा है कि गिरह से दे दे, पक्का आश्वासन देने से रोकड़ देना अच्छा है

मरते वक़्त कलिमा-ए-मोहम्मद न नसीब हो

(कोसना) एक प्रकार की क़सम और बद-दुआ, इस बात पर ज़ोर देना कि जो कुछ मैं कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है

आँखों में शर्म न हो तो ढेले अच्छे

ढीट होने से अच्छा है कि अंधा हो (अश्लीलता को दोष देने के स्थान पर प्रयुक्त)

मरते वक़्त ईमान नसीब न हो

(ओ) इस बात पर यक़ीन दिलाना कि जो कुछ में कह रहा हूँ वो बिलकुल ठीक है (बतौर बददुआ मुस्तामल)

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा न हो कि पिट जावे

हड़ लगे न फिटकरी रंग चोखा हो

मुफ़्त काम हो और उम्दा हो , खर्चे और ज़हमत के बगै़र काम बिन जाये

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

ऊँट बुड्ढा हो गया पर मूतना न आया

आयु बहुत हो जाने पर भी शिष्टाचार न आया

हाथ से दूसरे हाथ को ख़बर न हो

किसी को कानों कान ख़बर नहप हो कि क्या दिया और किस को दिया

अपनी गाँठ न हो पैसा तो पराया आसरा कैसा

अपने भरोसे पर काम करना चाहिए

अमीर के पास क़ब्र भी न हो

निर्धन के लिए धनवान का पड़ोसी होना अच्छा नहीं होता

का'बा हो तो उस की तरफ़ मुँह न करूँ

किसी जगह से इस क़दर बेज़ार और तंग होना कि अगर वो जगह मुक़ाम मुक़द्दस और ख़ुदा का घर भी बिन जाये तो उधर का रुख़ ना करना ग़रज़ निहायत बेज़ार तंग और आजिज़ हो जाने के मौक़ा पर ये फ़िक़रा बोला जाता है

झूटा मरे न शहर पाक हो

झूटे की मज़म्मत में कहते हैं

गिरह का दीजिए पर ज़ामिन न हो जिए

۔मिसल। ज़मानत की मज़म्मत में बोलते हैं

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

अपनी मुर्ग़ी बुरी न हो तो हमसाए में अंडा क्यों दे

नुक़्सान अपने ही हाथों होता है

लटे-पटे दिन काटिए रहिए घाम सो, वाके तले न बैठिए जा पेड़ पात न हो

तकलीफ़ में दिन काटना और गर्मी में सोए रहना बेहतर है लेकिन ऐसे पेड़ के नीचे जिस पर पत्ते न हूँ बिलकुल सोना नहीं चाहिए ऐसा पेड़ सूखा हुआ और खोखला होता है और उसके टूटने का डर होता है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

उस जातक से करो न यारी, जिस की माता हो कलहारी

उस लड़के से कभी मित्रता या प्रेम मत करो जिसकी माँ लड़ाका अर्थात झगड़ालू हो

जिस का आँचल ग़ैर मर्द ने न देखा हो

जिस ने न देखी हो कन्या, देखे कन्या का भाई

अपनी मंगेतर को देखना चाहो तो उसके भाई को देखो, यद्यपि ये सदैव सच नहीं होता

आगे रोक पीछे ठोक, ससुरा सरके न जाए तो क्या हो

आगे जा नहीं सकता पीछे से डंडा पड़ता है, करे तो क्या करे, जहाँ किसी ओर रास्ता न मिले तो बिना-साहस हो जाता है

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

याद हो कि न हो

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

रोज़े रखें न नमाज़ पढ़ें, सहरी भी न खाएं तो काफ़िर हो जाएं

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

हुआ न हो

अब तक नहीं हुआ और ना आइन्दा होगा, नहीं होगा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहाँ हो कहाँ न हो के अर्थदेखिए

कहाँ हो कहाँ न हो

kahaa.n ho kahaa.n na hoکَہاں ہو کَہاں نَہ ہو

English meaning of kahaa.n ho kahaa.n na ho

  • who knows where (he, etc.) may be

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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